GPS Spoofing : इन दिनों कॉकपिट में गुमराह करने वाले GPS सिग्नल्स पायलट्स को परेशान कर रहे हैं। इस तकनीक का नाम है GPS स्पूफिंग। इसके लिए एविएशन रेगुलेटर DGCA को पायलटों के लिए एडवाइजरी तक जारी करनी पड़ी है। DGCA ने GPS स्पूफिंग पर जारी की सख्त एडवाइजरी में कहा है कि GPS गड़बड़ी की रिपोर्ट 10 मिनट में देना अनिवार्य होगा। पायलटों को स्थान और रूट की जानकारी देनी होगी। बता दें कि स्पूफिंग नकली डाटा भेजकर विमान को गुमराह करता है। नवंबर 2023 से अब तक GPS इंटरफेरेंस की 465 घटनाएं दर्ज की गई हैं।
बॉर्डर इलाकों में सबसे ज्यादा GPS स्पूफिंग के मामले सामने आए हैं। दिल्ली IGI एयरपोर्ट के पास भी स्पूफिंग के संकेत मिले हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) कार्यालय ने भी इसकी जांच शुरू की है। DGCA ने एयरलाइंस और पायलटों से सतर्कता की अपील की है।
क्या है GPS स्पूफिंग?
जब GPS सिग्नल में कोई छेड़छाड़ की जाती है तो उसे स्पूफिंग कहा जाता है। स्पूफिंग में गलत लोकेशन सिग्नल को भेजकर असली नेविगेशन डाटा को बदल दिया जाता है। इस कारण एयरक्रॉफ्ट को लगता है कि वह किसी दूसरी जगह है। हालांकि, वह हकीकत में अपनी असल जगह से कई किलोमटीर दूर होता है। स्पूफिंग जैमिंग से बिल्कुल अलग होती है। इसमें सिग्नल को पूरी तरह ब्लॉक नहीं किया जाता है।
जीपीएस स्पूफिंग का इस्तेमाल कंपनियों और आम लोगों दोनों के लिए किया जा सकता है। यह स्मार्टफोन एप्स और लोकेशन डाटा में गड़बड़ी कर सकता है। इसके अलावा जीपीएस डाटा पर निर्भर नेटवर्क सिस्टम और अहम ढांचों पर भी इसके जरिए साइबर हमले किए जा सकते हैं।
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