कैसे मारे गये पहलगाम हमले के आतंकी, कैसे ऑपरेशन सिंदूर की वजह से घुटनों पर आया पाकिस्तान, सुनिए गृह मंत्री अमित शाह की जुबानी!

ऑपरेशन सिंदूर पर जारी चर्चा के दौरान आज लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने विस्तार से इस बात की जानकारी दी कि पहलगाम हमले को अंजाम देने वाले तीनों आतंकियों को कैसे ट्रैक किया गया, उन्हें मार गिराने के लिए ‘ऑपरेशन महादेव’ कैसे चलाया गया। इस दौरान शाह ने ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां भी सामने रखीं

अपडेटेड Jul 29, 2025 पर 4:27 PM
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गृहमंत्री ने 29 जुलाई को लोकसभा में बताया कि कैसे भारतीय सुरक्षा बलों ने आतंकियों को मार गिराया

लोकसभा में आज दोपहर गृह मंत्री अमित शाह जब खड़े हुए तो सबके मन में यही सवाल था कि आखिर उन आतंकवादियों को मार गिराने में कैसे सुरक्षा बलों को सफलता मिली, जो 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमले को अंजाम देने के बाद से ही गायब थे। शाह ने अगले आधे घंटे में इसकी सिलसिलेवार ढंग से जानकारी दी।

अमित शाह ने कहा कि 22 अप्रैल 2025 के दिन जब पहलगाम की बैसरण घाटी में आतंकियों ने हमला किया, उसकी सूचना मिलते ही सुरक्षा एजेंसियों ने सुनिश्चित किया कि वो देश से बाहर भाग नहीं पाएं। इसी के तहत उसी दिन ऑपरेशन लॉन्च कर दिया गया, आतंकियों को पकड़ने के लिए।

22 अप्रैल को दिन में एक बजे पहलगाम में हमला हुआ, साढ़े पांच बजे अमित शाह खुद श्रीनगर में उतर चुके थे। उन्होंने आईबी, सेना, सीआरपीएफ, बीएसएफ, जम्मू-कश्मीर पुलिस सहित तमाम सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों के साथ रात में बैठक की, तय किया गया कि आतंकियों को भागने नहीं दिया जाएगा, जल्दी से जल्दी पकड़ा जाएगा।


पहलगाम हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली टूरिस्ट की मौत हुई थी। कुल 26 लोगों को आतंकियों ने अपना निशाना बनाया था। मोदी सरकार ने संकल्प लिया कि न तो ये आतंकी बचेंगे और न ही इसको शह देने वाले।

22 अप्रैल की रात में अमित शाह ने सुरक्षा बलों के साथ बैठक की श्रीनगर में, उधऱ अगले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में कैबिनेट कमिटि ऑन सिक्योरिटी की बैठक हुई। दरअसल पहलगाम हमले के दिन मोदी विदेश दौरे पर थे, लेकिन हमले की खबर मिलते ही अपना दौरा समेट कर स्वदेश लौट आए।

पीएम मोदी की बैठक में बड़े फैसले

मोदी की अगुआई में 23 अप्रैल को जब दिल्ली में सीसीएस की बैठक हुई, उसमें कई बड़े फैसले लिये गये। सबसे बड़ा था, सिंधु जल संधि को स्थगित करने का फैसला। यही नहीं, एकीकृत जांच चौकियों को भी बंद किया गया, पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा सस्पेंड किये गये। पाकिस्तान के आर्मी, नेवी और एयरफोर्स सलाहकारों को, जो दिल्ली में पाकिस्तान हाई कमिशन में तैनात थे, उन्हें अवांछित घोषित करते हुए निकाल बाहर किया गया। पूरे पाकिस्तान हाई कमिशन के कर्मचारियों की संख्या को पचपन से घटाकर तीस कर दिया गया।

अगले दिन बिहार की जनसभा में नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार का रुख पहलगाम हमले को लेकर साफ किया। 24 अप्रैल को बिहार में दिया गया ये भाषण, देश की संप्रभुता और देश के नागरिकों पर हमला होने पर, जनता की भावनाओं के अनुरूप कैसे जवाब दिया जाए, इसका संकेत था।

मोदी ने साफ तौर पर कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ हमला निहत्थे पर्यटकों पर हमला नहीं, बल्कि भारत की आत्मा पर हमला है। हमला करने वाले आतंकियों और इनके साजिशकर्ताओं को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा दी जाएगी। भारत हर आतंकवादी और उनके समर्थकों की पहचान करेगा और उनको खत्म करेगा।

इसी कड़ी में प्रधानमंत्री मोदी की अगुआई में तीस अप्रैल को फिर से सीसीएस की बैठक हुई। उसमें सशस्त्र बलों को ऑपरेशन की पूरी आजादी दी गई, जब चाहें, जिस तरह से चाहें, पहलगाम में हुए हमले का जवाब दें। एनएसए और तीनों सेना के प्रमुखों को साफ तौर पर ये बता दिया गया।

