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Leh Ladakh Violence: 'आरोप झूठे हैं...ये बड़ी साजिश है', सोनम वांगचुक की पत्नी ने दिया बड़ा बयान

अपडेटेड Sep 30, 2025 पर 3:35 PM
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क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि ने बड़ा बयान दिया है।

Leh Ladakh Violence : केंद्र शासिक प्रदेश लद्दाख की राजधानी लेह में पूर्ण राज्य की मांग के बाद भड़की हिंसा को लेकर लद्दाख से लेकर दिल्ली तक हलचल मची हुई है। हिंसक प्रदर्शन के दो दिन बाद बीते शुक्रवार को क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। हिंसक प्रदर्शन में चार लोगों की मौत हो गई थी। वहीं लद्दाख में चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे. अंगमो ने सीआरपीएफ पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

सोनम वांगचुक की पत्नी का बड़ा बयान

क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक की पत्नी ने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर आंसू गैस के गोले दागे गए, जिससे हालात बिगड़ गए और विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया। बता दें कि, कुछ दिन पहले हुए इन प्रदर्शनों में चार लोगों की मौत हो गई थी और 90 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इसके बाद शुक्रवार को लेह पुलिस ने सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद उन्हें राजस्थान की जोधपुर जेल भेज दिया गया है। 

की जा रही हैं ये मांगे 

सोनम वांगचुक पर आरोप है कि लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने और पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर भूख हड़ताल के दौरान उन्होंने ऐसे बयान दिए, जिन्हें भड़काऊ माना गया और लोगों को उकसाने वाला बताया गया। वांगचुक के नेतृत्व में लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस भी इस आंदोलन में शामिल रहे। उनकी मुख्य मांगें थींलद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले और इसे भारतीय संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए। इन मांगों को मजबूत करने के लिए वांगचुक ने 10 सितंबर को भूख हड़ताल शुरू की थी। लेकिन लगातार बढ़ रही हिंसा को देखते हुए उन्होंने 15 दिन बाद, यानी 24 सितंबर को, यह हड़ताल खत्म कर दी।


सोनम वांगचुक ने कहा कि पिछले पाच सालों से वे छठी अनुसूची की मांग को लेकर उपवास और मार्च कर रहे हैं, जो पूरी तरह गांधीवादी और अहिंसक तरीके से आयोजित हुए हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर वे हिंसक प्रदर्शन क्यों भड़काएंगे, जबकि अब तक ऐसा कभी नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक शांतिपूर्ण जगह को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि लेह में पिछले छह दिनों में जो कुछ हुआ, वह बेहद दुखद है। लेह के लोग सबसे शांतिप्रिय, देशभक्त और राष्ट्रवादी माने जाते हैं। सबसे पहले, ऐसे इलाके में कर्फ्यू लगाना गलत है और इसकी निंदा की जानी चाहिए। दूसरा, जिस वजह से कर्फ्यू लगाया गया, यानी युवाओं का विरोध प्रदर्शन, वह भी सही नहीं है। उस दिन युवा शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे। अगर सीआरपीएफ ने आंसू गैस का इस्तेमाल नहीं किया होता, तो यह आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहता।

उन्होंने कहा कि पिछले पाच सालों से सोनम वांगचुक छठी अनुसूची की मांग को लेकर उपवास और मार्च कर रहे हैं, जो पूरी तरह गांधीवादी और अहिंसक तरीके से आयोजित हुए हैं। वांगचुक केवल एक वैज्ञानिक ही नहीं हैं, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी हैं। लोग उन्हें उनकी वैज्ञानिक उपलब्धियों के साथ-साथ इसलिए भी सम्मान देते हैं क्योंकि वे एक सच्चे मानवतावादी हैं, जो वास्तव में जनता की मुश्किलों की परवाह करते हैं। उन्होंने अपना जीवन जमीनी स्तर पर शिक्षा को समर्पित कर दिया है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।

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