Rafale Marine fighter jets deal: भारत ने फ्रांस के साथ राफेल-मरीन लड़ाकू जेट खरीदने के लिए 63,000 करोड़ रुपये करोड़ (यूरो 6.6 बिलियन) का डील डन कर लिया है। बता दें कि सोमवार को राजधानी दिल्ली में भारत और फ्रांस के बीच 26 राफेल मरीन विमानों की डील पर साइन हुआ। भारत की तरफ से रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने डील पर साइन किए। डील के तहत भारत, फ्रांस से 22 सिंगल सीटर विमान और 4 डबल सीटर विमान खरीदेगा। ये राफेल विमान विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत ( INS Vikrant) से संचालित होंगे।
बता दें कि फ्रांस के साथ 26 राफेल मरीन विमानों की डील भारत की अबतक की सबसे बड़ी डिफेंस डील है। इससे पहले 2016 में भारतीय वायुसेना के लिए 36 राफेल जेट खरीदने के लिए किए गए 59,000 करोड़ रुपये की डील हुई थी। यह डील पर ऐसे समय मुहर लगी है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा हुआ है। हाल ही में पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा किए गए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी।
क्यों खास है राफेल-एम डील
भारत और फ्रांस के बीच होने वाले इस बड़े सौदे में 22 सिंगल-सीट राफेल-एम फाइटर जेट और 4 ट्विन-सीट ट्रेनर जेट खरीदे जाएंगे। इसके साथ ही हथियार, सिमुलेटर, चालक दल का प्रशिक्षण, रखरखाव सपोर्ट और 5 साल का प्रदर्शन-आधारित लॉजिस्टिक्स भी इस डील का हिस्सा हैं। इस सौदे में भारतीय वायुसेना के पास पहले से मौजूद 36 राफेल विमानों के लिए स्पेयर पार्ट्स और उपकरण भी शामिल किए गए हैं।
आईएनएस विक्रांत पर होंगे तैनात
ये राफेल-एम फाइटर जेट भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत, आईएनएस विक्रांत से ऑपरेट किए जाएंगे। इनके जुड़ने से भारत की इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समुद्री ताकत काफी मजबूत होगी।
भारतीय वायुसेना फिलहाल 36 राफेल फाइटर जेट का संचालन कर रही है। इन्हें हरियाणा के अंबाला और पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में दो स्क्वाड्रन में तैनात किया गया है। अब भारत अपनी नौसेना में भी डसॉल्ट राफेल मरीन (राफेल-एम) जेट शामिल करने जा रहा है। इससे भारत की समुद्री ताकत काफी बढ़ेगी, खासकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में जहां चीन का दबाव लगातार बढ़ रहा है। राफेल-एम के आने से भारत स्वतंत्र और खुले समुद्री क्षेत्र को सुरक्षित रखने में और ज्यादा सक्षम होगा।