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दिल्ली-एनसीआर में H3N2 इंफ्लूएंजा की दस्तक, हल्के में न लें बुखार-जुकाम और थकान जैसे लक्षण

H3N2 फ्लू का संक्रमण लोगों को तेजी से अपना शिकार बना रहा है। इस संक्रमण के लक्षण साधारण सर्दी-जुकाम से ज्यादा गंभीर हैं। ये इंफ्लूएंजा वायरस के सबटाइप ए के कारण फैल रहा है, जिसे हॉन्ग कॉन्ग फ्लू के नाम से भी जाना जाता है। इसमें नाक, गला और फेफड़े संक्रमण का शिकार हो जाते हैं।

अपडेटेड Oct 03, 2025 पर 11:33 PM
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H3N2 फ्लू में नाक, गला और फेफड़े संक्रमण का शिकार हो जाते हैं।

H3N2 Influenza: मौसम में बदलाव शुरू हो गया है। इसके साथ ही दिल्ली-एनसीआर में सर्दी-जुकाम और बुखार के मरीज बढ़ने लगे हैं। इस समय H3N2 फ्लू का संक्रमण लोगों को तेजी से अपना शिकार बना रहा है। इस संक्रमण के लक्षण साधारण सर्दी-जुकाम से ज्यादा गंभीर हैं। इस फ्लू के शिकार कुछ लोगों की स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि उन्हें में भर्ती करना पड़ा है।

ये बीमारी इंफ्लूएंजा वायरस के सबटाइप ए के कारण फैल रही है, जिसे हॉन्ग कॉन्ग फ्लू के नाम से भी जाना जाता है। इस बीमारी में नाक, गला और फेफड़े संक्रमण का शिकार हो जाते हैं। साधारण सर्दी-जुकाम जहां 5 से 7 दिन में ठीक हो जाता है, वहीं इस संक्रमण को ठीक होने में एक से दो हफ्ते का समय लग सकताहै। एम्‍स नई दिल्ली के मेडिसिन विभाग में डॉक्‍टर नीरज निश्‍चल ने न्यूज18 हिंदी से बातचीत में इस फ्लू के लक्षणों से लेकर वैक्‍सीन, इलाज और गंभीरता पर विस्तार से बात की।

क्या है एच3एन2 इंफ्लुएंजा?

एच3एन2 वायरस इन्फ्लूएंजा ए वायरस का सबटाइप है। यह सबसे पहले साल 1968 में हांग कांग महामारी के दौरान इंसानों में पाया गया था। इसके बाद से वायरस का यह स्ट्रेन पूरी दुनिया में हर साल मौसमी फ्लू का कारण बनता है। फिलहाल भारत में यह इन्फ्लूएंजा के एच1एन1 स्ट्रेन और इन्फ्लूएंजा बी के साथ मिलकर सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला वायरस म्यूटेंट है।

कब और कैसे फैलता है?

ये वायरल संक्रमण आमतौर पर मौसम बदलने पर फैलती है। भारत में मानसून के बाद सर्दी का मौसम शुरू होने के दौरान इसके मरीज एका एक बढ़ते हैं। यह एक संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या उसके संपर्क में आने से फैलती है।


लक्षण

अचानक बुखार आना, ठंड लगना, सर्दी-खांसी, नाक बहना, गला, सिर और बदन दर्द होना और थकान इसके सामान्य लक्षण हैं। कुछ लोगों में इस संक्रमण की वजह से डायरिया और उलटी के लक्षण भी हो सकते हैं।

डॉक्टर के पास जाने में न करें देर

इससे सबसे ज्यादा प्रभावित बुजुर्ग, छोटे बच्चे और डायबिटीज, हार्ट, फेफड़े, किडनी या लिवर संबंधी गंभीर बीमारियों के शिकार लोग होते हैं। अगर सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द, लगातार तेज बुखार, कन्फ्यूजन, दौरे पड़ रहे, बेहोशी, बहुत ज्यादा थकान और कमजोरी, शरीर में पानी की कमी होने पर मेडिकल हेल्प लेने में देर न करें।

बचाव

  • बार-बार साबुन और पानी से हाथ धोना
  • मास्क पहनना
  • खांसते समय या सर्दी होने पर मुंह और नाक को ढकना
  • बीमार लोगों को आइसोलेशन में रखना

इन्हें जरूर लगानी चाहिए वैक्सीन

डॉक्टर इन्फ्लूएंजा से बचाव के लिए हर साल वैक्सीन लगवाने की सलाह देते हैं। यह फ्लू के बदलते स्ट्रेंस पर भी कारगर है। ये वैक्सीन सितंबर में लगवाना चाहिए। सीडीसी और डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइंस के अनुसार सीजनल इंफ्लूएंजा वैक्सीन 6 महीने से 5 साल के बच्चे और 65 साल या उससे ज्यादा उम्र के बुजुर्ग, प्रेग्नेंट महिलाएं, हेल्थकेयर वर्कर्स, गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों को लगवाना चाहिए।

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