Asha Bhosale: अपनी सुरीली आवाज से दशकों तक संगीत जगत पर राज करने वाली दिग्गज गायिका आशा भोसले इन दिनों कुछ परेशान चल रही थी। लेकिन अब उनकी मुश्किल का हल निकल गया है। Asha Bhosale को उनके पर्सनैलिटी राइट्स के उल्लंघन मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट से अस्थायी राहत दी गई है।
उच्च न्यायालय ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) प्लेटफॉर्म्स और अन्य संस्थाओं को बिना परमिशन के आशा भोसले की आवाज का क्लोन बनाने या उनकी छवि, नाम और व्यक्तित्व जुड़ी चीजों का व्यावसायिक इस्तेमाल करने पर बैन लगा दिया गया है। अब कोई भी एआई की मदद से उनकी आवाज को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता है।
आशा भोसले ने हाल ही में पर्सनैलिटी राइट्स के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट में इस मुश्किल का हल निकाले के लिए याचिका दायर की थी। उन्होंने एक कंपनी समेत कई डिजिटल फ्लेटफॉर्म के खिलाफ कोर्ट में याचिका दी थी, जिस पर हाई कोर्ट ने अब उन्हें राहत देते हुए बड़ा फैसला सुनाया है।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस आरिफ एस डॉ. ने अपने फैसले में कहा है कि पहली नज़र में किसी सेलिब्रिटी के निजी गुणों-जैसे उनका नाम, आवाज, तस्वीरें, कार्टून या उनकी छवि-का बिना परमीशन यूज करना, उनके प्रचार और व्यक्तित्व अधिकारों का मिस यूज माना जाएगा।
कोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यक्ति की आवाज को उसकी बिना अनुमति के किसी सेलिब्रिटी की आवाज में बदलने के लिए AI टूल उपलब्ध कराना, एक फेमस इंसान के व्यक्तित्व अधिकारों का उल्लंघन माना जाएगा। ऐसे टूल सेलिब्रिटी की आवाज के बिना किसी के इस्तेमाल और उसमें छेड़छाड़ को गलत बढ़ावा देते हैं। फैसले में आगे कहा गया कि उनकी निजी पहचान और सार्वजनिक छवि सितारों का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है।
91 साल की आशा भोसले ने अपनी याचिका में बाहर की साइटों को लेकर शिकायत की थी। उन्होंने अमेरिका स्थित दो AI प्लेटफॉर्म्स - माइक इंक (Mayk Inc) समेत कई ई-कॉमर्स साइटों और कुछ लोगों पर उनकी आवाज के क्लोन वर्जन बनाने का गंभीर आरोप लगाया है।
वहीं अमेजन सेलर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और फ्लिपकार्ट इंटरनेट प्राइवेट लिमिटेड पर भी बिना अनुमति के गायिका की तस्वीर वाले पोस्टर यूज करने का आरोप लगाया है। इसके अलावा उन्होंने कई बड़ी कंपनियों के खिलाफ शिकायत भी की है। वहीं ऐश्वर्या राय बच्चन और अरिजीत सिंह के केस का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा है कि बिना अनुमति के सेलिब्रिटी की क्वालिटीज का इस्तेमाल करना पर्सनैलिटी राइट्स के खिलाफ होता है। मामले की अगली सुनवाई 13 अक्टूबर 2025 को होगी।
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