आज के डिजिटल दुनिया के बच्चों के लिए होमवर्क से लेकर मनोरंजन तक सबकुछ मोबाइल पर आ गया है। हम चाहे कितना कहें कि स्क्रीन टाइम कम होना चाहिए, लेकिन बहुत छोटी उम्र के बच्चे ऑनलाइन क्लास कर रहे हैं। इससे बच्चों की आंखों पर डिजिटल दबाव पड़ रहा है, जिससे मायोपिया के मामलों में तेज इजाफा देखने को मिल रहा है। दुनिया की 40-50% आबादी 2050 तक मायोपिया से ग्रस्त हो सकती है, जिसका एक प्रमुख कारण स्क्रीन का बढ़ता इस्तेमाल है। बच्चों के लिए यह स्थिति वयस्कों से भी बदतर है, क्योंकि उनकी आंखें अभी बढ़ने की अवस्था में हैं और लंबे समय तक स्क्रीन का सामना करने के लिए पूरी तरह से परिपक्व नहीं हैं।
आई 7 हॉस्पिटल लाजपत नगर और विजन आई क्लिनिक, नई दिल्ली के वरिष्ठ कैटरेक्ट ऐंड रेटिना सर्जन, डॉ. पवन गुप्ता ने कहा कि अभी नहीं संभले तो यह समस्या बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य संकट का रूप ले सकती है। उन्होंने मनीकंट्रोल को बताया, ‘बच्चों का सिर्फ डिजिटल उपकरणों पर लंबा समय बिताना ही मायने नहीं रखता, उनके इस्तेमाल का तरीका भी अहमियत रखता है।’ लाइफस्टाइल में छोटे-छोटे बदलाव और जरूरत पड़ने पर दवाइयां लेकर इस जोखिम को कम किया जा सकता है।
डॉ. गुप्ता ने बताया, ‘बच्चों को दिन में कम से कम 1-2 घंटे बाहर खुले माहौल में खेलना चाहिए। सूरत की रोशनी मायोपिया से बचाने और आंखों की सेहत को बेहतर बनने में एक महत्वपूर्ण कारक है। बच्चे नियमित गतिविधियों के अलावा किसी भी स्पोर्ट्स एक्टिविटी, साइकिलिंग या यूं ही बस दोस्तों के साथ खेल सकते हैं।’
स्कूल के बाद स्क्रीन टाइम सीमित करें
20-20-20 नियम का पालन करें
आंखों की मांसपेशियों को आराम देने के लिए, बच्चों को 20-20-20 के नियम का पालन करना चाहिए। स्क्रीन टाइम के हर 20 मिनट बाद, कम से कम 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी चीजं को देखने की कोशिश करें। यह आसान की एक्टिविटी बच्चे की आंखों को लगातार तनाव से बचने में मदद कर सकती है।
उचित मुद्रा और दूरी बनाए रखें
ध्यान से पढ़ते समय, बच्चों को किताबों या स्क्रीन के पास एकदम नजदीक नहीं जाना चाहिए। सुरक्षित दूरी बनाए रखने से आंखों पर पड़ने वाले तनाव को दूर रखने में मदद मिलती है।
आंखें की सेहत के मुताबिक खानपान
डॉ. गुप्ता ने बताया, ‘आंखों की सेहत खानपान से प्रभावित होता है। हरी पत्तेदार सब्जियां, गुड फैट और जरूरी विटामिन आंखी की सुरक्षा में काफी मददगार हो सकते हैं।’ उदाहरण के लिए, विटामिन ए, सी और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर चीजें अपनी डाइट में शामिल करें।
नियमित रूप से करेक्टिव ग्लास पहनें
जो बच्चे चश्मा पहनते हैं, उनके लिए जरूरी है कि वे नियमित रूप से चश्मा पहनें। अगर आप इनका इस्तेमाल करना छोड़ते हैं या बहुत कम करते हैं, तो आपकी आंखों की दिक्कत और भी बदतर हो सकती है।