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'Sh*t, Sh*t... हमारे पास रनवे नहीं बचा' भारत में दो बड़े प्लेन क्रैश के बाद पायलट कैसे बने दोषी?

12 जून को अहमदाबाद एयरपोर्ट पर हुए एयर इंडिया ड्रीमलाइनर विमान क्रैश पर, जो उड़ान भरने के दौरान ही हादसे का शिकार हो गया। इस हादसे में अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है। इस हादसे में करीब 280 लोगों की मौत हो गई, जिनमें से कई लोग जमीन पर थे। पिछली दो दुर्घटनाओं की तरह इस हादसे में भी बोइंग विमान शामिल है

अपडेटेड Jun 18, 2025 पर 9:14 PM
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India Plane Crash: भारत में दो बड़े प्लेन क्रैश के बाद पायलट कैसे बने दोषी?

'Sh*t, Sh*t'... हमारे पास रनवे नहीं बचा है'- ये भारत में साल 2020 और 2010 में एयर इंडिया एक्सप्रेस से जुड़ी दो पिछली सबसे घातक दुर्घटनाओं में कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में कैद हुए पायलट के आखिरी शब्द थे। दोनों मामलों में गहन जांच में दोनों पायलट को ही दोषी ठहराया गया, जबकि बोइंग और एयरलाइन को क्लीन चिट मिल गई। लैंडिंग के दौरान हुई इन दुर्घटनाओं में कुल 176 लोगों की मौत हुई। इनमें से एक 2020 में कालीकट एयरपोर्ट पर हुई दुर्घटना में 18 लोगों की मौत हुई, जबकि मैंगलोर में 2010 में हुई दुर्घटना में 158 लोगों की जान चली गई।

अब आते हैं 12 जून को अहमदाबाद एयरपोर्ट पर हुए एयर इंडिया ड्रीमलाइनर विमान क्रैश पर, जो उड़ान भरने के दौरान ही हादसे का शिकार हो गया। इस हादसे में अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है। इस हादसे में करीब 280 लोगों की मौत हो गई, जिनमें से कई लोग जमीन पर थे। पिछली दो दुर्घटनाओं की तरह इस हादसे में भी बोइंग विमान शामिल है।

2020 एयर इंडिया एक्सप्रेस क्रैश


ये महामारी वाला दौर था, जब Covid-19 के कारण एयरस्पेस और फ्लाइट सब बंद थीं। तब एयर इंडिया एक्सप्रेस लिमिटेड का B737-800 विमान VT-AXH विदेशों में फंसे भारतियों को वापस लाने के लिए ‘वंदे भारत मिशन’ के तहत काम कर रहा था, जो कोझीकोड से उड़ान भरकर दुबई के लिए निकला और वापस कोझीकोड ही आ रहा था।

कोझिकोड में लैंड के लिए इसने दो बार कोशिश की। रनवे 28 पर उतरते समय विमान पहली कोशिश में लैंड नहीं हो पाया। दूसरी कोशिश में विमान को रनवे 10 पर लैंड कराया गया और विमान 14:10:25 UTC पर उतरा।

विमान हल्की बारिश के बीच 8,858 फीट लंबे रनवे पर लगभग 4,438 फीट की ऊंचाई पर उतरा, टेल विंड की ओर हवा की रफ्तार 15 नॉट्स थी और जमीन पर उसकी रफ्तार 165 नॉट्स थी। इन परिस्थितियों के बीच विमान को रनवे पर नहीं रोका जा सका और इसका नतीजा यह हुआ कि विमान रनवे को भी पार कर गया।

विमान 84 नॉट्स की स्पीड से रनवे 10 के एंड से बाहर निकला और फिर RESA से आगे निकल गया, जिससे ILS एंटीना और एक बाड़ टूट गई और फिर वो टेबलटॉप रनवे से नीचे गिर गया।

