दिल्ली के लाल किले के पास एक i20 कार में हुए धमाके में 12 लोगों की मौत के दो दिन बाद, जम्मू-कश्मीर पुलिस एक और कार- Maruti Brezza की तलाश में है, जिसके बारे में माना जा रहा है कि उसमें भी विस्फोटक है और उसका संबंध फरीदाबाद मॉड्यूल पर कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार की गई दो महिला डॉक्टरों में से एक से है।
CNN-News18 ने बताया कि जांच एक सुनियोजित नेटवर्क की ओर इशारा करती है, जिसे मौलवी इरफान की देखरेख में कट्टरपंथी बनाया गया है। इरफान पर आरोप है कि उसने श्रीनगर के एक अस्पताल में अपने कार्यकाल के दौरान इस ग्रुप को ट्रोनिंग दी थी।
जांचकर्ताओं के अनुसार, गिरफ्तार किए गए लोग एक बड़े संगठन के मुख्य समूह का हिस्सा हैं, जिसका मकसद भारत में बड़े पैमाने पर आतंकवादी हमले करना था। इंटरसेप्ट किए गए कम्युनिकेशन और पूछताछ रिपोर्टों से पता चला है कि ये सदस्य कथित तौर पर ‘गजवा-ए-हिंद’ की विचारधारा से प्रभावित थे और उनमें हिंदू विरोधी भावनाएं प्रबल थीं।
श्रीनगर और अनंतनाग की रहने वाली ये दोनों महिला डॉक्टर नेटवर्क के लिए लॉजिस्टिक्स, फंड मूवमेंट और ऑनलाइन कम्युनिकेशन के कॉर्डिनेशन के लिए जिम्मेदार थीं। डिजिटल फोरेंसिक विश्लेषण से 400 से ज्यादा एन्क्रिप्टेड चैट का पता चला है, जिनमें महिलाएं फंड मूवमेंट, सुरक्षित ठिकानों और भर्ती योजनाओं पर चर्चा करती थीं।
सूत्रों का कहना है कि डॉक्टरों में से एक ने 2023 और 2024 के बीच इस्तांबुल और दोहा से डिजिटल वॉलेट के माध्यम से कई विदेशी धन प्राप्त किए थे, जिन्हें अब संभावित विदेशी ऑपरेटरों तक पहुंचाया जा रहा है।
26/11 जैसे हमले की थी तैयारी?
NDTV के अनुसार, सोमवार शाम हुए विस्फोट की जांच से पता चला है कि आतंकी मॉड्यूल 2008 के मुंबई आतंकी हमले की तर्ज पर दिल्ली में कई समन्वित हमलों की योजना बना रहा था। उनकी हिट लिस्ट में राजधानी के कुछ सबसे प्रतिष्ठित और भीड़-भाड़ वाली जगह—लाल किला, इंडिया गेट, कॉन्स्टिट्यूशन क्लब और गौरी शंकर मंदिर—के साथ-साथ भारत भर के कई शहरों के रेलवे स्टेशनों और शॉपिंग मॉल पर हमले की योजना भी शामिल थी।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि समूह न केवल दिल्ली, बल्कि गुरुग्राम और फरीदाबाद में भी हाई-प्रोफाइल जगहों पर हमला करने के इरादे से लगभग 200 शक्तिशाली इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) इकट्ठा कर रहा था।
सूत्रों ने खुलासा किया कि आतंकवादी धार्मिक स्थलों पर हमला करके सांप्रदायिक अशांति फैलाने की साजिश रच रहे थे, और जम्मू-कश्मीर के पुलवामा, शोपियां और अनंतनाग से कुछ कट्टरपंथी डॉक्टरों को उनके "व्हाइट कॉलर" कवर के कारण इस ऑपरेशन के लिए भर्ती किया गया था।
समूह ने फरीदाबाद में जल्द ही अपना ठिकाना बना लिया, डॉक्टरों की पेशेवर हैसियत का फायदा उठाकर बिना किसी की नजर में आए पूरे NCR में बेरोकटोक घूमते रहे। उन्होंने धौज और फतेहपुर तगा में कमरे किराए पर लेकर विस्फोटक रखे और स्थानीय अधिकारियों की नजरों से बचकर अपनी गतिविधियां चलाते रहे।