7 मई को लॉन्च हुआ था ऑपरेशन सिंदूर 

इसके बाद व्यापक तैयारी की गई, आतंकियों के ठिकानों को चिन्हित किया गया और सात मई को लांच किये गये ऑपरेशन सिंदूर के तहत रात में एक बजकर चार मिनट से एक बजकर चौबीस मिनट के बीच नौ आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया गया, जो ठिकाने सिर्फ पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू- कश्मीर में ही नहीं थे, बल्कि पाकिस्तान के महत्वपूर्ण शहरों लाहौर और बहावलपुर के पास भी थे, पाकिस्तान के सौ किलोमीटर अंदर थे।

इन हमलों की योजना बनाते समय इस बात का भी ध्यान रखा गया कि किसी निर्दोष नागरिक की जान न जाए। ऐसा ही हुआ, किसी निर्दोष, किसी आम नागरिक की जान नहीं गई, बल्कि करीब सौ आतंकवादी मारे गये, जिसमें से दस तो बड़े आतंकी सरगना थे, जिन्होंने यूपीए के शासनकाल में भारत में आतंकी हमलों को अंजाम दिया था, साजिश रची थी। इनमें शामिल थे हाफिज मोहम्मद जमिल, याकूब मालिक, मोहम्मद हमजा, मोहम्मद यूसुफ अजहर जैसे बड़े आतंकी।

ये हमला भारत की उसी रणनीति का हिस्सा था, जिसमे हर पाकिस्तान प्रायोजित हमले का पूरी ताकत से जवाब देने की रणनीति 2014 से अख्तियार की गई थी, मोदी सरकार के सत्ता में आते ही। जैसे उड़ी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक हुई थी और पुलवामा हमले के बाद एयर स्ट्राइक, उसी तरह पहलगाम हमले के बाद नौ आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने का ऑपरेशन हुआ। हर जवाब, पहले से बड़ा।

लेकिन इस बार फर्क एक और बड़ा था, पहले के दोनों ऑपरेशन पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू- कश्मीर में हुए थे, लेकिन इस बार के हमले में पाकिस्तान की अपनी जमीन पर हमला किया गया, सीमा से सौ किलोमीटर अंदर के ठिकानों पर हमला किया गया। सात तारीख की रात एक बजकर चौबीस मिनट पर भारतीय सशस्त्र बलों ने अपना काम समाप्त कर दिया था, भारतीय डीजीएमओ ने बता भी दिया अपने पाकिस्तानी काउंटरपार्ट को।

इन हमलों का एक बड़ा फायदा हुआ। जो पाकिस्तान पहले भारत में आतंकी हमला अपने आतंकी गुर्गों से कराने के बावजूद उनके बारे में अनभिज्ञता जारी करता था, इस बार पूरी तरह उसकी कलई उतर गई। भारत के हमले में मारे गये आतंकियों के जनाजों में पाकिस्तान सेना के तमाम बड़े अधिकारी शामिल हुए, जिसे पूरी दुनिया ने देखा। भारत का ये स्टैंड और मजबूत हो गया कि कश्मीर में होने वाली आतंकी घटनाएं पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद ही है, इसमें किसी किस्म के शक की गुंजाइश नहीं है।

भारत के हमले से बौखलाया पाकिस्तान

अमित शाह के मुताबिक, आठ मई को बौखलाए पाकिस्तान ने भारत के उपर हमला करने की कोशिश की, लेकिन उसे कोई कामयाबी नहीं मिली। भारतीय सुरक्षा बलों ने तमाम हमलों को अपनी मजबूत सुरक्षा प्रणाली और सतर्कता से विफल कर दिया। सिर्फ सीमा या एलओसी के पास जान- माल का थोड़ा नुकसान हुआ।

लेकिन भारत ने पाकिस्तान की इस हरकत का जवाब देने की सोची, वो भी मजबूती से। नौ तारीख को ये तय किया गया और दस मई की रात में पाकिस्तान के 11 एयरबेस को क्षतिग्रस्त करने का काम किया गया, उन्हें तबाह किया गया। पाकिस्तान के आठ एयरबेस इतने सटीक ढंग से तोड़े गये कि पाकिस्तान की पूरी एयर डिफेंस सिस्टम धरी की धरी रह गई और वो घुटनों पर आ गया। इन हमलों में पाकिस्तान के छह राडार सिस्टम भी ध्वस्त किये गये, उसके दो सर्फेस टू एयर सिस्टम भी ध्वस्त किये गये।

पाकिस्तान ने भारत के रिहाइशी इलाकों पर हमला किया था, लेकिन भारत ने पाकिस्तान के रिहाइशी इलाके नहीं, बल्कि सैन्य ठिकानों पर हमला किया। इस हमलों के जरिये पाकिस्तान सेना की हमला करने की क्षमता को छिन्न-भिन्न, ध्वस्त कर दिया गया। पाकिस्तान के पास भारत की शरण में आने के सिवाय कोई विकल्प नहीं बचा। इसलिए पाकिस्तान डीजीएमओ ने ग्यारह तारीख को सामने से भारत से अनुरोध किया कि ऑपरेशन रोक दिया जाए और शाम पांच बजे ऑपरेशन सिंदूर को स्थगित किया गया।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद ऑपरेशन महादेव

