प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुधवार को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का फोन किया। बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने भारत और इजराइल के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मज़बूत करने के तरीकों पर चर्चा की और आतंकवाद के प्रति अपनी ज़ीरो-टॉलरेंस नीति को दोहराया। सरकारी बयान के मुताबिक, मोदी और नेतन्याहू ने भारत-इजरायल रणनीतिक साझेदारी में हो रही लगातार प्रगति पर संतोष जताया और दोनों देशों के आपसी हितों के लिए रिश्तों को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता फिर से जताई।
दोनों नेताओं के बीच हुई ये बातचीत
प्रधानमंत्री मोदी ने बातचीत के दौरान यह भरोसा दिलाया कि भारत मध्य पूर्व में स्थायी और न्यायपूर्ण शांति की कोशिशों का समर्थन करता है। इसमें गाज़ा शांति योजना को जल्द लागू करने का समर्थन भी शामिल है। उन्होंने आतंकवाद की कड़ी निंदा की और इसके हर रूप के प्रति अपने ज़ीरो-टॉलरेंस रुख को दोहराया। दोनों नेताओं ने आगे भी संपर्क में बने रहने पर सहमति जताई। यह बातचीत ऐसे समय में हुई जब प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अमेरिका समर्थित गाज़ा युद्धविराम योजना का दूसरा चरण “बहुत जल्द” शुरू होगा। वहीं, हमास का आरोप है कि इजराइल लगातार “उल्लंघन” कर रहा है, इसलिए युद्धविराम योजना आगे नहीं बढ़ सकती। उन्होंने मध्यस्थ देशों से आग्रह किया कि इजरायल पर समझौते का पालन कराने के लिए दबाव बनाया जाए।
भारत दौरे पर आएंगे नेतन्याहू
इससे पहले नेतन्याहू के कार्यालय ने बताया था कि वे अपने टाले गए भारत दौरे के लिए नई तारीख तय करने के लिए भारतीय अधिकारियों के साथ समन्वय कर रहे हैं। यह दौरा मूल रूप से दिसंबर में होना था, लेकिन बिना किसी आधिकारिक घोषणा के स्थगित कर दिया गया। दौरे में हुई देरी के बावजूद, नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा कि भारत और इज़राइल के संबंध मजबूत हैं। उन्होंने यह भी दोहराया कि प्रधानमंत्री नेतन्याहू को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की सुरक्षा पर पूरा भरोसा है। X पर साझा किए गए आधिकारिक बयान में लिखा था, “भारत और इज़राइल के बीच रिश्ते बहुत मजबूत हैं, और प्रधानमंत्री नेतन्याहू तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र नोदी के बीच भी गहरा भरोसा और मजबूत संबंध है। दोनों देशों की टीमें यात्रा के लिए नई तारीख तय करने पर काम कर रही हैं।”
इज़राइल का यह बयान उन मीडिया रिपोर्टों के बाद सामने आया, जिनमें दावा किया गया था कि नई दिल्ली में दो हफ्ते पहले हुए घातक आतंकी हमले की “सुरक्षा चिंताओं” के कारण नेतन्याहू का भारत दौरा टाल दिया गया था। इस हमले में कम से कम 15 लोगों की मौत हुई थी और कई घायल हुए थे। हालांकि, CNN-News18 से बातचीत में सूत्रों ने स्पष्ट किया कि ये रिपोर्टें “गुमराह करने वाली और बिल्कुल गलत” थीं। उन्होंने कहा कि दौरे में देरी का उस हमले से कोई संबंध नहीं है, और दोनों घटनाओं को जोड़कर देखने से बचना चाहिए।