Operation Sindoor: सोमवार को 'ऑपरेशन सिंदूर' पर ब्रीफिंग के दौरान भारतीय सेना ने चीनी मूल की PL-15 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल का मलबा दिखाया। सेना ने बताया कि इनका इस्तेमाल पाकिस्तान ने भारत पर हमले के दौरान किया था। PL-15E मिसाइल का इस्तेमाल पहली बार 7 मई 2025 को किया गया। सैन्य टकराव के दौरान PL-15E मिसाइलों का मलबा भारत के विभिन्न क्षेत्रों में गिरा, जिसे भारतीय सशस्त्र बलों ने अपने कब्जे में ले लिया। बता दें कि मिसाइल का पिछला भाग पंजाब के होशियारपुर में पाया गया।
पीएल-15 चीन में विकसित रडार-निर्देशित हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। पाकिस्तान वायु सेना इसका उपयोग करती है। PL-15E में एक दोहरा-पल्स सॉलिड रॉकेट मोटर है, जो 4 मैक से अधिक गति और लगभग 145 किमी की अधिकतम दूरी के लक्ष्य टारगेट कर सकता है। यह रडार ट्रेस करने वाले उपकरण से लैस है, जो उन्नत लक्ष्य ट्रैकिंग क्षमताओं के लिए मजबूत प्रतिरोध प्रदान करता है।पाकिस्तान ने पीएल-15ई को अपने जेएफ-17 ब्लॉक III और जे-10सी लड़ाकू विमानों में शामिल किया है, जिससे इसकी हवा से हवा में मार करने वाली लड़ाकू क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस मिसाइल की लंबाई 4 मीटर है और इसका मोटाई 200 मिलीमीटर है।
चीनी मूल की मिसाइल के साथ, भारतीय सेना ने तुर्की मूल के YIHA और सोंगर ड्रोन के मलबे को भी दिखाया, जिन्हें भारत ने मार गिराया था। पाकिस्तान ने तुर्की निर्मित सशस्त्र ड्रोन का इस्तेमाल किया, जिनमें से अधिकांश को भारतीय सशस्त्र बलों ने S-400 वायु रक्षा प्रणाली, आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और एंटी ड्रोन तकनीकों का उपयोग करके विफल कर दिया।
बायकर YIHA III कामिकेज ड्रोन
'बायकर YIHA III कामिकेज' ड्रोन का एक प्रकार है, जिसे लोइटरिंग म्यूनिशन के रूप में भी जाना जाता है। ये ड्रोन जमीन से लॉन्च किए जाते हैं जो हवा में उड़ सकते हैं या मैन्युअल रूप से संचालित किए जा सकते हैं। ये टारगेट के विनाश के लिए छोटे वारहेड ले जा सकते हैं। वे लक्ष्यों का पता लगाने और लंबे समय तक हवा में रहने की अपनी क्षमता के लिए जाने जाते हैं। सेना ने YIHA III कामिकेज ड्रोन के टुकड़े और मलबे को भी मार गिराया और उसके टुकड़े बरामद किए है।