Tej Pratap Yadav: 'मरना कबूल, लेकिन महुआ नहीं...', तेज प्रताप यादव ने ली 'भीष्म प्रतिज्ञा', तेजस्वी यादव के लिए बढ़ा धर्मसंकट

Mahua Assembly Seat: तेज प्रताप यादव RJD से अलग होकर अपनी पार्टी 'जनशक्ति जनता दल' के बैनर तले चुनाव लड़ रहे हैं। महुआ से उनका चुनाव लड़ना RJD के मौजूदा विधायक मुकेश रोशन को सीधी चुनौती दे रहे है

अपडेटेड Oct 20, 2025 पर 10:53 AM
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तेज प्रताप यादव ने अपने समर्थकों को वचन दिया है कि जब तक वह जिंदा रहेंगे, महुआ की जनता का साथ नहीं छोड़ेंगे

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव एक बार फिर अपनी राजनीतिक चालों से सुर्खियों में हैं। महुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे तेज प्रताप ने रविवार को महुआ की जनता से 'भीष्म प्रतिज्ञा' जैसा एक भावनात्मक वादा किया है। परिवार और पार्टी से 6 साल के निलंबन का सामना कर रहे तेज प्रताप के इस ऐलान ने RJD में हलचल मचा दी है और छोटे भाई तेजस्वी यादव की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

तेज प्रताप ने ली महुआ में 'भीष्म प्रतिज्ञा'

भीष्म पितामह की तरह तेज प्रताप यादव ने अपने समर्थकों को वचन दिया है कि जब तक वह जिंदा रहेंगे, महुआ की जनता का साथ नहीं छोड़ेंगे। तेज प्रताप ने महुआ की जनता के बीच ऐलान किया कि वह 'मरना कबूल करेंगे, लेकिन महुआ नहीं छोड़ेंगे'। यह बयान केवल एक चुनावी वादा नहीं है, बल्कि यह परिवार और पार्टी के खिलाफ उनकी बगावत को एक नैतिक आधार देने की कोशिश है। तेज प्रताप खुद को कर्तव्यनिष्ठ और वचनबद्ध नेता के रूप में स्थापित करना चाहते हैं, जो सत्ता नहीं, बल्कि जनता की सेवा चाहता है। इस घोषणा के बाद RJD प्रत्याशी की नींद तो गायब हो ही गई है, तेजस्वी यादव भी धर्मसंकट में फंस गए हैं।


RJD के लिए बढ़ा संकट

तेज प्रताप यादव RJD से अलग होकर अपनी पार्टी 'जनशक्ति जनता दल' के बैनर तले चुनाव लड़ रहे हैं। महुआ से उनका चुनाव लड़ना RJD के मौजूदा विधायक मुकेश रोशन के लिए सीधी चुनौती है, क्योंकि यह सीधे तौर पर यादव वोट बैंक में सेंध लगाएगा और पार्टी को विभाजित करेगा। तेज प्रताप की बगावत सीधे तौर पर तेजस्वी के नेतृत्व पर सवाल खड़ा करती है और विपक्ष को पारिवारिक कलह को हवा देने का मौका देती है। तेजस्वी को अब न सिर्फ बाहरी विरोधियों से लड़ना है, बल्कि अपने ही भाई के कारण यादव-मुस्लिम समीकरण में होने वाले संभावित बिखराव को भी संभालना है।

लालू यादव के लिए राह सबसे कठिन

लालू यादव के लिए यह फैसला सबसे कठिन है, क्योंकि एक तरफ बड़े बेटे का भावनात्मक विद्रोह है, तो दूसरी तरफ छोटे बेटे तेजस्वी का राजनीतिक भविष्य और पार्टी की एकता दांव पर है। कुल मिलाकर तेज प्रताप का यह कदम स्पष्ट संकेत दे रहा है कि वह नेतृत्व छोड़ने से इनकार करते हुए एक लंबी राजनीतिक पारी खेलने को तैयार हैं।

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