चीन ने कथित तौर पर मई में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का इस्तेमाल अपने एडवांस हथियार सिस्टम के "असल टेस्टिंग और उसके प्रचार" के लिए किया, ऐसा एक द्विदलीय अमेरिकी आयोग ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है। अमेरिका-चीन आर्थिक और सुरक्षा समीक्षा आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, बीजिंग ने इस चार दिन के संघर्ष का इस्तेमाल अपने हथियारों की प्रगति को "परीक्षण करने और प्रचार करने" के लिए किया, जो उसके भारत के साथ चल रहे सीमा तनाव और अपने रक्षा उद्योग के विस्तार के लिए उपयोगी है।
इस झड़प में पहली बार चीन के एडवांस वेपन सिस्टम, जैसे HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम, PL-15 एयर-टू-एयर मिसाइल, और J-10 फाइटर जेट का सक्रिय युद्ध में इस्तेमाल हुआ, जो एक रिटल-वर्ल्ड फील्ड टेस्ट था।
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया, जिसमें 26 लोग मारे गए।
भारत ने इस हमले के बाद 7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में कई आतंकवादी कैंपों पर हमला किया गया।
रिपोर्ट बताती है कि जून में चीन ने पाकिस्तान को 40 J-35 पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट, KJ-500 पूर्व चेतावनी विमान, और बैलेस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम बेचने का प्रस्ताव दिया।
संघर्ष के बाद, चीनी दूतावासों ने अपने हथियार प्रणालियों की "सफलताओं" की प्रशंसा की और हथियार बिक्री को बढ़ावा देने का प्रयास किया।
रिपोर्ट ने कहा कि मई के संघर्ष को "प्रॉक्सी वार" कहना चीन की भूमिका को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करना होगा।
इसके अलावा, चीन ने फ्रांसीसी राफेल फाइटर जेट की प्रतिष्ठा को खराब करने के लिए "डिज़इन्फॉर्मेशन अभियान" चलाया। फ्रांसीसी खुफिया एजेंसी के अनुसार, चीन ने अपने J-35 फाइटर जेट को बढ़ावा देने के लिए झूठे सोशल मीडिया अकाउंट्स का इस्तेमाल कर वीडियो गेम और AI द्वारा बनाए गए "ध्वस्त" विमानों की तस्वीरें फैलाईं।
इस अभियान के तहत, चीनी दूतावास के अधिकारियों ने इंडोनेशिया को राफेल जेट की खरीद रोकने के लिए भी मनाने की कोशिश की, जबकि चीन ने इस आरोप को "डिजइन्फॉर्मेशन" करार दिया।
चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि यह आयोग हमेशा चीन के खिलाफ पूर्वाग्रह रखता है और इसकी कोई विश्वसनीयता नहीं है। उन्होंने कहा कि आयोग की रिपोर्ट खुद ही डिजइन्फॉर्मेशन है।