Delhi Blast: भारतीय यूजर्स तक जैश-ए-मोहम्मद पहुंचा रहा था कट्टरपंथी कंटेंट, WhatsApp चैनल हुआ ब्लॉक

Delhi Blast: ऑपरेशन सिंदूर के बाद जैश-ए-मोहम्मद ने कट्टरपंथ के प्रति संवेदनशील भारतीय स्मार्टफोन यूजर्स तक पहुंच बनाने के लिए व्हाट्सऐप का इस्तेमाल शुरू कर दिया। संगठन ने कई खुले चैनल लॉन्च किए, जिनमें से एक का नाम मरकज सैय्यदना तमीम दारी (MSTD) रखा गया था

अपडेटेड Nov 18, 2025 पर 2:44 PM
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Delhi Blast: दिल्ली बम धमाकों की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे ही आंतकियों के खतरनाक प्लान के खुलासे हो रहे हैं।

Delhi Blast: दिल्ली बम धमाकों की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे ही आंतकियों के खतरनाक प्लान के खुलासे हो रहे हैं। इस हमले में घायल दो और लोगों की मौत बीते सोमवार को हो गई है। जिससे हमले में मौतों का आंकड़ा बढ़कर 15 हो गया है। वहीं हमले को लेकर एक और बड़ा खुलासा हुआ है। जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का भारत में व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल को बढ़ावा देने वाले एक व्हाट्सऐप चैनल को अब बंद कर दिया गया है। जांच के बाद भारत में इनके इस डिजिटल प्लेटफॉर्म को व्हाट्सएप ने बंद कर दिया है

जैश के व्हाट्सऐप चैनल को किया गया बंद

इंडिया टु़डे की रिपोर्ट के मुताबिक, जैश के इस व्हाट्सऐप चैनल पर 13,000 से अधिक फॉलोअर्स थे और यह डॉक्टरों, पत्रकारों और अन्य पेशेवरों तक संगठन का प्रचार फैलाने का एक अहम ऑनलाइन साधन बन गया था। मीडिया में रिपोर्ट सामने आने के बाद व्हाट्सऐप की मूल कंपनी मेटा ने इस चैनल को हटा दिया। चैनल पर ऑडियो-वीडियो मैसेज शेयर की जाती थी, जिनका मकसद जैश-ए-मोहम्मद की सोच को अलग-अलग वर्गों तक पहुचाना था।

बालाकोट हमलों के बाद  से की थी तैयारी 


जांच में अंडरकवर रिपोर्टर्स शामिल थे, जिन्होंने 2019 के बालाकोट हमलों के बाद कई हफ्तों तक मेहनत करके पाकिस्तान में मौजूद जैश-ए-मोहम्मद के लोगों से संपर्क बनाया। टीम ने सऊदी अरब, यूएई और कतर के सिम कार्डों का उपयोग किया और पहले खुद को विश्वसनीय दिखाने के लिए नकली पहचान तैयार की। इसके बाद ही संगठन के गुर्गों ने अपने ऑपरेशनों और नुकसान से जुड़ी अहम जानकारी साझा करनी शुरू की। अब तक जैश-ए-मोहम्मद आमतौर पर आधुनिक तकनीक और खुले डिजिटल प्लेटफॉर्म से दूरी बनाए रखता था। संगठन मोबाइल फोन और इंटरनेट के इस्तेमाल को लेकर अपने लोगों को भी सावधान करता रहा है। इसके प्रमुख मसूद अज़हर की ऑनलाइन मौजूदगी भी बेहद सीमित रही, जो सिर्फ कुछ बंद टेलीग्राम ग्रुप्स और कम जाने-पहचाने ब्लॉगों तक ही सीमित थी।

2024 में ऑपरेशन सिंदूर के बाद जैश-ए-मोहम्मद के कामकाज में बड़े बदलाव देखने को मिले, क्योंकि इसके मुख्य ठिकाने को भारी नुकसान पहुंचा था। इसी बीच, 27 जून 2024 को मसूद अज़हर ने एक शादी में सार्वजनिक तौर पर दिखाई दिया और अपना भाषण रिकॉर्ड होने दिया। यह घटना संगठन की आउटरीच  रणनीति में आए नए बदलाव का संकेत मानी जा रही है।

भारतीय यूजर्स तक पहुंचने की कोशिश

ऑपरेशन सिंदूर के बाद जैश-ए-मोहम्मद ने कट्टरपंथ के प्रति संवेदनशील भारतीय स्मार्टफोन यूजर्स तक पहुच बनाने के लिए व्हाट्सऐप का इस्तेमाल शुरू कर दिया। संगठन ने कई खुले चैनल लॉन्च किए, जिनमें से एक का नाम मरकज सैय्यदना तमीम दारी (MSTD) रखा गया था। जनवरी 2024 में बनाए गए इस चैनल के कुछ ही महीनों में 13,000 से ज़्यादा फॉलोअर्स हो गए। मुख्य चैनल के साथ-साथ जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े अन्य व्हाट्सऐप चैनल, जैसे मदरसा सैय्यदना जद बिन साबित, भी बड़ी संख्या में लोगों को अपनी ओर खींच रहे थे। इन चैनलों पर लगातार धार्मिक भाषण, विचारधारात्मक संदेश और अनुयायियों को कट्टर सोच अपनाने के लिए प्रेरित करने वाली सामग्री साझा की जाती थी।

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