Delhi Corruption Cases: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिल्ली सरकार के स्कूलों में क्लासेस के निर्माण में 1,300 करोड़ रुपये के कथित घोटाले में आम आदमी पार्टी (AAP) के सीनियर नेता मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ FIR दर्ज करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है। दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय ने 2022 में कथित घोटाले की जांच की सिफारिश की थी। इस मांग को लेकर मुख्य सचिव को एक रिपोर्ट भी सौंपी थी। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने भी गुरुवार को AAP के दोनों पूर्व मंत्रियों के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के मामलों में मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी।
सूत्रों ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि राष्ट्रपति ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार में सिसोदिया और जैन के मंत्री रहने के दौरान हुए कथित घोटाले के संबंध में उनके खिलाफ FIR दर्ज करने को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने 17 फरवरी, 2020 की एक रिपोर्ट में लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा दिल्ली सरकार के स्कूलों में 2,400 से अधिक कक्षाओं के निर्माण में 'घोर अनियमितताओं' को उजागर किया।
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अनियमितताओं के संबंध में सिसोदिया और जैन के खिलाफ औपचारिक जांच शुरू करने के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17 A के तहत दिल्ली के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) को मंजूरी दी है। सिसोदिया उस वक्त शिक्षा मंत्री थे, जबकि जैन दिल्ली के PWD मंत्रालय संभाल रहे थे।
जुलाई 2018 में केंद्र सरकार ने एक संशोधन के जरिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में धारा 17A जोड़ी थी। इसके तहत पुलिस, CBI या भ्रष्टाचार से जुड़े अपराधों से निपटने वाली किसी भी जांच एजेंसी के लिए भ्रष्टाचार से जुड़े किसी भी अपराध की जांच करने से पहले पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया था।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, 18 फरवरी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच किए जा रहे मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जैन के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी थी। 60 वर्षीय दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 218 के तहत मंजूरी मांगी गई थी।
गृह मंत्रालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच और 'पर्याप्त सबूत' की मौजूदगी के आधार पर जैन पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने के लिए राष्ट्रपति से अनुरोध किया था। सीबीआई ने दिसंबर 2018 में इस मामले में एक चार्जशीट दायर किया था। इसमें कहा गया कि कथित अनुपातहीन संपत्ति 1.47 करोड़ रुपये थी, जो 2015-17 के दौरान जैन की आय के ज्ञात स्रोतों से लगभग 217 प्रतिशत अधिक थी।