Sonam Wangchuk Arrest: जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की रिहाई का अनुरोध करते हुए उनकी पत्नी गीतांजलि आंगमो ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वांगचुक को लद्दाख में प्रदर्शनों के दो दिन बाद 26 सितंबर को कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तार किया गया था। लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर उस केंद्र शासित प्रदेश में हुए विरोध प्रदर्शनों में चार लोगों की मौत हो गई थी। जबकि 90 लोग घायल हो गए थे। वांगचुक राजस्थान की जोधपुर जेल में बंद हैं।
आंगमो ने वकील सर्वम रीतम खरे के माध्यम से दायर अपनी याचिका में वांगचुक की हिरासत को चुनौती दी है। याचिका में उनकी तत्काल रिहाई का अनुरोध किया है। याचिका में वांगचुक पर रासुका लगाने के फैसले पर भी सवाल उठाए गए हैं।
आंगमो ने आरोप लगाया कि उन्हें अभी तक हिरासत आदेश की कॉपी नहीं मिली है, जो नियमों का उल्लंघन है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि उनका अभी तक वांगचुक से कोई संपर्क नहीं हो पाया है। हाल ही में लद्दाख प्रशासन ने वांगचुक को फंसाने या गुपचुप तरीके से कार्रवाई के दावों को खारिज कर दिया था।
इससे पहले गीतांजलि आंगमो ने बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अपने पति की रिहाई के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था। राष्ट्रपति को संबोधित तीन पृष्ठों के पत्र में वांगचुक की पत्नी ने आरोप लगाया कि पिछले चार वर्ष से लोगों के हितों के लिए काम करने के कारण उनके पति को बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह नहीं जानतीं कि उनके पति किस स्थिति में हैं।
लेह के उपायुक्त के जरिए भेजे गए ज्ञापन में आंगमो ने कहा, "हम वांगचुक की बिना शर्त रिहाई का आग्रह करते हैं। वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जो अपने देश की तो बात छोड़िए, किसी के लिए भी खतरा नहीं बन सकते। उन्होंने लद्दाख की धरती के वीर सपूतों की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया है और हमारे महान राष्ट्र की रक्षा में भारतीय सेना के साथ एकजुटता से खड़े हैं।"
वांगचुक को लेह शहर में हुई हिंसक झड़पों में चार लोगों की मौत के दो दिन बाद 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिया गया था। लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और क्षेत्र को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांगों के समर्थन में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़क उठी थी।