दिल्ली-NCR में एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए। ये दो दिनों में दूसरी बार था, जब धरती कांपी। इस बार भी भूकंप केंद्र हरियाणा का झज्जर था, जहां शुक्रवार शाम 3.7 तीव्रता का भूकंप आने के बाद दिल्ली में भी झटके महसूस किए गए। दो दिनों में हरियाणा में आया यह दूसरा भूकंप था। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने बताया कि भूकंप शाम 7.49 बजे 10 किलोमीटर की गहराई पर आया।
कल सुबह 10 जुलाई को भी झज्जर के पास 4.4 तीव्रता का भूकंप आया, जिससे पूरे दिल्ली-NCR और आस पास के इलाकों में तेज झटके महसूस किए गए।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली भूकंप के खतरे वाले इलाकों में आती है, क्योंकि यह सिस्मिक जोन IV में है। दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के अनुसार, इस इलाके में भूकंप की संभावना काफी ज्यादा होती है। यहां आमतौर पर 5 से 6 मैग्नीट्यूड के बीच भूकंप आते हैं, और कभी-कभी 7 से 8 मैग्नीट्यूड तक के भी भूकंप हो सकते हैं। हालांकि, भूकंप के जोनिंग का काम लगातार चलता रहता है और समय-समय पर इसमें बदलाव होता रहता है।
उत्तर भारत में, खासकर हिमालय क्षेत्र में भूकंप आने का कारण भारतीय प्लेट का यूरेशियन प्लेट से टकराव है। ये टकराती हुई प्लेटें एक तरह से स्प्रिंग की तरह सिकुड़ती और एनर्जी स्टोर करती हैं। जब इन प्लेटों के किनारे अचानक फिसलते हैं और जमा हुई ऊर्जा रिलीज होती है, तब भूकंप आता है।
भूकंप तब आता है जब पृथ्वी की सतह के नीचे बड़ी चट्टानें या प्लेटें हिलती या फिसलती हैं। पृथ्वी की सतह कई बड़ी- बड़ी प्लेटों से बनी होती है, जो धीरे-धीरे एक-दूसरे से टकराती या अलग होती हैं। जब ये प्लेटें अचानक फिसलती हैं या टकराती हैं, तो उनके अंदर स्टोर हुई एनर्जी अचानक बाहर निकलती है। इसी एनर्जी के कारण जमीन हिलने लगती है, जिसे हम भूकंप कहते हैं।