Red Fort Attack Update: उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) ने हाल ही में दिल्ली में हुए विस्फोट की जांच के सिलसिले में कानपुर के कार्डियोलॉजी की पढ़ाई कर रहे एक डाक्टर को हिरासत में लिया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि डॉक्टर की पहचान 32 वर्षीय डॉ. मोहम्मद आरिफ के रूप में हुई है। वह राजकीय गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल (जीएसवीएम) मेडिकल कॉलेज में डीएम (कार्डियोलॉजी) फर्स्ट ईयर का छात्र है। उसे एक अज्ञात स्थान से हिरासत में लिया गया।
बाद में एटीएस की एक टीम ने नजीराबाद के अशोक नगर स्थित उनके किराए के आवास की तलाशी ली। फोरेंसिक जांच के लिए उनका मोबाइल फोन और लैपटॉप जब्त कर लिया। इसके बाद उसे पूछताछ के लिए दिल्ली ले जाया गया। अधिकारी ने आगे कहा, "उनका दिल्ली विस्फोट मामले में पहले से गिरफ्तार लोगों से आमना-सामना कराया जा सकता है।"
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग का रहने वाला 32 वर्षीय डॉ. मोहम्मद आरिफ जीएसवीएम की पूर्व प्रोफेसर डॉ. शाहीन सईद से पूछताछ के दौरान हुए खुलासों के बाद एटीएस की रडार पर आया। उन्हें इसी मामले में पहले गिरफ्तार किया गया था। जाचकर्ताओं को संदेह है कि आरिफ, डॉ. शाहीन और उनके भाई डॉ. परवेज के साथ लगातार संपर्क में था। दोनों से गहन पूछताछ की गई है।
दिल्ली ब्लास्ट से क्या है कनेक्शन?
सूत्रों ने बताया कि दिल्ली में लाल किले के पास हुए विस्फोट के दिन आरिफ, डॉ. शाहीन के नेटवर्क से कथित तौर पर जुड़े लोगों के साथ फोन पर संपर्क में था। उसने हाल ही में जम्मू-कश्मीर का भी दौरा किया था, जिससे संदेह और बढ़ गया। जब एटीएस के जवान उसके घर पहुंचे, तो उसने कथित तौर पर अपने फोन से डेटा डिलीट करने की कोशिश की। लेकिन अधिकारियों ने समय रहते डिवाइस को जब्त कर लिया।
उसके कॉल रिकॉर्ड और चैट के विश्लेषण से कथित मास्टरमाइंड और अन्य संदिग्धों के साथ उसके संपर्क का संकेत मिला है। जांचकर्ताओं का मानना है कि आतंकी समूह ने ड्राफ्ट संदेशों का आदान-प्रदान करने के लिए एक साझा ईमेल आईडी का इस्तेमाल किया. ये अक्सर आतंकवादी संगठन इलेक्ट्रॉनिक निगरानी से बचने के लिए अपनाते हैं।
इस घटना से जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों और छात्रों में खासकर कार्डियोलॉजी विभाग में बेचैनी फैल गई है। आरिफ ने तीन महीने पहले ऑल इंडिया काउंसलिंग के जरिए एडमिशन लिया था। इस घटना की पुष्टि करते हुए मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (कार्डियोलॉजी) डॉ. ज्ञानेंद्र ने कहा, "डॉ. आरिफ ने तीन महीने पहले ऑल इंडिया काउंसलिंग के ज़रिए यहां एडमिशन लिया था।"
किसी से नहीं करता है बातचीत
उन्होंने पीटीआई से कहा, "वह कल दोपहर ड्यूटी पर थे और बाद में कैंपस के बाहर अपने आवास पर चले गए। शाम लगभग 7 बजे हमें बताया गया कि एक टीम उन्हें पूछताछ के लिए ले गई है। वह कश्मीर से थे। वह कैंपस के बाहर रहते थे। वह आते, चुपचाप काम करते और चले जाते थे।"
डॉ. ज्ञानेंद्र ने कहा कि एहतियात के तौर पर पहले, दूसरे और थर्ड ईयर के सभी कार्डियोलॉजी छात्रों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी गई है। आरिफ के मकान मालिक कन्हैया लाल ने बताया कि डॉक्टर लगभग एक महीने से उनके घर की दूसरी मंजिल पर एक अन्य डॉक्टर अभिषेक के साथ किराए पर रह रहे थे।
कन्हैया लाल ने पत्रकारों को बताया, "शाम करीब साढ़े सात बजे, चार सदस्यों की एक टीम सीधे उसके कमरे में आई। उनके पास पहले से ही चाबियां थीं। उन्होंने पूरे कमरे की तलाशी ली। उसे फिर से बंद कर दिया और चुपचाप चले गए।"
किससे करता था मुलाकात?
उन्होंने आगे बताया कि आरिफ ने कमरा किराए पर लेने से पहले अपना पहचान पत्र जमा कर दिया था। उन्होंने कभी कोई संदिग्ध गतिविधि या असामान्य विजिटर्स नहीं देखे। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर पुष्टि की है कि आरिफ को कानपुर में हिरासत में लिया गया था। बाद में आगे की पूछताछ के लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों को सौंप दिया गया।
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कानपुर के पुलिस आयुक्त रघुबीर लाल ने पीटीआई को बताया कि उन्हें हिरासत की सूचना मिली थी। उन्होंने रिपोर्टों की पुष्टि के लिए एक टीम भेजी थी। इस बीच, एटीएस और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की टीमें डॉ. शाहीन के नेटवर्क से जुड़े किसी भी अतिरिक्त लिंक का पता लगाने के लिए कानपुर में अभियान जारी रखे हुए हैं। अधिकारियों ने संकेत दिया कि जांच आगे बढ़ने पर और नाम सामने आ सकते हैं।
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