BMC चुनाव से पहले 'महायुति' गठबंधन में दरार! शिवसेना कार्यकर्ताओं को BJP में शामिल करने पर, शिंदे के मंत्री कैबिनेट बैठक में नहीं हुए शामिल!

BMC Election: शिवसेना के मंत्री प्रताप सरनाईक ने स्वीकार किया कि पालघर, ठाणे और अन्य जिलों में BJP की ओर से शामिल किए गए लोगों को लेकर असंतोष था। हालांकि, पार्टी में ही उनके सहयोगी उदय सामंत ने दावा किया कि कोई असंतोष नहीं था और मंत्रियों ने बैठक का बहिष्कार नहीं किया है

अपडेटेड Nov 18, 2025 पर 9:07 PM
Story continues below Advertisement
Maharashtra BMC Election: शिवसेना कार्यकर्ताओं को BJP में शामिल करने पर, शिंदे के मंत्री कैबिनेट बैठक में नहीं हुए शामिल!

महाराष्ट्र में होने वाले नगरीय निकाय चुनावों (BMC Election) से पहले सत्तारूढ़ ‘महायुति’ गठबंधन में दरार के संकेत मंगलवार को तब मिले जब शिवसेना के ज्यादातर मंत्री साप्ताहिक कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं हुए। माना जा रहा है कि सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (BJP) की ओर से राज्य के कुछ हिस्सों में शिवसेना नेताओं और कार्यकर्ताओं को पार्टी में शामिल किए जाने के विरोध में यह किया गया।

न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, शिवसेना के मंत्री प्रताप सरनाईक ने स्वीकार किया कि पालघर, ठाणे और अन्य जिलों में BJP की ओर से शामिल किए गए लोगों को लेकर असंतोष था। हालांकि, पार्टी में ही उनके सहयोगी उदय सामंत ने दावा किया कि कोई असंतोष नहीं था और मंत्रियों ने बैठक का बहिष्कार नहीं किया है।

सरनाईक ने कहा कि पार्टी प्रमुख और उपमुख्यमंत्री के नेतृत्व में शिवसेना के मंत्रियों ने बाद में इस मुद्दे पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ बैठक की और इस निर्णय के साथ एक ‘समाधान’ निकाला गया कि महायुति के सहयोगियों को एक-दूसरे के नेताओं, पदाधिकारियों या पूर्व पार्षदों को शामिल करने से बचना चाहिए।


विपक्षी शिवसेना (उबाठा) नेता आदित्य ठाकरे ने मंत्रिमंडल का बहिष्कार करने के लिए प्रतिद्वंद्वी शिवसेना के मंत्रियों की आलोचना करते हुए कहा कि यह स्वार्थी कृत्य है और लोगों का अपमान है।

यह घटनाक्रम फडणवीस के नेतृत्व वाली ‘महायुति’ सरकार की पहली वर्षगांठ से कुछ दिन पहले हुआ है।

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में भाजपा, शिवसेना के अलावा अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) शामिल हैं।

मंत्रालय (राज्य सचिवालय) में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में अपनी पार्टी से केवल उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ही शामिल हुए जो शिवसेना अध्यक्ष भी हैं।

सूत्रों ने बताया कि शिवसेना सहयोगी भाजपा को यह संदेश देना चाहती थी कि वह भाजपा द्वारा शिवसेना कार्यकर्ताओं और नेताओं को शामिल करने के कदम को स्वीकार नहीं करती।

उन्होंने बताया, ‘‘कल्याण-डोंबिवली में शिवसेना के नेताओं को भाजपा में शामिल किया जाना भी इस विरोध का एक मुख्य कारण हो सकता है।’’

उन्होंने बताया कि बाद में शिवसेना के मंत्रियों ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से उनके कक्ष में मुलाकात की और डोंबिवली के घटनाक्रम पर अपनी नाराजगी व्यक्त की, लेकिन फडणवीस ने रेखांकित किया कि शिवसेना ने सबसे पहले पड़ोसी उल्हासनगर में भाजपा सदस्यों को अपने दल में शामिल करने की शुरुआत की।

मुख्यमंत्री ने कथित तौर पर शिवसेना नेताओं से कहा कि जब उनकी पार्टी अन्य सहयोगियों के सदस्यों को अपने पाले में लेती है, तो भाजपा द्वारा ऐसा करने पर उन्हें शिकायत नहीं करनी चाहिए।

फडणवीस ने कथित तौर पर शिवसेना नेताओं से कहा कि अब से गठबंधन साझेदारों को एक-दूसरे के कार्यकर्ताओं को शामिल नहीं करना चाहिए।

उदय सामंत ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि हालांकि कैबिनेट बैठक में मंत्री मौजूद नहीं थे, लेकिन उपमुख्यमंत्री शिंदे इसमें शामिल हुए।

