Bihar Voter List Revision: 'आपको पहले ही ये कदम उठाना चाहिए था'; बिहार वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, Aadhar पर चुनाव आयोग से पूछे तीखे सवाल

Bihar Voter List Verification Row: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (10 जुलाई) को बिहार में वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन के लिए दस्तावेजों की लिस्ट में आधार कार्ड पर विचार न करने को लेकर चुनाव आयोग से सवाल किया। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा, "बिहार वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन में नागरिकता के मुद्दे को क्यों उठाया जा रहा है? यह गृह मंत्रालय का अधिकार क्षेत्र है।" वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन के खिलाफ 10 याचिकाएं दायर की गई हैं

अपडेटेड Jul 10, 2025 पर 12:59 PM
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Bihar Election 2025: चुनाव आयोग के वोटर लिस्ट रिवीजन कैंपन के तहत बिहार में BLO काम कर रहे हैं (FILE PHOTO)

Bihar Voter List Verification Row: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (10 जुलाई) को बिहार में इस साल के आखिरी में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले हो रहे वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अहम सुनवाई कीसुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि यदि आपको बिहार में मतदाता सूची वेरिफिकेशन के अंतर्गत नागरिकता की जांच करनी है, तो आपको पहले ही कदम उठाना चाहिए था। अब थोड़ी देर हो चुकी हैहालाकि शीर्ष अदालत ने कहा कि चुनाव आयोग जो कर रहा है वह संविधान के तहत आता है। कोर्ट ने कहा कि पिछली बार ऐसी कवायद 2003 में की गई थी। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उसे बिहार में वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कुछ आपत्तियां हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन के लिए दस्तावेजों की लिस्ट में आधार कार्ड पर विचार न करने को लेकर चुनाव आयोग से सवाल किया। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा, "बिहार वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन में नागरिकता के मुद्दे को क्यों उठाया जा रहा है? यह गृह मंत्रालय का अधिकार क्षेत्र है।" इस पर चुनाव आयोग ने शीर्ष अदालत से कहा कि संविधान के आर्टिकल 326 के तहत भारत में मतदाता बनने के लिए नागरिकता की जांच आवश्यक है।

नागरिकता जांच पर बड़ी टिप्पणी

जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की सुप्रीम कोर्ट पीठ बिहार वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन के चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली करीब 10 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। चुनाव आयोग ने शीर्ष अदालत में कहा कि सिर्फ आधार से नागरिकता साबित नहीं होती है। इस पर शीर्ष अदालत ने निर्वाचन आयोग से कहा कि ये काम केंद्रीय गृह मंत्रालय का है।

शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग के इस कदम के समय पर भी सवाल उठाया क्योंकि राज्य में महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव बस कुछ ही महीने दूर हैंसुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा, "यदि आपको बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के अंतर्गत नागरिकता की जांच करनी है, तो आपको पहले ही कदम उठाना चाहिए था, अब थोड़ी देर हो चुकी है।"

7.9 करोड़ नागरिक होंगे प्रभावित


सीनियर वकील राकेश द्विवेदी, के. के. वेणुगोपाल और मनिंदर सिंह भी निर्वाचन आयोग की पैरवी कर रहे हैं। एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण की अनुमति दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि समग्र एसआईआर के तहत लगभग 7.9 करोड़ नागरिक आएंगे। यहां तक कि मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड पर भी विचार नहीं किया जा रहा है।

10 याचिकाओं पर हो रही है सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले के संबंध में 10 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं। इनमें प्रमुख याचिकाकर्ता गैर-सरकारी संगठन 'एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स' है। RJD सांसद मनोज झा और तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा के अलावा, कांग्रेस के के सी वेणुगोपाल, शरद पवार नीत राकांपा गुट से सुप्रिया सुले, भाकपा से डी राजा, समाजवादी पार्टी से हरिंदर सिंह मलिक, शिवसेना (UBT) से अरविंद सावंत, झारखंड मुक्ति मोर्चा से सरफराज अहमद और भाकपा (माले) के दीपांकर भट्टाचार्य ने संयुक्त रूप से शीर्ष अदालत का रुख किया है।

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सभी नेताओं ने बिहार में वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन के लिए निर्वाचन आयोग के आदेश को चुनौती दी है। याचिका में इसे रद्द करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। बिहार में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में बुधवार को विपक्षी 'इंडिया' गठबंधन द्वारा विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची जाच के खिलाफ बुलाए गए बंद से आम जनजीवन प्रभावित रहा।

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