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Leh Ladakh protests: लद्दाख के लेह में आगजनी के बाद सोनम वांगचुक ने वापस ली हड़ताल, युवाओं से की हिंसा रोकने की अपील

Leh Ladakh protests: लद्दाख के लेह में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन और बंद के दौरान युवकों के एक समूह के हिंसक हो जाने और पथराव करने के बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया। यह विरोध प्रदर्शन छठी अनुसूची के विस्तार के साथ-साथ लद्दाख को राज्य का दर्जा देने पर केंद्र के साथ प्रस्तावित वार्ता को आगे बढ़ाने की मांग को लेकर किया गया

Akhilesh Nath Tripathiअपडेटेड Sep 24, 2025 पर 5:54 PM
Leh Ladakh protests: लद्दाख के लेह में आगजनी के बाद सोनम वांगचुक ने वापस ली हड़ताल, युवाओं से की हिंसा रोकने की अपील
Leh Ladakh protests: जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने युवाओं से हिंसा का सहारा न लेने की अपील की है

Leh Ladakh protests News: लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची के विस्तार की मांग को लेकर जारी आंदोलन के हिंसक रूप लेने के बाद जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने 15 दिन से जारी अपनी भूख हड़ताल बुधवार (24 सितंबर) को वापस ले ली। प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय और पुलिस की कई गाड़ियों में आग लगा दी। अचानक से सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए। युवकों के हिंसक हो जाने और पथराव करने के बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया।

लद्दाख की राजधानी में पूर्ण बंद के बीच आग की लपटें और काला धुआं देखा जा सकता था। अधिकारियों ने बताया कि प्रशासन ने पांच या इससे अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया है। वांगचुक ने शांति की अपील करते हुए आंदोलन स्थल पर बड़ी संख्या में एकत्र अपने समर्थकों से कहा, "मैं लद्दाख के युवाओं से हिंसा तुरंत रोकने का अनुरोध करता हूं क्योंकि इससे हमारे उद्देश्य को नुकसान पहुंचता है तथा स्थिति और बिगड़ती है। हम लद्दाख और देश में अस्थिरता नहीं चाहते।"

जैसे ही झड़पें तेज हुईं वांगचुक ने अपने X हैंडल पर एक वीडियो संदेश भी जारी किया, जिसमें उन्होंने युवाओं से शांति का माहौल बनाये रखने और हिंसा रोकने की अपील की। लेह एपेक्स बॉडी की युवा शाखा ने विरोध प्रदर्शन और बंद का ऐलान किया था। क्योंकि 10 सितंबर से 35 दिन की भूख हड़ताल पर बैठे 15 लोगों में से दो की हालत मंगलवार शाम बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

क्या है पूरा मामला?

संविधान की छठी अनुसूची शासन, राष्ट्रपति और राज्यपाल की शक्तियों, स्थानीय निकायों के प्रकार, वैकल्पिक न्यायिक तंत्र और स्वायत्त परिषदों के माध्यम से प्रयोग की जाने वाली वित्तीय शक्तियों के संदर्भ में विशेष प्रावधान करती है। छठी अनुसूची चार पूर्वोत्तर राज्यों त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम और असम की जनजातीय आबादी के लिए है।

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