Red Fort Blast : दिल्ली ब्लास्ट केस में एक और डॉक्टर की गिरफ्तारी, जैश की लेडी कमांडर भी हिरासत में

Red Fort Blast : इस जांच के केंद्र में उत्तर प्रदेश की डॉ. शाहीन सईद हैं, जिन पर इस साजिश के फंडिंग और ऑपरेशनृ में अहम भूमिका निभाने का शक है। सूत्रों के मुताबिक, डॉ. शाहीन का संबंध डॉ. उमर से था, जो फरीदाबाद के अल-फलाह मेडिकल कॉलेज से जुड़े थे

अपडेटेड Nov 11, 2025 पर 2:10 PM
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दिल्ली के लाल किले के पास को हुए धमाके के बाद लगातार एक्शन जारी है।

Red Fort Blast : दिल्ली के लाला किले के पास सोमवार यानी 10 नवंबर 2025 को हुए धमाके ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। धमाके के करीब 18 घंटे बाद इस मामले में एक के बाद एक कई राज उजागर हो रहे हैं। वहीं दिल्ली पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की जांच कुछ महत्वपूर्ण फैक्टर्स पर आकर टिक गई है। सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता की बात यह है कि दिल्ली लाल किला विस्फोट और फरीदाबाद मॉड्यूल की जांच में डॉक्टरों सहित कई पढ़े लिखे लोगों के शामिल की बात सामने आई है। जांच में पता चला है कि इस नेटवर्क में शामिल लोग बेहद शिक्षित थे और उन्होंने अपनी पेशेवर पहचान का इस्तेमाल कानून से बचने के लिए किया।

वहीं दिल्ली ब्लास्ट केस में अब डॉ. सज्जाद अहमद माला को पुलिस ने हिरासत में लिया है। डॉ. सज्जाद अहमद माला को पुलिस ने पुलवामा से पकड़ा है।

कौन है डॉ. शाहीन सईद

इस जांच के केंद्र में उत्तर प्रदेश की डॉ. शाहीन सईद हैं, जिन पर इस साजिश के फंडिंग और ऑपरेशनृ में अहम भूमिका निभाने का शक है। सूत्रों के मुताबिक, डॉ. शाहीन का संबंध डॉ. उमर से था, जो फरीदाबाद के अल-फलाह मेडिकल कॉलेज से जुड़े थे। बता दें कि डॉ उमर ही विस्फोटकों से लदी कार चला रहा था। सूत्रों के अनुसार, डॉ. शाहीन ने जम्मू-कश्मीर के कई दौरे किए थे और अब उसकी सभी गतिविधियों की गहराई से जांच की जा रही है। जांचकर्ताओं को शक है कि वह इस हमले की योजना से पूरी तरह वाकिफ थी और इसके फंडिंग में भी उसकी अहम भूमिका थी। बताया जा रहा है कि इस मॉड्यूल ने करीब 35 से 40 लाख रुपये जुटाए थे, जिनमें से ज़्यादातर रकम शाहीन के नेटवर्क के जरिए जुटाई गई थी। इसके अलावा, फरीदाबाद में बरामद हथियारों वाला वाहन भी उसके नाम पर दर्ज मिला, जिससे साजिश में उसकी संलिप्तता और मजबूत होती दिखाई दे रही है।


जुटाया था बड़ा फंड 

अधिकारियों के अनुसार, डॉ. शाहीन ने अपनी मेडिकल पहचान और पेशेवर नेटवर्क का इस्तेमाल अपनी संदिग्ध गतिविधियों को छिपाने के लिए किया। जांच में खुलासा हुआ है कि वह और सह-आरोपी डॉ. मुज़म्मिल और डॉ. उमर एक-दूसरे से एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप के ज़रिए संपर्क में थे। वे मेडिकल वेलफेयर और एनजीओ चैनलों के नाम पर बात करते थे, लेकिन इनका इस्तेमाल अवैध धन हस्तांतरण और समन्वय के लिए किया जाता था। इन चैनलों ने समूह को एक वैध पहचान का आवरण दिया, जिससे वे सुरक्षा एजेंसियों और वित्तीय निगरानी से बचकर अपनी गतिविधियाँ चला सके।

अल-फला नेटवर्क से जुड़े तार

जांच एजेंसियां अब दिल्ली-एनसीआर के अल-फला नेटवर्क से डॉ. शाहीन के संबंधों की जांच कर रही हैं। माना जा रहा है कि यही नेटवर्क मॉड्यूल के कई सदस्यों की भर्ती और कट्टरपंथ फैलाने का केंद्र था, जहां शैक्षणिक और सामाजिक कार्यों की आड़ में चरमपंथी विचारधाराएं फैलाई जाती थीं। जांच के बढ़ने के साथ एजेंसियां अब शिक्षित और खासतौर पर संपन्न वर्ग से आने वाले लोगों के कट्टरपंथ की ओर झुकाव को लेकर चिंतित हैं। एक शिक्षित महिला डॉक्टर का आतंकी मॉड्यूल को फंड और सहयोग देना सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है, जो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए नया खतरा दर्शाता है।

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