Dharmasthala Mass Burial: धर्मस्थल सामूहिक कब्र के मामले में आया नया मोड़, SIT ने शिकायत करने वाले को ही बनाया आरोपी!

Dharmasthala Mass Burial: इस मामले की शुरुआत 3 जुलाी 2025 में हुई थी, जब चिन्नय्या ने आरोप लगाया था कि उसने 1995 से 2014 के बीच मंदिर परिसर में सैकड़ों शव दफनाए, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और नाबालिग शामिल थीं, जिनके शरीर पर यौन उत्पीड़न और गला घोटने के निशान थे। उसने अदालत में कुछ मानव अवशेष भी पेश किए थे

अपडेटेड Nov 21, 2025 पर 2:55 PM
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Dharmasthala Mass Burial: धर्मस्थल सामूहिक कब्र के मामले में आया नया मोड़, SIT ने शिकायत करने वाले को ही बनाया आरोपी!

कर्नाटक के धर्मस्थल नाम के मंदिर नगर बेल्थांगडी में कथित सामूहिक दफन मामले की हाई लेवल जांच ने एक नाटकीय मोड़ ले लिया है। विशेष जांच दल (SIT) ने एक रिपोर्ट दायर की है, जिसमें इस केस के पहले गवाह और शिकायतकर्ता को ही आरोपी बनाया गया है। उसके पांच और लोगों को भी आरोपी बनाया है। यह रिपोर्ट भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 215 के तहत स्थानीय बेल्थांगडी अदालत में पेश की गई, जो फर्जी सबूतों से जुड़े अपराधों से संबंधित है।

इस मामले की शुरुआत 3 जुलाी 2025 में हुई थी, जब चिन्नय्या ने आरोप लगाया था कि उसने 1995 से 2014 के बीच मंदिर परिसर में सैकड़ों शव दफनाए, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और नाबालिग शामिल थीं, जिनके शरीर पर यौन उत्पीड़न और गला घोटने के निशान थे। उसने अदालत में कुछ मानव अवशेष भी पेश किए थे। इस दावे से कर्नाटक में बहुत बड़ा राजनीतिक और सामाजिक हंगामा मचा।

आरोपी सफाईकर्मी ने बताया कि उसे मौत की धमकी दी जाती थी और वह परिवार की सुरक्षा के लिए सालों तक छुपा रहा। कर्नाटक सरकार ने मामले की जांच के लिए एक SIT बनाई।


SIT ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए 17 जगहों पर खुदाई की, जहां से कुछ अवशेष बरामद हुए, लेकिन चिन्नय्या के कुछ दावे गलत पाए गए, क्योंकि वहां से कुछ भी नहीं मिला।

बाद में फोरेंसिक जांच में पता चला कि चिन्नय्या की ओर से अदालत में पेश की गई खोपड़ी एक पुरुष की थी, जबकि उसने दावा किया था कि वह एक महिला की है। इसके अलावा, उसके कई आरोपों का समर्थन उसके पूर्व सहयोगियों ने भी किया, लेकिन जांच में ऐसा कुछ नहीं मिला।

चिन्नय्या को झूठी गवाही और सबूत फर्जीवाड़े के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। उसने माना कि उसने दबाव में आकर गलत बयान दिए। उसके अलावा अन्य पांच नामजद आरोपियों की पहचान महेश शेट्टी तिमारोडी, गिरीश मत्तनवर, विट्ठल गौड़ा, जयंत टी और सुजाता गौड़ा के रूप में हुई है।

इन व्यक्तियों ने संदिग्ध सामूहिक कब्रों की जांच के लिए एक अभियान चलाने में अहम भूमिका निभाई थी। माना जाता है कि इनमें से कुछ स्थानीय कार्यकर्ता हैं या जनहित याचिका दायर करने वाले हैं।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 215 के तहत रिपोर्ट दाखिल करने का मतलब है कि विशेष जांच दल (SIT) का मानना है कि रिपोर्ट में नामित व्यक्ति गलत जानकारी देने, सबूत छुपाने या जांच को गुमराह करने में शामिल हो सकते हैं। इस धारा के अनुसार, ऐसे अपराधों में कोर्ट तभी कार्रवाई करता है, जब संबंधित लोक सेवक या प्राधिकृत अधिकारी की लिखित शिकायत हो। इसका उद्देश्य जांच और न्याय की प्रक्रिया में हेरफेर और झूठी गवाही को रोकना है। इसलिए SIT ने आरोपियों के खिलाफ यह रिपोर्ट दर्ज कर इसे गंभीरता से जांचने का संदेश दिया है।​

SIT ने जमीन पर खुदाई की और फोरेंसिक जांच की। दो जगहों से कुछ मानव अवशेष भी मिले, जिनमें सात खोपड़ियां शामिल हैं। जांच एजेंसी इस बात का पता लगा रही है कि ये अवशेष इंसानी हैं या नहीं, उनकी उम्र और मौत का कारण क्या है।

शिकायतकर्ता और उसके सहयोगियों को आरोपी बना कर, SIT यह संकेत दे रही है कि सामूहिक कब्र के दावे मनगढ़ंत हो सकते हैं या किसी गुप्त उद्देश्य से गलत तरीक से बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए गए होंगे।

ऐसे में अभियुक्तों को अपने दावों को सही साबित करना होगा, जबकि SIT से अब उन सबूतों का ब्यौरा देने की उम्मीद की जा रही है, जिनके आधार पर उसने शिकायतकर्ता को ही आरोपी बनाया है। बेल्थांगडी अदालत को अब अभियुक्तों के खिलाफ आगे की कार्रवाई तय करने के लिए BNSS रिपोर्ट की समीक्षा करने का काम सौंपा गया है।

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