ऑपरेशन सिंदूर को स्थगित किया गया, लेकिन ऑपरेशन महादेव पूरी ताकत से जारी रहा। इस ऑपरेशन के जरिये उन आतंकियों को पकड़े जाने का संयुक्त अभियान चलाया गया, जिन्होंने पहलगाम में 26 निर्दोष लोगों की जान ली थी। आतंकियों तक पहुंचने की कोशिश व्यापक स्तर पर चली। सबसे पहले तो उनकी पहचान स्थापित करने की कोशिश हुई, ये जानने की कवायद हुई कि वो दिखते कैसे हैं।

उनकी स्केच बनाने के लिए न सिर्फ बैसरण घाटी में आतंकी हमले के दौरान मौजूद रहे पर्यटकों, बल्कि आसपास के दुकानदारों, खच्चर वालों, फेरीवालों, टैक्सी वालों, इन सबसे पूछताछ की गई। कुल मिलाकर 1055 लोगों से पूछताछ की गई, कुल तीन हजार घंटे से ज्यादा की पूछताछ हुई, सारी पूछताछ की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई, इसके आधार पर स्केच बने तीनों आतंकियों के।

ऑपरेशन महादेव के तहत बड़ी कामयाबी तब मिली, जब बशीर और परवेज नामक उन दो लोगों की पहचान की गई, जिन्होंने हमले के पहले आतंकवादियों को पनाह दी थी। 22 जून को इनकी पहचान हुई, उन्हें गिरफ्तार किया गया। इन दोनों ने ही तीनों आतंकियों को अपनी झोपड़ी (ढोक) में पनाह दी थी। पूछताछ में पता चला कि 21 अप्रैल की रात को आठ बजे तीनों आतंकी परवेज के ढोक पर आए थे, दो आतंकियों ने काली पोशाक पहनी थी, जबकि तीसरे ने अलग गेटअप बनाया हुआ था। इन तीनों ने खाना खाया, और फिर जाते समय नमक, मसाले, अनाज लेकर गये।

एक तरफ आतंकियों को ढूंढा जा रहा था, दूसरी तरफ घटनास्थल से मिले सबूतों की वैज्ञानिक जांच चल रही थी। इसके तहत बैसरण घाटी में चली गोलियों के खाली खोखों को चंडीगढ़ फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी में टेस्टिंग के लिए भेजा गया। यहां की जांच से ये पता चला कि गोलियां दो एके-47 राइफलों और एक एम- 9 कार्बाइन से चलाई गई थी।

28 जुलाई को तीनों आतंकियों का हुआ खात्मा 

आखिरकार भारतीय सेना के 4 पैराशूट रेजिमेंट, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के साझा अभियान में कल यानी 28 जुलाई 2025 की सुबह उन तीनों आतंकियों को मार गिराया गया, श्रीनगर के दाचीगाम इलाके में, जबरवान रेंज के जंगलों के अंदर, महादेव माउंट पर, जिन्होंने पहलगाम में हमला किया था। इन तीनों के नाम हैं- सुलेमान उर्फ आसीफ, जिबरान और हमजा अफगानी। ये तीनों लश्कर ए तैयबा आतंकी संगठन के ए कैटेगरी के आतंकवादी थे।

आतंकियों के पास से जो हथियार बरामद हुए, वो वही दो एके-47 राइफल और एम-9 कार्बाइन थी, जिसका इस्तेमाल 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के लिए किया गया था। इसकी पुष्टि चंडीगढ़ की एफएसएल ने वैज्ञानिक जांच से कर दी। बीती रात बारह बजे के करीब विशेष विमान से इन हथियारों को चंडीगढ़ पहुंचाया गया। वहां रात के दौरान ही छह वैज्ञानिकों की टीम ने टेस्ट किया, इन राइफलों से फायरिंग की गई। इनके बोर और खोखों के मिलान के बाद सुबह चार बजे गृह मंत्री को सूचना दी गई कि ये हथियार वही हैं, जिनका इस्तेमाल पहलगाम हमले के लिए किया गया।

जहां तक आतंकवादियों की पुख्ता पहचान करने का सवाल था, इसके लिए उन दो लोगों की सहायता ली गई, जिन्होंने तीनों आतंकियों को अपने पास रखा था और जिन्हें मामले की जांच ककर रही एनआईए ने गिरफ्तार किया था। जंगल में छुपकर रह रहे इन आंतकियों को पकड़ना आसान नहीं था, इन्हें पकड़ने के लिए सुरक्षा बलों को तमाम तकनीकी साधनों और उपकरणों का इस्तेमाल करना पड़ा, जिसमें एडवांस सेंसर टेक्नोलॉजी भी शामिल थी। महीनों की मेहनत और सैकड़ों जवानों की बहादुरी का परिणाम रहा है ऑपरेशन महादेव का पूरा होना। इसने उन लोगों के जख्म पर जरूर मरहम लगाया है, जिन्होंने अपनों को खोया पहलगाम के आतंकी हमले में।

Brajesh Kumar Singh

Brajesh Kumar Singh

First Published: Jul 29, 2025 3:12 PM

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