दिल्ली विधासभा के चुनावों में बीजेपी इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। बीजेपी आलाकमान ने केंद्रीय मंत्रियो और सांसदो के साथ-साथ वरिष्ठ नेताओं को भी हर विधानसभा क्षेत्र मे जमीन पर काम करने की जिम्मेदारी सौंप दी है। आलाकमान ने इन नेताओं को हर सीट पर पिछली बार की तुलना में वोट बढ़ाने का लक्ष्य भी निर्धारित किया है। सूत्रों के मुताबिक, आला नेताओ को ये लक्ष्य दिया गया है कि हर सीट पर पिछली बार की तुलना में 20,000 वोट ज्यादा लाने में जुट जाएं। इन नेताओं को यह लक्ष्य भी दिया गया है कि हर बूथ पर कम से कम 50 प्रतिशत वोट बीजेपी को मिले और वो ये भी सुनिश्चित करें कि हर बूथ पर पिछली बार की तुलना में ज्यादा मतदान हो। खास बात ये कि इन नेताओं को चुनाव प्रचार से दूर रह कर लोगों के बीच काम करना है।
27 नेता 54 विधानसभा क्षेत्र
केंद्रीय मंत्रियों, केंद्रीय पदाधिकारियों, पड़ोसी राज्यों के नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गयी है। हर नेता को दो विधानसभा क्षेत्र सौंपे गए हैं। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल दिल्ली कैंट और वजीरपुर में काम कर रहे हैं, तो धर्मेन्द्र प्रधान पर मालवीय नगर और ग्रेटर कैलाश विधानसभा का जिम्मा है।
भूपेंद्र यादव को महरौली और बिजवासन, गजेंद्र सिंह शेखावत नरेला और बवाना, मनसुख मांडविया शकूरबस्ती और मादीपुर, अनुराग ठाकुर मुस्तफाबाद और करावल नगर, यूपी के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक आदर्श नगर और बुराड़ी, राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े जनकपुरी और उत्तम नगर और सुनील बंसल शालीमार बाग और त्रिनगर में बीजेपी का काम देख रहे हैं।
इसके अलावा बीजेपी सांसदों निशिकांत दूबे पर रिठाला और किराड़ी का जिम्मा है, तो विवेक ठाकुर को द्वारका और सुरेंद्र नागर को पटपड़गंज में काम सौंपा गया है। सूत्रों के मुताबिक 27 नेताओं को 54 विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी दी गई है।
दूसरे राज्यों के वोटर्स को लुभाएंगे उनके यहां के नेता
दिल्ली में रहने वाले दूसरे राज्यों से जुड़े मतदाताओं को लुभाने के लिए संबंधित राज्यों के विधायकों, सांसदों, मंत्रियों को भी मतदाताओं के बीच काम करने का जिम्मा सौंपा गया है। दिल्ली में करीब साढ़े तीन लाख तेलुगु वोटर हैं। उनसे संपर्क की जिम्मेदारी आंध्र प्रदेश के बीजेपी और TDP विधायकों, सांसदों और मंत्रियों को दी गई है।
इसी तरह उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात जैसे राज्यों के दिल्ली में रह रहे लोगों को बीजेपी के पाले में लाने के लिए वहां के नेताओं को दिल्ली बुलाया गया है।