Karnataka Congress Crisis: कर्नाटक में मुख्यमंत्री बदलने की अटकलों के बीच सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के भीतर शक्ति संघर्ष तेज हो गया है। कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने मंगलवार (25 नवंबर) को कहा कि वह मुख्यमंत्री बदलने के मुद्दे पर सार्वजनिक तौर पर बात नहीं करना चाहते, क्योंकि यह पार्टी में चार-पांच लोगों के बीच एक 'सीक्रेट डील' है। उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी अंतरात्मा पर भरोसा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शिवकुमार ने कहा कि वह पार्टी के लिए कोई शर्मिंदगी वाली स्थिति पैदा कर उसे कमजोर नहीं करना चाहते।
सिद्धारमैया की लीडरशिप वाली सत्ताधारी कांग्रेस सरकार के 20 नवंबर को सत्ता में 2.5 साल पूरे होने के बाद CM बदलने की चर्चा और मुखर हो गई है। 2023 में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच कथित सत्ता साझेदारी समझौते का दावा किया जा रहा है। इससे पहले, राज्य में जारी सत्ता संघर्ष के बीच शिवकुमार ने पिछले कुछ दिनों से शहर में मौजूद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात नहीं की थी। हालांकि, वह खड़गे को राष्ट्रीय राजधानी के लिए रवाना होने पर उन्हें एयरपोर्ट तक छोड़ने के लिए साथ गए।
शिवकुमार से जब पूछा गया कि क्या उनका मुख्यमंत्री बनना तय है तो उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता। मैंने मुझे मुख्यमंत्री बनाने के लिए नहीं कहा है। यह हम पांच-छह लोगों के बीच का एक सीक्रेट डील है। मैं इस पर सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहना चाहता। मैं अपनी अंतरात्मा पर विश्वास करता हूं। हमें उसी के अनुसार काम करना चाहिए। मैं किसी भी तरह से पार्टी को शर्मिंदा नहीं करना चाहता और न ही उसे कमजोर करना। पार्टी है तो हम हैं, कार्यकर्ता हैं तो हम हैं।"
अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र कनकपुरा में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री बोल चुके हैं। वह वरिष्ठ नेता हैं और पार्टी के लिये मूल्यवान हैं। वह कुल 7.5 साल मुख्यमंत्री रह चुके हैं (जिसमें 2013 से 2018 तक का उनका पांच वर्ष का पूर्व का कार्यकाल भी शामिल है)।"
बता दें कि सिद्धारमैया ने कहा है कि वह अगला बजट भी पेश करेंगे। उन्होंने कहा, "मैं बहुत खुश हूं। उन्होंने पहले भी विपक्ष के नेता के तौर पर काम किया है। उन्होंने पार्टी के लिए भी काम किया है और उसे बनाया है। हम सभी को 2028 (विधानसभा चुनाव) और 2029 (लोकसभा चुनाव) के लक्ष्य के साथ मिलकर काम करना चाहिए।"
जब शिवकुमार को बताया गया कि बेंगलुरु साउथ (पहले रामनगर) के लोगों ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के लिए जिले की चारों सीटें कांग्रेस को दे दी हैं, तो उन्होंने कहा कि उन्होंने किसी से कुछ नहीं मांगा है। उन्होंने कहा, "चुनाव के समय मैं सभी निर्वाचन क्षेत्रों में गया था, जिनमें महादेवप्पा (जो सिद्धारमैया के करीबी मंत्री हैं) का क्षेत्र भी शामिल है। वहां लोगों से मेरे चेहरे को देखकर वोट देने की अपील की थी। मैंने मांड्या में भी हर जगह यही कहा था। मैं इस पर विवाद नहीं करता। लोगों ने वोट दिया है। सभी 224 विधानसभा क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं ने हमसे कहीं अधिक मेहनत की है और इस सरकार को सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभाई है। विधायक और मंत्री तो सिर्फ इसके लाभार्थी हैं।"
अपने समर्थन में विधायकों के दिल्ली जाकर आलाकमान से मुलाकात करने और उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग उठाने से जुड़े साल पर शिवकुमार ने कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि संभव है कि वे मंत्री बनने के प्रयास कर रहे हों। उन्होंने कहा, "मैंने उनमें (विधायकों में) से किसी भी विधायक को न तो फोन किया है और न ही बात की है। मैं उनसे यह भी नहीं पूछ रहा कि वे क्यों गए। मुझे इसकी जरूरत नहीं है।"
इससे पहले कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर सत्ता संघर्ष को लेकर अटकलों के बीच मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मंगलवार को कहा कि पार्टी आलाकमान को अंततः इस भ्रम को समाप्त करना चाहिए। सिद्धारमैया ने दोहराया कि वह मुख्यमंत्री पद पर बदलाव संबंधी मुद्दे पर आलाकमान के फैसले का पालन करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि विधायक पार्टी नेतृत्व से मिलने और अपनी राय साझा करने के लिए स्वतंत्र हैं।