AAIB की ओर से की गई जांच ने निष्कर्ष निकाला कि दुर्घटना का संभावित कारण ‘पायलट फ्लाइंग’ (PF) की ओर से SOP का पालन न करना था, जिसमें उन्होंने रनवे के आधे रास्ते पर टचडाउन जोन से आगे जाकर विमान को उतारा, जबकि ‘पायलट मॉनिटरिंग’ (PM) ने ‘गो अराउंड’ के लिए कहा था, जिसके लिए अनिवार्य ‘गो अराउंड’ की जरूरत थी। ऐसे में PM के कंट्रोल संभालने और ‘गो अराउंड’ को एग्जिक्यूट करने में फेल्योर था।

एविएशन भाषा में गो-अराउंड, जिसे मिस्ड अप्रोच के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें लैंडिंग में मुश्किल आने पर विमान को फिर से लैंड कराने की कोशिश करने या किसी दूसरे एयरपोर्ट पर लैंड करने के लिए वापस से आसमान में टेकऑफ करना होता है। यह एक SPO है, जिसका इस्तेमाल तब किया जाता है, जब पायलट या एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) यह तय करता है कि परिस्थितियां सुरक्षित लैंडिंग के लिए ठीक नहीं हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ‘पायलट इन कमांड’ (PIC) को अगल दिन सुबह फ्लाइट AXB 1373 को ऑपरेट करना था, इसलिए उन्होंने एक बार नाकाम कोशिश के बाद भी कोझिकोड में भी वापस लैडिंग की, जो एक गलत तरीका था।

रिपोर्ट में कहा गया है, "PIC को कोझिकोड में इसी तरह की मौसम स्थितियों में उतरने का लंबा अनुभव था। इस अनुभव के कारण उनमें अति आत्मविश्वास पैदा हुआ, जिससे वे आत्मसंतुष्ट हो गए और उनकी सतर्कता कम हो गई, जिससे उनके काम करने और निर्णय लेने की क्षमता पर गंभीर असर पड़ा।"

रिपोर्ट में कहा गया है कि खराब (क्रू रिसोर्स मैनेजमेंट) CRM इस दुर्घटना का एक बड़ा कारण था। रिपोर्ट में कहा गया है, "दृढ़ता की कमी और कॉकपिट में ज्यादा अधिकार के कारण, फर्स्ट ऑफिसर ने गंभीर स्थिति से अच्छी तरह अवगत होने के बावजूद कंट्रोल नहीं संभाला।"

"शिट...शिट" दोनों पायलट (PF और PM) के आखिरी शब्द थे ,जो कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में रिकॉर्ड किए गए थे, जब विमान रनवे की पक्की सतह से उतर कर नरम जमीन पर पहुंचने वाला था।

2010 का एयर इंडिया एक्सप्रेस क्रैश

2010 में मैंगलोर एयरपोर्ट पर एयर इंडिया एक्सप्रेस विमान दुर्घटना के लिए भी पायलट की गलती को जिम्मेदार ठहराया गया था, जिसमें 158 लोग मारे गए थे।

अंतिम जांच रिपोर्ट में कहा गया कि फ्लाइट कमांडर ने अपने को-पायलट की चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया और दुबई से आ रहा विमान मैंगलोर के टेबल-टॉप हवाई अड्डे पर मुश्किल लैंडिंग के दौरान क्रैश हो गया और आगे निकलकर जंगल में जा गिरा।

पायलट कैप्टन ज्लाटको ग्लुसिका कथित तौर पर थकान के कारण फ्लाइट के दौरान 90 मिनट से ज्यादा समय तक सोए रहे और बाद में उन्होंने को-पायलट कैप्टन एचएस अहलूवालिया की ओर से दी गई तीन चेतावनियों पर ध्यान नहीं दिया, जिसमें उन्हें “गो-अराउंड” लेने और उतरने से मना किया गया था। उड़ान के लिए लिया गया पाथ भी गलत था।

पिछले साल बॉम्बे हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि सर्बियाई कैप्टन ज्लाटको ग्लुसिका का परिवार लगभग 4.11 करोड़ रुपए के मुआवजे का हकदार है।

जिंदा या बेसुध? हवा में मौत की आहट और दिमाग की आखिरी लड़ाई, एयर इंडिया प्लेन क्रैश से पहले कैसी होगी यात्रियों की मनोदशा

 

MoneyControl News

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First Published: Jun 18, 2025 9:12 PM

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