हांसखाली गैंगरेप केस में बड़ा फैसला, TMC नेता समेत तीन दोषियों को मिली उम्रकैद की सजा

न्यायालय ने ब्रज उर्फ सोहेल गोवाली, रणजीत मल्लिक और प्रभाकर पोद्दार को सामूहिक बलात्कार के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके साथ ही हत्या और सबूत मिटाने जैसी गंभीर धाराओं के तहत भी उन्हें दोषी माना गया है। इस मामले में सोहेल के पिता और TMC नेता समरेंद्र गोवाली को अपराध में सहयोग, सबूत मिटाने और प्रभाव के दुरुपयोग का दोषी पाते हुए पांच साल की कैद की सजा सुनाई है

अपडेटेड Dec 23, 2025 पर 7:28 PM
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हांसखाली नाबालिग सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में आखिरकार न्यायालय ने फैसला सुना दिया है।

पश्चिम बंगाल के चर्चित हांसखाली नाबालिग सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में आखिरकार न्यायालय ने फैसला सुना दिया है। मंगलवार (23 दिसंबर) को राणाघाट की अतिरिक्त जिला न्यायालय ने इस मामले में तीन मुख्य आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। बता दे कि इससे एक दिन पहले, सोमवार को अदालत ने कुल नौ आरोपियों को दोषी करार दिया था।

न्यायालय ने ब्रज उर्फ सोहेल गोवाली, रणजीत मल्लिक और प्रभाकर पोद्दार को सामूहिक बलात्कार के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके साथ ही हत्या और सबूत मिटाने जैसी गंभीर धाराओं के तहत भी उन्हें दोषी माना गया है। इस मामले में सोहेल के पिता और TMC नेता समरेंद्र गोवाली को अपराध में सहयोग, सबूत मिटाने और प्रभाव के दुरुपयोग का दोषी पाते हुए पांच साल की कैद की सजा सुनाई है।

बता दे कि यह घटना वर्ष 2022 की है, जब हांसखाली इलाके में एक नाबालिग लड़की के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया। आरोप है कि यह घटना सोहेल गोवाली की जन्मदिन पार्टी के दौरान हुई, जिसमें उसके कई दोस्त भी शामिल थे। पीड़िता को बाद में उसके घर के सामने गंभीर रूप से घायल अवस्था में छोड़ दिया गया, जहां उसी रात उसकी मौत हो गई।


मामले में यह भी आरोप लगा कि पीड़िता की मौत के बाद बिना मृत्यु प्रमाण पत्र के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया, ताकि साक्ष्य मिटाए जा सकें। इस पहलू ने मामले को और गंभीर बना दिया था।

अदालत ने यह भी बताया कि घटना के समय आरोपियों में से एक नाबालिग था। उसे फिलहाल निगरानी में रखते हुए जमानत पर छोड़ा गया है और उसके मामले में अदालत एक वर्ष बाद अंतिम निर्णय लेगी। इसके अलावा, दो अन्य नाबालिग आरोपियों को 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भरने के बाद रिहा करने का आदेश दिया गया है।

इस केस की सुनवाई तीन वर्षों तक निचली अदालत में चली, जिसके बाद फैसला आया। मामले की संवेदनशीलता और राजनीतिक प्रभाव को देखते हुए इसे बाद में CBI को सौंप दिया गया था।

हंसखाली मामला अपने समय में राज्य की राजनीति में भी बड़ा मुद्दा बना था, क्योंकि मुख्य आरोपियों में TMC नेता और उनके परिजन शामिल थे। विपक्ष ने इसे कानून-व्यवस्था की विफलता बताया था, जबकि सत्तारूढ़ दल ने न्यायिक प्रक्रिया पर भरोसा जताया था।

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