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Bihar Elections 2025: क्या प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति की दिशा बदलने में सफल होंगे?

किशोर ने अपनी पार्टी जन सुराज के जरिए बिहार के लोगों की बुनियादी जरूरतों को उजागर करने की कोशिश की है। वह बिहार की राजनीति को जाति और वंशवाद के चंगुल से निकालकर एक नई राह पर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने करीब तीन साल तक पूरे बिहार की पदयात्रा की है

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 27, 2025 पर 10:00 PM
Bihar Elections 2025: क्या प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति की दिशा बदलने में सफल होंगे?
किशोर ने पहले दो साल तक राज्य का दौरा किया, लोगों की नब्ज पकड़ने की कोशिश की। फिर अक्टूबर 2024 में जन सुराज की स्थापना की।

बिहार में विधानसभा चुनावों का ऐलान अक्टूबर के पहले हफ्ते में हो सकता है। इस बार के बिहार विधानसभा चुनावों को सबसे मुश्किल माना जा रहा है। इस बार न सिर्फ बिहार के लोगों की बल्कि देशभर के लोगों की नजरें इस चुनाव और इसके नतीजों पर लगी हैं। इसकी कई वजहें हैं।

यह मई में ऑपरेशन सिंदूर के बाद किसी राज्य में होने वाला पहला चुनाव है। महागठबंधन ने 'वोट चोरी' के आरोपों को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाया है। इस बार Bihar में चुनावों के दौरान लोगों के बीच एक नया चेहरा है। वह चेहरा प्रशांत किशोर का है, जिन्हें पीके कहा जाता है। अब तक दूसरे नेताओं को चुनाव जीताने वाले किशोर खुद चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे हैं।

किशोर ने अपनी पार्टी जन सुराज के जरिए बिहार के लोगों की बुनियादी जरूरतों को उजागर करने की कोशिश की है। वह बिहार की राजनीति को जाति और वंशवाद के चंगुल से निकालकर एक नई राह पर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने करीब तीन साल तक पूरे बिहार की पदयात्रा की है। वह शहर-शहर, गांव-गांव घूमकर लोगों से यह पूछते रहे हैं कि आज बिहार देश का सबसे पिछड़ा राज्य है तो इसका जिम्मेदार कौन हैं।

उन्होंने बिहार के लोगों से राज्य पर लगे पिछड़ेपन के दाग को हटाने और विकास के रास्ते पर ले जाने का वादा किया है। उनका फोकस पलायन रोकने और बिहारियों को रोजगार के मौके उपलब्ध कराने पर है। हाल में हुए सर्वे बताते हैं कि किशोर की बातों का असर लोगों पर पड़ रहा है। उनकी लोकप्रियता बढ़ रही है। सी-वोटर के प्री-पोल सर्वे के नतीजें बताते हैं कि जन सुराज पार्टी बिहार में चुनाव जीतने नहीं जा रही है, लेकिन यह कई सीटों के नतीजों को प्रभावित कर सकती है।

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