Delhi Car Blast: गुरुग्राम से दिल्ली, अंबाला से जम्मू-कश्मीर, लाल किला धमाके की 'टेरर कार' के पूरे रूट का खुलासा

Delhi Car Blast: विस्फोट के बाद जब पुलिस ने सलमान से संपर्क किया, तो उसने बताया कि उसने कार ओखला के रहने वाले देवेंद्र को बेच दी थी। देवेंद्र ने इसे अंबाला के एक व्यक्ति को बेच दिया, जिसने बाद में इसे जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आमिर को बेच दिया

अपडेटेड Nov 11, 2025 पर 3:39 PM
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Delhi Car Blast: गुरुग्राम से दिल्ली से अंबाला से जम्मू-कश्मीर, लाल किला धमाके की 'टेरर कार' के पूरे रूट का खुलासा

दिल्ली के प्रतिष्ठित लाल किले के पास कल शाम हुए चौंकाने वाले विस्फोट की जांच का शरुआती प्वाइंट उस सफेद i20 कार के क्षतिग्रस्त अवशेष थे, जिसमें विस्फोटक रखे गए थे। जांचकर्ताओं ने विस्फोट की साजिश का पर्दाफाश करने के लिए कार का पता लगाया, जिसने देश को हिलाकर रख दिया था और भारत के सुरक्षा एजेंसियों में खतरे की घंटी बजा दी थी।

HR26CE7674 रजिस्ट्रेशन नंबर वाली यह कार 2013 में बनी थी। इसे 2014 में सलमान के नाम पर रजिस्टर किया गया था और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट में लिखा है कि वह कार के दूसरे मालिक थे। सर्टिफिकेट में लिखा था कि सलमान गुरुग्राम में रहते थे।

गुरुग्राम से दिल्ली से अंबाला से जम्मू-कश्मीर


विस्फोट के बाद जब पुलिस ने सलमान से संपर्क किया, तो उसने बताया कि उसने कार ओखला के रहने वाले देवेंद्र को बेच दी थी। देवेंद्र ने इसे अंबाला के एक व्यक्ति को बेच दिया, जिसने बाद में इसे जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आमिर को बेच दिया।

आमिर से कार फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में काम करने वाले डॉ. उमर मोहम्मद के पास पहुंची। ऐसा शक है कि विस्फोट के समय उमर ही कार चला रहा था। सुरक्षा एजेंसियां इस बात की भी जांच कर रही हैं कि क्या यह आत्मघाती बम विस्फोट का मामला था।

कागजों पर एक ही मालिक, कई ड्राइवर

कार के इतने मालिक बदलने और एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के बावजूद, यह सलमान के नाम पर ही रजिस्टर्ड रही। जानकारों का कहना है कि सेकेंड-हैंड कार इंडस्ट्री में यह कोई असामान्य बात नहीं है और अक्सर दस्तावेजों की लागत से बचने के लिए बिना दोबारा रजिस्ट्रेशन कराए ही गाड़ियां खरीदी और बेची जाती हैं।

आपराधिक तत्व अक्सर बिना पेपर वाली गाड़ियों की तलाश करते हैं ताकि उनका पता न लगाया जा सके। और पुरानी कारों के डीलर, पैसे बचाने के चक्कर में, रजिस्ट्रेशन की भी परवाह नहीं करते। नतीजा: गाड़ियों से जुड़ा कोई भी अपराध, जांचकर्ताओं को कागजों पर लिखे असली मालिक तक पहुंचा देता है।

तीन घंटे तक गाड़ी में बैठ रहा ड्राइवर

जांचकर्ताओं ने उस रास्ते की पहचान कर ली है, जिससे सफेद i20 कार विस्फोट स्थल, नेताजी सुभाष मार्ग के ट्रैफिक सिग्नल तक पहुंची थी। अब तक की जांच के अनुसार, मौत का यह सिलसिला फरीदाबाद से शुरू हुआ। कार बदरपुर बॉर्डर से राष्ट्रीय राजधानी में दाखिल हुई, फिर सराय काले खां, व्यस्त ITO चौराहे से होते हुए लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास एक पार्किंग स्थल पर पहुंची।

CCTV फुटेज में कार कल दोपहर 3.19 बजे पार्किंग में दाखिल होती दिखाई दे रही है। अगले तीन घंटे तक कार पार्किंग में ही रही। जांच से पता चला है कि इस दौरान ड्राइवर गाड़ी से बाहर भी नहीं निकला, क्योंकि वह कार को अकेला नहीं छोड़ना चाहता था। शाम करीब 6.28 बजे कार पार्किंग से निकलकर ट्रैफिक सिग्नल के पास पहुंची। शाम 6.52 बजे कार में विस्फोट हो गया और कई गाड़ियां इसकी चपेट में आ गईं।

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