Samrat Choudhary: सम्राट चौधरी फिर बने बिहार के डिप्टी सीएम, मुंगेर के छोटे से गांव से निकलकर कैसे बने बिहार BJP के 'पोस्टर ब्वॉय'

Bihar Deputy CM Samrat Chaudhary: सम्राट चौधरी का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव, पार्टी बदलने और कई विवादों से भरा रहा है। हालांकि आज वह लव-कुश (कुर्मी-कोइरी) गठजोड़ को मजबूत करने वाले प्रमुख ओबीसी चेहरे के रूप में स्थापित हो चुके हैं

अपडेटेड Nov 20, 2025 पर 2:55 PM
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Samrat Choudhary: जनवरी 2024 में बीजेपी ने उन्हें बिहार का उपमुख्यमंत्री बनाया था

Samrat Choudhary: मुंगेर के एक छोटे से गांव लखनपुर से निकलकर सम्राट चौधरी ने आज एक बार फिर बिहार के उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 57 वर्षीय कुशवाहा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले और बिहार भाजपा के 'पोस्टर ब्वॉय' माने जाने वाले सम्राट चौधरी को NDA की प्रचंड जीत के बाद सर्वसम्मति से भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया था। विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी पैतृक सीट तारापुर से राजद के अरुण कुमार को 45,843 वोटों के बड़े अंतर से हराकर शानदार जीत दर्ज की।

जनवरी 2024 में बीजेपी ने उन्हें बिहार का उपमुख्यमंत्री बनाया। तब उन्होंने वित्त, स्वास्थ्य, और शहरी विकास जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाले। अब एक बार फिर से वो नई जिम्मेदारी संभालने जा रहे हैं।

सम्राट चौधरी का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव, पार्टी बदलने और कई विवादों से भरा रहा है। हालांकि आज वह लव-कुश (कुर्मी-कोइरी) गठजोड़ को मजबूत करने वाले प्रमुख ओबीसी चेहरे के रूप में स्थापित हो चुके हैं।


उतार-चढ़ाव भरा रहा राजनीतिक जीवन

चौधरी ने 1990 में राजनीति में कदम रखा और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से शुरुआत की। 1999 में वह राबड़ी देवी सरकार में कृषि मंत्री बने, लेकिन उम्र विवाद (25 वर्ष से कम होने) के कारण उन्हें जल्द ही पद से हटना पड़ा और वेतन वापस करने का आदेश दिया गया। 2014 में वह जनता दल यूनाइटेड (JD(U)) में शामिल हुए और जीतन राम मांझी सरकार में शहरी विकास एवं आवास मंत्री बने।

2017-2018 में भाजपा का दामन थामने के बाद उनका राजनीतिक ग्राफ तेजी से ऊपर गया। मार्च 2023 से जुलाई 2024 तक उन्होंने बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पार्टी का नेतृत्व किया। इसी दौरान उन्होंने यह पगड़ी पहनने की कसम खाई थी कि जब तक भाजपा सत्ता में नहीं लौटेगी, तब तक वह इसे नहीं उतारेंगे।

पारिवारिक पृष्ठभूमि और विवाद

सम्राट चौधरी मुंगेर जिले के लखनपुर गांव से आते हैं। उनके पिता शकुनी चौधरी दशकों तक राजनीति में सक्रिय रहे, सात बार विधायक और सांसद बने, जबकि उनकी मां भी विधायक थीं। चौधरी की शिक्षा हमेशा विवादों में रही है। उन्होंने डॉक्टर ऑफ लिटरेचर (डी.लिट.) की डिग्री का उल्लेख किया है, वहीं 2010 के हलफनामे में खुद को 7वीं कक्षा तक पढ़ा बताने और 2025 में प्रशांत किशोर द्वारा डिग्री की प्रामाणिकता पर सवाल उठाने के कारण यह मुद्दा सुर्खियों में रहा। इसके साथ ही साल 2023 में उनका यह बयान भी विवादों में रहा था कि भारत 1947 में नहीं, बल्कि 1977 में जेपी की संपूर्ण क्रांति से आजाद हुआ था।

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