खुद बैठक में शामिल नहीं हुए सामंत ने कहा, ‘‘कोई असंतोष नहीं है। कैबिनेट बैठक का कोई बहिष्कार नहीं हुआ।’’

उन्होंने कहा, ‘‘शिवसेना राज्य मंत्री योगेश कदम खेड़ (रत्नागिरी में, जो उनके निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है) में हैं। (पर्यटन) शंभूराज देसाई अपने निर्वाचन क्षेत्र में हैं। (मृदा एवं जल संरक्षण मंत्री) संजय राठौड़ की मां का निधन हो गया है, इसलिए वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में हैं। मेरी नियमित जांच होनी थी, इसलिए मैं अस्पताल में था।’’

परिवहन मंत्री सरनाईक ने स्वीकार किया कि दोनों पक्ष एक-दूसरे की पार्टियों के नेताओं को शामिल किये जाने से नाराज हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘परिवार में भी समस्याएं होती हैं और यह तीन दलों की महायुति सरकार है। भावनाओं को एक-दूसरे के सामने व्यक्त किया जाना चाहिए। हमने शिंदे के साथ मुख्यमंत्री से मुलाकात की और अपनी भावनाएं साझा कीं। दस मिनट में इसका समाधान हो गया।’’

सरनाईक ने कहा कि पालघर, सोलापुर, ठाणे और कोल्हापुर जिलों में कुछ लोगों को शामिल करने को लेकर असंतोष है। उन्होंने कल्याण-डोंबिवली में भी कुछ लोगों के शामिल करने का जिक्र किया।

सरनाईक ने कहा, ‘‘स्थानीय निकाय चुनावों से पहले दलों में लोगों को शामिल करने की होड़ मची हुई है। हमारी तरफ से असंतोष था, दूसरी तरफ भी कुछ असंतोष था।’’

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री फडणवीस और उपमुख्यमंत्री शिंदे के बीच बैठक हुई और समाधान निकल आया।

सरनाईक ने कहा, ‘‘यह निर्णय लिया गया कि महायुति के नेताओं, पदाधिकारियों और पार्षदों को एक-दूसरे की पार्टियों में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। कभी-कभी कुछ बातें हो जाती हैं और गलतफहमी हो जाती है।’’

जल आपूर्ति एवं स्वच्छता मंत्री एवं शिवसेना नेता गुलाबराव पाटिल ने किसी भी असंतोष से इनकार किया।

बैठक में शामिल न होने के कारण के बारे में पूछे जाने पर पाटिल ने कहा कि वह और कुछ अन्य मंत्री पार्टी की बैठक में भाग लेने गए थे।

शिवसेना के एक अन्य मंत्री ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि कुछ मुद्दे थे जिनका अब समाधान हो गया है।

उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उन्हें कैबिनेट बैठक के दौरान किसी असंतोष का अहसास नहीं हुआ।

पवार ने कहा कि उन्हें लगता है कि शिवसेना के मंत्रियों की अनुपस्थिति 246 नगरपालिका परिषदों और 42 नगर पंचायतों के लिए 2 दिसंबर को होने वाले चुनावों के लिए नामांकन पत्रों की जांच के कारण है।

पवार ने कहा, "राकांपा के मकरंद पाटिल (मंत्रिमंडल बैठक में) अनुपस्थित थे। हसन मुश्रीफ भी जल्दी चले गए। अगर मुझे शिवसेना के मंत्रियों की नाराज़गी के बारे में पता होता, तो मैं एकनाथ शिंदे से इस बारे में पूछता। लेकिन मुझे किसी तरह की नाराज़गी का एहसास नहीं हुआ।"

इस बीच, आदित्य ठाकरे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में दावा किया कि शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी परेशान है क्योंकि भाजपा इसे विभाजित करने की कोशिश कर रही है, और आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए सीट आवंटन को लेकर भी मुद्दे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अपने स्वार्थ के लिए कैबिनेट बैठक का बहिष्कार करना महाराष्ट्र और उसकी जनता का अपमान है! कैबिनेट बैठकें जनता के मुद्दों को सुलझाने के लिए होती हैं, न कि आपके छोटे-मोटे झगड़ों को निपटाने के लिए।’’

शिवसेना (उबाठा) नेता अंबादास दानवे ने कहा कि शिवसेना के मंत्रियों की नाराजगी महाराष्ट्र की जनता को प्रभावित कर रही है।

एक अन्य शिवसेना (UBT) नेता और पूर्व सांसद चंद्रकांत खैरे ने कहा कि सत्तारूढ़ सहयोगियों के बीच कलह शुरू हो गई है और दावा किया कि ‘‘मुख्यमंत्री फडणवीस ने कथित तौर पर शिंदे गुट द्वारा शुरू किए गए सभी कार्यों को रोक दिया है।’’

West Bengal: आग से तबाह हुईं झुग्गी बस्तियां, लोगों को सता रहा SIR का डर, राख हो चुके हैं पहचान पत्र

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।