Dhurandhar Film Row: दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार (1 दिसंबर) को सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) से कहा कि वह फिल्म 'धुरंधर' को सर्टिफिकेट देते समय जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ अभियान के दौरान शहीद हुए मेजर मोहित शर्मा के माता-पिता की आपत्तियों पर विचार करे। रणवीर सिंह की यह फिल्म पांच दिसंबर को रिलीज होने वाली है। मेजर शर्मा 2009 में कश्मीर घाटी में आतंकवादी ग्रुप्स को टारगेट करते हुए ऑपरेशन करते समय ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए थे।
याचिका में क्या कहा गया है?
माता-पिता ने कुछ दिन पहले दिल्ली हाई कोर्ट में एक अर्जी दी थी। इसमें कहा गया था कि यह फिल्म उनके दिवंगत बेटे की जिंदगी और सीक्रेट ऑपरेशन पर उनकी इजाजत के बिना बनाई गई है। इसके अलावा, अर्जी में कहा गया कि ट्रेलर में मिलिट्री टैक्टिक्स और ऑपरेशन में शामिल असली लोगों को दिखाया गया है। उन्होंने कहा कि यह नेशनल सिक्योरिटी के लिए चिंता की बात हो सकती है।
जस्टिस सचिन दत्ता ने सीबीएफसी को निर्देश दिया है कि वह फिल्म सर्टिफिकेशन पर निर्णय लेने से पहले शर्मा के अभिभावकों द्वारा की गई शिकायतों पर विचार कर उनकी जांच करे। इसके साथ ही अदालत ने याचिका का निपटारा कर दिया। अदालत ने कहा, "याचिका का निस्तारण इस निर्देश के साथ किया जाता है कि सीबीएफसी सर्टिफिकेशन देने से पहले याचिकाकर्ता की चिंताओं सहित मामले के सभी पहलुओं पर विचार करेगा।"
फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग
मेजर शर्मा के माता-पिता ने फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने दावा किया है कि यह फिल्म सीधे तौर पर मेजर शर्मा के जीवन से प्रेरित लगती है। इसे परिवार या सेना की सहमति के बिना बनाया गया है। याचिका में कहा गया है कि फिल्म का ट्रेलर वास्तविक जीवन के अभियानों और मेजर शर्मा के बलिदान को प्रतिबिंबित करती है।
याचिका में कहा गया है, "यह फिल्म मेजर शर्मा के जीवन, व्यक्तित्व, गुप्त अभियानों और शहादत से सीधे प्रेरित प्रतीत होती है। इसके लिए परिवार या भारतीय सेना से कोई सहमति, सलाह, सत्यापन या पूर्व अनुमति नहीं ली गई है।" परिवार ने दलील दी है कि बिना अनुमति के ऐसा चित्रण उनकी निजता, गरिमा, प्रतिष्ठा तथा संविधान के आर्टिकल 21 के तहत शहीद के मरणोपरांत व्यक्तित्व के अधिकार का उल्लंघन करता है।
सुनवाई के दौरान सीबीएफसी के वकील ने अदालत को बताया कि उन्होंने अभी तक फिल्म को सर्टिफिकेट नहीं दिया है। निर्माता ने स्पष्ट कर दिया है कि यह फिल्म किसी के जीवन पर आधारित नहीं है। निर्माता Jio Studios के वकील ने यह भी दावा किया कि यह फिल्म कोई बायोपिक नहीं, बल्कि एक काल्पनिक रचना है। जियो स्टूडियो ने कहा कि शर्मा के जीवन पर बिल्कुल भी आधारित नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि सीबीएफसी ने भी कुछ सीन को हटाने की सिफारिश की थी।
याचिका में राष्ट्रीय सुरक्षा के संबंध में भी गंभीर चिंताएं जताई गई थी। फिल्म में संवेदनशील सैन्य अभियानों, घुसपैठ के गोपनीय तरीकों, एंटी टेरर रणनीतियों, विशेष बलों की कार्यप्रणाली और भारत के सुरक्षा तंत्र की आंतरिक संरचना को दर्शाया गया है। इसमें केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, सीबीएफसी, सेना के अतिरिक्त लोक सूचना महानिदेशालय, फिल्म के निर्देशक और सह-निर्माता आदित्य धर और जियो स्टूडियोज को प्रतिवादी बनाया गया था।
याचिका में फिल्म की व्यावसायिक रिलीज पर रोक लगाने की मांग की गई थी। वैकल्पिक रूप से इसमें सार्वजनिक रिलीज से पहले परिवार के लिए एक निजी स्क्रीनिंग के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। साथ ही यह भी कहा गया था कि किसी वास्तविक सैन्य शहीद को चित्रित करने वाली कोई भी फिल्म कानूनी उत्तराधिकारियों और सेना से उचित प्राधिकरण के बिना रिलीज नहीं की जा सकती है।