IndiGo Crisis: इंडिगो एयरलाइन के फ्लाइट ऑपरेशन अभी भी सही नहीं हो पाया है। गुरुवार को अकेले बेंगलुरु हवाई अड्डे से 60 उड़ानें रद्द कर दी गई है। विमानन सुरक्षा नियामक डीजीसीए (DGCA) ने नए पायलट और चालक दल ड्यूटी मानदंडों (FDTL) को लागू करने को लेकर विफलताओं के बाद जांच तेज कर दी है। इसी बीच DGCA ने इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स को तलब किया है और उन्हें हालिया परिचालन व्यवधानों पर डेटा और अपडेट सहित एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
लगातार नौवें दिन इंडिगो का संकट जारी रहा। बुधवार को इंडिगो ने देश भर के तीन प्रमुख हवाई अड्डों दिल्ली, बेंगलुरु और मुंबई से 220 उड़ानें रद्द की थीं, जिनमें से सबसे अधिक 137 रद्दीकरण दिल्ली में हुए थे।
पायलटों की संख्या में आई भारी कमी
एयरलाइन की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल उठाते हुए, यह सामने आया है कि पिछले नौ महीनों में इंडिगो के पायलटों की संख्या में 378 पायलटों की कमी आई है। मार्च 2025 तक इंडिगो के पास 5,463 पायलट थे, जो अब 8 दिसंबर तक घटकर 5,085 रह गए हैं।
चेयरमैन ने संकट पर तोड़ी चुप्पी
इंडिगो के चेयरमैन विक्रम मेहता ने 10 दिनों में पहली बार संकट पर बोलते हुए यात्रियों से माफी मांगी। उन्होंने बड़े व्यवधानों के लिए आंतरिक और बाहरी अप्रत्याशित घटनाओं के एकसाथ होने को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंनेसके पीछे की वजह 'मामूली तकनीकी खराबी', 'शीतकालीन मौसम की शुरुआत से जुड़े निर्धारित बदलाव', 'प्रतिकूल मौसम की स्थिति', 'उड्डयन प्रणाली में बढ़ी हुई भीड़', और 'अपडेटेड क्रू रोस्टरिंग नियमों का कार्यान्वयन' बताया।
पायलट्स एसोसिएशन ने बताया 'मैनपावर पॉलिसी' का नतीजा
पायलटों के निकाय फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) ने इस संकट के लिए एयरलाइन की आंतरिक नीति को जिम्मेदार ठहराया है। FIP ने आरोप लगाया कि अन्य सभी एयरलाइनों ने पर्याप्त पायलटों का प्रावधान किया है, जबकि इंडिगो में मौजूदा व्यवधान एयरलाइन की 'विभागों में लंबे समय से चली आ रही गैर-रूढ़िवादी मैनपावर रणनीति' का सीधा परिणाम है। FIP ने कहा कि FDTL के पूर्ण कार्यान्वयन से पहले दो साल की तैयारी की विंडो होने के बावजूद, एयरलाइन ने 'अकारण भर्ती पर रोक लगाई, गैर-शिकार व्यवस्था में प्रवेश किया, और कार्टेल-जैसा व्यवहार बनाए रखा।'