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Boycott Turkey : भारत में 'तुर्की के बहिष्कार' ने पकड़ा जोर, ट्रेडर टर्किस संगमरमर और सेब से बना रहे दूरी

Boycott Turkey : उदयपुर के संगमरमर के कारखानों से लेकर पुणे के फल बाजारों तक, भारतीय व्यापारी और उपभोक्ता तुर्की के सामानों से दूरी बना रहे हैं और कह रहे हैं कि बिजनेस को राष्ट्रीय हित से ऊपर नहीं रखा जाना चाहिए

अपडेटेड May 14, 2025 पर 10:22 AM
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इस बहिष्कार के पूरे जोर पर होने के कारण सेब की खुदरा कीमतों में 20-30 रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी हुई है। जबकि 10 किलोग्राम के कार्टन की थोक कीमतों में 200-300 रुपये की बढ़ोतरी हुई है

Boycott Turkey :  पहलगाम में आतंकवादी हमले और भारत के जवाबी ऑपरेशन सिंदूर के बाद अंकारा द्वारा पाकिस्तान का पक्ष लेने के कुछ दिनों बाद, भारत में तुर्की के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आर्थिक विरोध जोर पकड़ रहा है। 'तुर्की का बहिष्कार' करने का हैशटैग-शैली का ऐलान अब सोशल मीडिया के आक्रोश तक ही सीमित नहीं रह गया है। उदयपुर के संगमरमर के कारखानों से लेकर पुणे के फल बाजारों तक, भारतीय व्यापारी और उपभोक्ता तुर्की के सामानों से दूरी बना रहे हैं और कह रहे हैं कि व्यापार को राष्ट्रीय हित से ऊपर नहीं रखा जाना चाहिए।

ANI की रिपोर्ट के अनुसार तुर्की को सबसे तगड़ा झटका भारत के संगमरमर हब उदयपुर से आया है,जहां उदयपुर मार्बल प्रोसेसर्स एसोसिएशन ने भारत के सबसे बड़े संगमरमर सप्लायर तुर्की से आयात पर पूरी तरह रोक लगाने की मांग की है। यह कदम उन रिपोर्टों के बाद उठाया गया है जिनमें कहा गया था कि हाल की झड़पों में पाकिस्तान द्वारा तुर्की के अस्सिगार्ड सोंगर ड्रोनों का इस्तेमाल किया गया था।

एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सुराना ने ANI को बताया कि उनके संगठन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर तुर्की मार्बल पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। व्यापार राष्ट्र से बड़ा नहीं हो सकता।" इस संस्था के 125 सदस्य हैं और इसका कहना है कि तुर्की भारत के आयातित संगमरमर का लगभग 70 फीसदी सप्लाई करता है। इस सप्लाई की सालाना मात्रा लगभग 14-18 लाख टन है, जिसकी कीमत 2,500-3,000 करोड़ रुपये से अधिक होती है।


इस बीच, फल बाजारों से तुर्की सेब गायब हो गये हैं। टाइम ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, पुणे, मुंबई और दूसरे बड़े शहरों के व्यापारियों ने तुर्की के सेबों का स्टॉक करना बंद कर दिया है और उनकी जगह ईरान, वाशिंगटन, न्यूजीलैंड और हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड जैसे भारतीय राज्यों से सेब मंगाए हैं।

पुणे के APMC मार्केट के एक व्यापारी सुयोग ज़ेंडे ने कहा, "पुणे में तुर्की के सेब से 1,000 से 1,200 करोड़ रुपये की मौसमी कमाई होती थी। लेकिन अब इसकी मांग शून्य है।" उन्होंने कहा, "यह सिर्फ बिजनेस का मामला नहीं है, यह देशभक्ति का मामला है।"

इस बहिष्कार के पूरे जोर पर होने के कारण सेब की खुदरा कीमतों में 20-30 रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी हुई है। जबकि 10 किलोग्राम के कार्टन की थोक कीमतों में 200-300 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव, बारिश से प्रभावित सड़क मार्ग तथा कश्मीर से बाधित आपूर्ति के कारण सेब की उपलब्धता और कम हो गई है।

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यह बहिष्कार कैंपेन उरी और गलवान के बाद की भावनाओं जैसा ही है। इसका लक्ष्य सिर्फ तुर्की के निर्यात को नुकसान पहुंचाना नहीं है। उदयपुर मार्बल एसोसिएशन के महासचिव हितेश पटेल ने एएनआई से कहा, "हम दुनिया को स्पष्ट संदेश दे रहे हैं: भारत आतंकवाद का समर्थन करने वाले किसी भी देश को बर्दाश्त नहीं करेगा।"

तमाम सेक्टरों के व्यापारी अब सरकार से संगमरमर और सेब के अलावा दूसरी टर्किस वस्तुओं पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग रहे हैं, तथा तुर्की के साथ सभी तरह के आर्थिक संबंधों के पूरी तरह से खत्म करने की मांग कर रहे हैं।

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