Justice Yashwant Varma Cash Row: लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने के एक प्रस्ताव को मंगलवार (12 अगस्त) को स्वीकार कर लिया। स्पीकर ने उनके खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति के गठन की घोषणा की है। ओम बिरला ने मंगलवार को संसद को बताया कि दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास से जली हुई नकदी का ढेर मिलने की घटना की जांच तीन सदस्यीय समिति करेगी। उन्होंने कहा, "समिति यथाशीघ्र अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। जांच समिति की रिपोर्ट प्राप्त होने तक प्रस्ताव (न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने का) लंबित रहेगा।"
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने समिति के गठन की घोषणा करते हुए कहा कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के हैं। इसलिए उन्हें जज के पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए। बिरला ने कहा कि तीन सदस्यीय समिति में सुप्रीम कोर्ट के जज अरविंद कुमार, मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस मनींद्र मोहन श्रीवास्तव और कर्नाटक हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील बीवी आचार्य शामिल होंगे।
इससे पहले उन्होंने सदन को सूचित किया कि उन्हें गत 31 जुलाई को बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद और सदन में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी सहित सत्ता पक्ष और विपक्ष के कुल 146 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित प्रस्ताव की सूचना प्राप्त हुई है। इसमें जस्टिस यशवंत वर्मा को जज जांच अधिनियम 1968 की धारा 3 के साथ संविधान के आर्टिकल 124 (4) के साथ पठित आर्टिकल्स 217 और 218 के अंतर्गत हाई कोर्ट के जज के पद से हटाने के लिए राष्ट्रपति को एक समावेदन प्रस्तुत करने का प्रस्ताव है।
लोकसभा स्पीकर ने गत 15 मार्च को जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित आवास से जली हुई नकदी मिलने की घटना का डिटेल्स भी पढ़ा। उन्होंने कहा कि वर्तमान मामले से जुड़े तथ्य गंभीर भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हैं। बिरला ने कहा, "संसद को इस मुद्दे पर एक स्वर में बोलना चाहिए और देश की जनता को भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करने का अपना संदेश भेजना चाहिए।"
15 मार्च को एक बड़ा विवाद तब खड़ा हो गया जब जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित बंगले में लगी आग पर काबू पाने के लिए पहुंचे दमकलकर्मियों को आग में जली हुई नकदी के ढेर मिले। जस्टिस वर्मा ने इस पैसे से किसी भी तरह का संबंध होने से इनकार किया और आरोपों को "बेतुका" बताया। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने एक आंतरिक पैनल का गठन किया, जिसने बाद में उन्हें पद से हटाने की सिफारिश की।