2020 के विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली में शानदार जीत दर्ज की थी और 70 में से 62 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) महज 8 सीटों पर सिमट गई थी। लेकिन अब 5 साल बाद स्थिति बदल गई है। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में बीजेपी ने बंपर जीत के साथ AAP को सत्ता से बाहर कर दिया है। इसके साथ ही भगवा पार्टी 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी करने जा रही है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चुनावी हार के बाद कहा कि AAP एक रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएगी। लेकिन सवाल यह है कि आखिर AAP की हार के पीछे क्या कारण रहे? आइए जानते हैं वो 5 मुख्य वजहें,जिनकी वजह से AAP को करारी हार झेलनी पड़ी।
1. शराब नीति घोटाला: AAP के लिए सबसे बड़ा झटका
AAP को सबसे बड़ा झटका शराब नीति घोटाले से लगा। इस घोटाले की जांच में मनीष सिसोदिया और खुद अरविंद केजरीवाल तक की गिरफ्तारी हुई। विपक्ष ने आरोप लगाया कि दिल्ली को "दारू की राजधानी" बनाया जा रहा है, और 'Buy 1 Get 1 Free' जैसी स्कीम लागू करके शराब बिक्री को बढ़ावा दिया गया। हालांकि, घोटाले के विवाद के चलते यह नीति एक साल के भीतर ही रद्द कर दी गई।
साथ ही इस विवाद ने आम आदमी पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाया, जो पार्टी भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से जन्मी थी और खुद का कट्टर ईमानदार पार्टी के तौर पर पेश करती थी।
2. पॉलिसी पैरालिसिस (नीतिगत पंगुता)
AAP सरकार और उपराज्यपाल (LG) के बीच लगातार टकराव से दिल्ली की प्रशासनिक व्यवस्था प्रभावित हुई। AAP ने हर मुद्दे पर LG और केंद्र सरकार को दोष दिया, लेकिन जनता को लगा कि यह सिर्फ बहानेबाजी है। उदाहरण के तौर पर, दिल्ली जल बोर्ड (DJB) को ₹4,000 करोड़ का फंड जारी नहीं किया गया, जिससे पानी की सप्लाई में दिक्कतें आईं। इस तरह की नीतिगत अस्थिरता (policy paralysis) ने जनता को निराश किया और भाजपा को मजबूत बढ़त दिलाई।
दिल्ली की सड़कें, जल निकासी और प्रदूषण से परेशान जनता को इस बार बदलाव चाहिए था। दिल्ली हाईकोर्ट ने AAP सरकार को फटकार लगाई थी कि वे मुफ्त योजनाओं (freebies) पर तो खर्च कर रहे हैं, लेकिन बुनियादी ढांचे में सुधार नहीं कर रहे। दिल्ली की सड़कों की बदतर हालत, बढ़ता हुआ यमुना प्रदूषण, और टूटे-फूटे फ्लाईओवर जनता के लिए बड़ी समस्याएं बनीं। AAP सरकार MCD जीतने के बाद भी दिल्ली की सफाई व्यवस्था सुधारने में विफल रही। इन समस्याओं की वजह से दिल्ली के मध्यम वर्ग और व्यापारियों ने BJP को वोट दिया।
चुनाव प्रचार के दौरान BJP ने "शीश महल" विवाद को बड़ा मुद्दा बनाया। CAG रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास की मरम्मत पर ₹34 करोड़ खर्च किए गए। इटालियन मार्बल, महंगे नल, जकूजी और हाई-एंड इंटीरियर डिजाइन पर जनता का पैसा उड़ाया गया। BJP ने इस मुद्दे को जनता के बीच इस तरह पेश किया कि "AAP अब आम आदमी की पार्टी नहीं, बल्कि VIP पार्टी बन चुकी है।" AAP का भ्रष्टाचार-विरोधी दावा इस घोटाले से पूरी तरह कमजोर हो गया और BJP को जनता का भरोसा मिला।
5. केजरीवाल का CM पद ना छोड़ना
मार्च 2024 में, शराब नीति घोटाले में ED ने अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया। 5 महीने जेल में रहने के बावजूद, उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया। जेल में रहते हुए वे सरकारी फाइलों पर साइन नहीं कर सकते थे, न ही कोई बैठक कर सकते थे। प्रशासनिक कार्य पूरी तरह ठप हो गए और दिल्ली की जनता को इस राजनीतिक संकट का खामियाजा भुगतना पड़ा। इसके चलते AAP सरकार की कार्यक्षमता पूरी तरह से खत्म हो गई, और इसका सीधा असर BJP की ऐतिहासिक जीत में देखने को मिला।
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