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'डिजिटल अरेस्ट' कर छीन ली जिंदगी भर की कमाई, पूर्व बैंकर ने गंवाए ₹23 करोड़, जानिए ऑनलाइन फ्रॉड की रुला देने वाली कहानी

Online Scam: नरेश मल्होत्रा की शिकायत के बाद, दिल्ली पुलिस की साइबर धोखाधड़ी से निपटने वाली यूनिट इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रेटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) ने मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने बताया कि उन्होंने कई बैंक खातों में ₹2.67 करोड़ फ्रीज कर दिए हैं

Curated By: Abhishek Guptaअपडेटेड Sep 24, 2025 पर 2:51 PM
'डिजिटल अरेस्ट' कर छीन ली जिंदगी भर की कमाई, पूर्व बैंकर ने गंवाए ₹23 करोड़, जानिए ऑनलाइन फ्रॉड की रुला देने वाली कहानी
हर ट्रांसफर के बाद जालसाज उन्हें आरबीआई के फर्जी सर्टिफिकेट भेजते थे और वादा करते थे कि उनका पैसा एक नोडल अधिकारी द्वारा लौटा दिया जाएगा

Digital Arrest Fraud: ऑनलाइन धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों के बीच, एक सेवानिवृत्त बैंकर ने अपनी दर्दनाक कहानी बयां की है। उन्होंने बताया कि कैसे 'डिजिटल अरेस्ट' के जाल में फंसकर उन्होंने अपनी जिंदगी भर की कमाई, ₹23 करोड़ गंवा दिए। नरेश मल्होत्रा नाम के 78 वर्षीय इस बुजुर्ग ने बताया कि जालसाजों ने उन्हें एक महीने से भी ज्यादा समय तक अपने घर में ही 'कैद' रखा और धीरे-धीरे उनकी जिंदगी भर की पूरी बचत लूट ली। आइए आपको बताते हैं इस ऑनलाइन लूट की पूरी कहानी।

'आतंकी फंडिंग में इस्तेमाल हुआ है आपका आधार...'

इस धोखाधड़ी की शुरुआत 1 अगस्त को हुई, जब मल्होत्रा को एक ऐसे व्यक्ति का फोन आया जिसने खुद को एक मोबाइल कंपनी का कर्मचारी बताया। उसने दावा किया कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल मुंबई में आतंकी फंडिंग के मामलों में हुआ है। मल्होत्रा ने पीटीआई को बताया, 'उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे इस मामले में मुंबई पुलिस से बात करनी होगी। अगर वे मंजूरी देते हैं, तो मेरा कनेक्शन चालू रहेगा, वरना इसे काट दिया जाएगा और मामले की रिपोर्ट की जाएगी।'

इसके बाद, उन्हें मुंबई पुलिस अधिकारी बनकर बात कर रहे लोगों से जोड़ा गया। उन लोगों ने फिर से यही दावा दोहराया कि उनका आधार 'आतंकी फंडिंग और कई अन्य गंभीर अपराधों' में इस्तेमाल हुआ है। उन्होंने मल्होत्रा को यह बात किसी को भी बताने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी और उनके बैंक खातों में जमा पैसों के बारे में पूछताछ शुरू कर दी।

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