Bale Miyan ka Mela 2025: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में इस साल सैयद सालार मसूद गाजी की याद में लगने वाला 'बाले मियां का मेला' नहीं लगेगा। ऐसा माना जाता है कि यह मेला 900 साल से भी अधिक पुराना है, जो परंपरागत रूप से बहरामपुर में राप्ती नदी के किनारे एक मैदान में आयोजित होता है। महीने भर चलने वाला यह आयोजन 18 मई से शुरू होना था। हालांकि, टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) की रिपोर्ट के अनुसार जिला प्रशासन ने बाले मियां के उर्स के लिए 19 मई को स्थानीय अवकाश घोषित किया है।
सैयद सालार मसूद गाजी (बाले मियां) को श्रद्धांजलि देने के लिए एक महीने तक चलने वाला यह वार्षिक कार्यक्रम रविवार (18 मई) को शुरू होना था। हालांकि, जिला प्रशासन ने आवश्यक अनुमति नहीं दी है, जिससे मेला प्रभावी रूप से रुक गया है।
इस महीने की शुरुआत में दरगाह मुतवल्ली मोहम्मद इस्लाम हाशमी की तरफ से की गई घोषणा के बावजूद, आयोजन स्थल पर कोई खास तैयारियां नहीं हुई हैं। जबकि समिति ने औपचारिक रूप से अनुमति के लिए आवेदन किया था, लेकिन अधिकारियों ने कथित तौर पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है। यहां मनोरंजन की सवारी और खाद्य स्टॉल लगाने सहित पारंपरिक तैयारियां कार्यक्रम स्थल पर नहीं हो पाई हैं।
हाशमी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा, "मेले पर प्रतिबंध लगाने के लिए कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया गया है। लेकिन प्रशासनिक मंजूरी न मिलने को वास्तविक रूप से इसे रद्द करने के रूप में देखा जा रहा है।" हाशमी के अनुसार, मेला 16 जून तक चलना था। हालांकि शनिवार शाम तक सामान्य चहल-पहल गायब थी। इससे संकेत मिलता है कि केवल कुछ ही श्रद्धालु प्रार्थना के लिए आ सकते हैं- मेले में आमतौर पर होने वाले उत्सवी माहौल के बिना।
पारंपरिक रूप से बाले मियां के मेले में मनोरंजन की सवारी और खाने-पीने के स्टॉल होते हैं, जो बड़ी संख्या में विशेष रूप से बच्चों को आकर्षित करते हैं। इसमें विशालकाय पहिए, ड्रैगन की सवारी और अन्य मनोरंजन मेले के मुख्य आकर्षण होते हैं।
मैदान आमतौर पर देर रात तक जीवंत रहता है। हालांकि, इस साल ऐसी कोई संभावना नहीं दिख रहा है। इस बीच, हर्बर्ट बांध के चल रहे चौड़ीकरण कार्य के कारण मेला मैदान में बड़ी मात्रा में निर्माण सामग्री जमा हो गई है। स्थानीय लोगों का अनुमान है कि परिसर में निर्माण सामग्री के चलते भी इस बार मेला आयोजित नहीं किया जा सका।
मेले के आयोजकों का दावा है कि बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश में स्थानीय अधिकारियों ने आवश्यक अनुमति नहीं दी है, जिससे ऐतिहासिक इस्लामी हस्तियों से जुड़े आयोजनों पर बढ़ते प्रतिबंधों को लेकर चिंता बढ़ गई है। यह पहली बार है जब पारंपरिक रूप से इस्लामी महीने रजब (Rajab) की 15वीं रात को आयोजित होने वाला मेला ऐसी परिस्थितियों में रोका गया है।
इससे पहले बहराइच और संभल में भी इसी तरह के व्यवधानों के बाद इससे जुड़े कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया था। इन जगहों पर इस साल गाजी की याद में कार्यक्रम भी नहीं किए गए। TOI की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि आक्रमणकारियों का महिमामंडन देशद्रोह के बराबर है, जिसे स्वतंत्र भारत बर्दाश्त नहीं करेगा।
यह बयानबाजी राज्य के अधिकारियों द्वारा भी दोहराई गई है। इसे गाजी मियां की विरासत को हाशिए पर डालने के रूप में देखा जा जा रहा है। राज्य सरकार ने महाराजा सुहेलदेव को भी बढ़ावा दिया है, जिन्हें कुछ ऐतिहासिक तथ्यों में गाजी मियां को हराने का श्रेय दिया जाता है।