Baaghi 4 Review: बॉलीवुड एक्टर टाइगर श्रॉफ 'बागी' फ्रैंचाइजी की चौथी फिल्म 'बागी 4' आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। इस फिल्म में टाइगर श्रॉफ एक बार फिर से रॉनी के किरदार में नजर आ रहे हैं। बागी फ्रैंचाइजी की चौथी फिल्म में कई बड़े एक्टर है। 'बागी 4' फिल्म से मिस यूनिवर्स हरनाज संधू अपना डेब्यू कर रही हैं। इस बार फिल्म में टाइगर श्रॉफ की टक्कर संजय दत्त से है। इस फिल्म में संजय दत्त चाको का रोल निभा रहे हैं। हरनाज संधू अपने डेब्यू फिल्म में अलीशा का किरदार निभा रही है, जिसे रॉनी से प्यार हो जाता हैं। लेकिन चाको अपनी दुश्मनी की वजह से दोनों को अलग कर देता है।
अब इस फिल्म की कहानी इसी पर टिकी है कि रॉनी किस तरह अपनी मोहब्बत को वापस पाने के लिए खलनायक से कैसे मुकाबला करता है। आइए जानते हैं कैसी है ए. हर्ष के डायरेक्शन में बनी फिल्म 'बागी 4'
फिल्म की शुरुआत कैसे होती है
बागी 4 की फिल्म की शुरुआत एक बड़े हादसे से होती है। यह शुरुआत थोड़ी रोमांचक लगती है, लेकिन जल्दी ही कमजोर पड़ जाती है। रॉनी (टाइगर श्रॉफ) बार-बार अजीबोगरीब ख्यालों में उलझ जाता है, जैसे कभी किसी का अंतिम संस्कार, कभी जोरदार धमाकों के दृश्य। सस्पेंस पैदा करने की बजाय यह हिस्सा थोड़ा बनावटी और कमजोर लगता है। फिल्म के पहले हिस्से में करीब चार गाने डाल दिए गए हैं, जो कहानी की लय तोड़ देते हैं। रॉनी और अलीशा की प्रेम कहानी को भी जरूरत से ज्यादा खींचा गया है, जहां बिना किसी गहराई के दोनों अचानक एक-दूसरे के लिए जान देने जैसी बातें करने लगते हैं, जो बेहद अटपटा लगता है।
फिल्म में सबसे कमजोर हिस्सा यह है कि रॉनी अलीशा से जुड़ी हर याद खो देता है और उसके आस-पास के लोग भी कहते हैं कि वह कभी थी ही नहीं। इन दृश्यों की डबिंग और डायलॉग काफी कमजोर हैं। थोड़ी राहत एसीपी (उपेंद्र लिमये) देते हैं, जबकि सोनम बाजवा का रोल अधूरा लगता है और खलनायक बने संजय दत्त इंटरवल से पहले बस कुछ पल के लिए दिखते हैं। फिल्म के दूसरे हिस्से में पता चलता है कि अलीशा की पहचान मिटा दी गई है, जिसके बाद रॉनी उसे ढूंढ़ने निकलता है। इस दौरान फिर कहानी में ट्विस्ट आता है। इसके बाद फिल्म अचानक एक अजीब मोड़ लेती है। जहां पर चाको के अतीत की कहानी बताई जाती है। चाको अपनी मंगेतर अवंतिका से प्यार करता था, जिसकी मौत उसकी शादी के दिन हो गई थी।
अलीशा को देखकर वह उसे अवंतिका की हमशक्ल समझ लेता है और यही वजह बनती है रॉनी से उसकी दुश्मनी की। इसके बाद फिल्म अनुमानित एक्शन, धोखे, बलिदान और भारी-भरकम क्लाइमेक्स तक पहुंचती है, जहां आखिरकार रॉनी की जीत तय हो जाती है। किसी भी बॉलीवुड फिल्म में गाने उसका मुख्य हिस्सा होते हैं, लेकिन 'बागी 4' में ये जरूरत से ज्यादा लगते हैं, मानो गानों की भरमार हो गई हो।
'बागी 4' में टाइगर श्रॉफ एक बार फिर एक्शन के दम पर फिल्म संभालने की कोशिश करते दिखे, मगर कमजोर स्क्रिप्ट ने उन्हें निराश किया और उनका एक्टिंग में दोहराव लगता है। वहीं लीड एक्ट्रेस हरनाज संधू की ये डेब्यू फिल्म उनके किरदार के इर्द-गिर्द घूमती है लेकिन उनकी शुरुआत उतनी प्रभावशाली नहीं रही जितनी होनी चाहिए थी। फिल्म में सोनम बाजवा को अहम चेहरा बताया गया, लेकिन उनकी भूमिका एक कैमियो जैसी लगी। उन्होंने अच्छा एक्टिंग की किया पर किरदार को पूरी तरह उभरने का मौका नहीं मिला।श्रेयस तलपड़े ने रॉनी के भाई जीतू का छोटा मगर अच्छा रोल निभाया, जबकि संजय दत्त ने खलनायक के तौर पर अपनी अलग छाप छोड़ी और बाकी कलाकारों से बेहतर नजर आए।
अब बात करते हैं फिल्म देखें या नहीं तो इस फिल्म में ऐसा कुछ भी नया नहीं है। लेकिन अगर आप टाइगर श्रॉफ के फैन है और एक्शन फिल्में पसंद है तो एक बार देखने का सोच सकते हैं। 'बागी 4' में बेवजह की हिंसा, ओवर द टॉप सीन और कमजोर कहानी इसे एक ड्रामा से ज्यादा थका देने वाली एक्शन वीडियो जैसा बना देते हैं। फिल्म की स्किप्ट कुछ खास नहीं है।