Delhi Weather: राजधानी की हवा पर खतरे की घंटी, रिसर्च में सामने आया डरावना सच

Delhi Weather: दिल्ली की हवा में सिर्फ धूल और धुआं नहीं, बल्कि एक ऐसा अदृश्य जहर भी घुला है जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचा रहा है। हाल ही में हुए एक बड़े अध्ययन ने इस खतरे का खुलासा किया है। रिपोर्ट के नतीजे चौंकाने वाले हैं और राजधानी के प्रदूषण को लेकर चिंता बढ़ाते हैं

अपडेटेड Sep 16, 2025 पर 9:06 AM
Story continues below Advertisement
Delhi Weather: सर्दियों और रात में हवा में पारे की मात्रा और बढ़ जाती है

दिल्ली का प्रदूषण सालभर चर्चा में बना रहता है, लेकिन इस बार खतरे की एक नई परत सामने आई है। शहर की हवा में ऐसा जहर घुला है, जो सिर्फ सांस लेने से ही शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। हाल ही में किए गए एक लंबे अध्ययन ने इस खतरे पर से पर्दा उठाया है। ये खुलासा दिल्ली के प्रदूषण को लेकर लोगों की चिंता और बढ़ा देता है। हवा में मौजूद ये अदृश्य तत्व न सिर्फ फेफड़ों को प्रभावित करता है बल्कि दिमाग और दिल तक को नुकसान पहुंचा सकता है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर ये समस्या समय पर काबू में नहीं आई, तो आने वाले सालों में हालात और बिगड़ सकते हैं। दिल्ली की हवा में छिपे इस खतरे ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि राजधानी में प्रदूषण सिर्फ धूल और धुएं की समस्या नहीं है, बल्कि ये कई गंभीर खतरों का मिश्रण है।

6 साल के अध्ययन का खुलासा


पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) ने छह साल तक लगातार दिल्ली, अहमदाबाद और पुणे की हवा का विश्लेषण किया। नतीजों के मुताबिक दिल्ली की हवा में पारा 6.9 नैनोग्राम प्रति घन मीटर पाया गया। ये मात्रा अहमदाबाद (2.1) और पुणे (1.5) से कई गुना ज्यादा है। इतना ही नहीं, ये वैश्विक स्तर की तुलना में करीब 13 गुना अधिक है।

पारा क्यों है खतरनाक?

पारा एक जहरीली धातु है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, ये मानव स्वास्थ्य के लिए 10 सबसे खतरनाक रसायनों में शामिल है। लंबे समय तक इसकी थोड़ी-सी भी मात्रा शरीर में जाने पर यह तंत्रिका तंत्र, गुर्दे, फेफड़े और दिल पर असर डाल सकती है। खासकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए ये ज्यादा खतरनाक है।

प्रदूषण के असली कारण

शोध में पाया गया कि 72% से 92% तक पारा मानव गतिविधियों से आता है। कोयला जलाना, भारी ट्रैफिक, औद्योगिक धुआं और पराली जलाना इसके बड़े कारण हैं। सर्दियों और रात में हवा में पारे की मात्रा और बढ़ जाती है क्योंकि उस समय हवा का प्रवाह धीमा हो जाता है और प्रदूषक लंबे समय तक वातावरण में बने रहते हैं। 

क्लीन फ्यूल का इस्तेमाल

अध्ययन में ये भी अच्छी खबर सामने आई कि पिछले कुछ सालों में दिल्ली की हवा में पारे का स्तर धीरे-धीरे घट रहा है। इसका कारण प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाए गए कदम, क्लीन फ्यूल का इस्तेमाल और कोयले पर निर्भरता में कमी मानी जा रही है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि दिल्ली और देश के बाकी हिस्सों में कोयले के इस्तेमाल को कम करना, साफ ऊर्जा को बढ़ावा देना और ट्रैफिक नियंत्रण जैसे उपायों से हवा में पारे की मात्रा को और घटाया जा सकता है। साथ ही, लोगों को जागरूक रहना और मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि इस जहरीली धातु से बचाव हो सके।

Cloudburst: उत्तराखंड के देहरादून में फटा बादल, अचानक आई बाढ़ और लैंडस्लाइड में दो लोग लापता

Anchal Jha

Anchal Jha

First Published: Sep 16, 2025 9:03 AM

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।