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दिल्ली में कैसे चुनाव जीती BJP? इन 5 कारणों से भगवा रंग में रंग गई राजधानी

BJP Wins Delhi Election: दिल्ली विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। इस जीत के साथ ही देश की राजधानी में पार्टी का 27 साल पुराना सत्ता का सूखा खत्म हो गया और आम आदमी पार्टी (AAP) के एक दशक से अधिक के शासन का अंत हो गया। पिछले चुनाव में बीजेपी और AAP के बीच 15% वोटों का अंतर था, लेकिन इस बार बीजेपी ने इसे कैसे पलट दिया? आइए जानते हैं 5 प्रमुख कारण, जिन्होंने दिल्ली को इस बार भगवा रंग में रग दिया

अपडेटेड Feb 08, 2025 पर 3:00 PM
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Delhi elections: बीजेपी ने झुग्गीवासियों को पक्के घर का वादा करके AAP का एक अहम वोट बैंक तोड़ दिया

BJP Wins Delhi Election: दिल्ली विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। इस जीत के साथ ही देश की राजधानी में पार्टी का 27 साल पुराना सत्ता का सूखा खत्म हो गया और आम आदमी पार्टी (AAP) के एक दशक से अधिक के शासन का अंत हो गया। पिछले चुनाव में बीजेपी और AAP के बीच 15% वोटों का अंतर था, लेकिन इस बार बीजेपी ने इसे कैसे पलट दिया? आइए जानते हैं 5 प्रमुख कारण, जिन्होंने दिल्ली को इस बार भगवा रंग में रग दिया।

1. झुग्गी बस्तियों में दलित वोट बैंक में सेंध

दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में AAP का मजबूत जनाधार रहा है, क्योंकि फ्री बिजली-पानी ने गरीब तबके को पार्टी से जोड़े रखा था। एक दशक से भी अधिक समय यह वोट बैंक AAP के लिए तुरुप का पत्ता रहा है। लेकिन इस बार बीजेपी ने एक नई रणनीति अपनाई और झुग्गीवासियों को पक्के घर का वादा किया। साथ ही, बीजेपी ने फ्री बिजली-पानी जारी रखने की गारंटी दी।

BJP की इस नई रणनीति से इस बार दलित वोटबैंक बंट गया, जो करीब 20 प्रतिशत है। इससे AAP को बहुत नुकसान हुआ। 2024 लोकसभा चुनाव के बाद से ही बीजेपी लगातार दलित वोटबैंक को साधने में लगी है, जिसका उसे फायदा होता दिख रहा है। इससे पहले हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में भी दलित वोट बैंक बीजेपी की ओर लौटता दिख था, और अब दिल्ली में भी यही ट्रेंड देखने को मिला।


2. मुस्लिम वोटों के खिलाफ जवाबी ध्रुवीकरण

दिल्ली में 13% मुस्लिम आबादी है और लगभग 9 विधानसभा सीटों पर उनका प्रभाव रहता है। पिछले एक दशक से मुस्लिम वोटर पूरी तरह AAP के पक्ष में एकजुट थे और पार्टी को बड़ी जीत दिला रहे हैं। लेकिन इस बार बीजेपी ने मुस्लिम-बहुल इलाकों में भी बड़ी जीत दर्ज की।

मुस्तफाबाद और करावल नगर जैसी सीटों पर बीजेपी के मोहन सिंह बिष्ट और कपिल मिश्रा ने बड़े अंतर से जीत हासिल की है। ये वही इलाके हैं जहां 2020 में दंगे हुए थे। लगता है कि इन सीटों पर बीजेपी के पक्ष में मजबूत जवाबी ध्रुवीकरण हुआ है, जिससे बीजेपी को फायदा हुआ। इसके अलावा, पूर्वांचली वोटर्स भी बड़े पैमाने पर BJP की तरफ खिसक गए।

3. मध्यवर्ग की नाराजगी का फायदा

दिल्ली में करीब 40% मतदाता मिडिल क्लास से आते हैं, जो अब तक बीजेपी और आप के बीच बंटे रहते थे। लेकिन इस बार बीजेपी को इस वर्ग का बड़ा समर्थन मिला। इसके पीछे कई कारण रहे- शहर का खस्ताहाल बुनियादी ढांचा, टूटी सड़कें, वायु प्रदूषण, यमुना नदी का प्रदूषण, कचरे से पटी गलियां, पानी की गुणवत्ता में गिरावट। दिल्ली में मिडिल क्लास को लगता है कि AAP ने केवल गरीबों के लिए काम किया है और गरीबों की अनदेखी की है। 8वें वेतन आयोग की घोषणा भी BJP के लिए सकारात्म रही क्योंकि बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी दिल्ली में मतदाता हैं। इसके अलावा बजट में 12 लाख तक आय पर जीरो इनकम टैक्स का ऐलान, मिडिल क्लास के लिए एक और बोनस रहा।

इस समर्थन से बीजेपी ने ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे बाहरी दिल्ली की लगभग सभी सीटों और पश्चिमी दिल्ली की लगभग पूरी सीट पर कब्जा कर लिया है।

4. ‘मुफ्त योजनाओं’ पर मास्टरस्ट्रोक

साल 2020 में बीजेपी ने AAP की मुफ्त योजनाओं को ‘रेवड़ी संस्कृति’ कहकर खारिज किया था, जो उस पर उल्टा पड़ गया था। दिल्ली के लोगों को लगा कि बीजेपी मुफ्त बिजली और पानी की सुविधा समाप्त कर देगी। लेकिन इस बार बीजेपी ने नई रणनीति अपनाई और कहा कि अगर वह सत्ता में आती है तो कोई भी मुफ्त योजना बंद नहीं की जाएगी। इसके अलावा, बीजेपी ने इन चुनावों के बाद महिलाओं के लिए 2,100 रुपये प्रति माह देने का ऐलान किया, जिसने AAP की 2100 रुपये की योजना को कड़ी टक्कर दी। ऐसे वादों के साथ, भाजपा ने दिल्ली की झुग्गियों में AAP के मूल वोट बैंट को बांट दिया और कुछ हद तक AAP से महिला मतदाताओं को भी वापस ले लिया। दिल्ली की 41 सीटों पर इस बार पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने मतदान किया, जिससे बीजेपी को फायदा मिला।

5. मोदी फैक्टर और अरविंद केजरीवाल की छवि का नुकसान

AAP के लिए अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद के सबसे बड़े दावेदार थे, लेकिन बीजेपी ने पीएम नरेंद्र मोदी को चेहरा बनाकर चुनाव लड़ा। केजरीवाल की भ्रष्टाचार से जुड़ी खबरें, ‘शीश महल’ विवाद और शराब नीति घोटाला उनकी छवि को धूमिल कर चुका था। मोदी ने ‘डबल इंजन सरकार’ का वादा किया और दिल्ली को तेजी से विकास की राह पर लाने की गारंटी दी। बीजेपी ने हर विधानसभा सीट पर जमीनी स्तर पर प्रचार किया और केजरीवाल सरकार के खिलाफ बनी ‘सत्ता-विरोधी’ लहर का फायदा उठाया।

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