उज्जैन के ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में सोमवार को निकलने वाली पारंपरिक राजसी सवारी के साथ श्रावण-भाद्रपद मास का समापन होगा। ये अवसर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि मंदिर की व्यवस्था में होने वाले बड़े बदलाव का संकेत भी देता है। मंगलवार से महाकाल मंदिर में दर्शन व्यवस्था पूर्व परंपरा के अनुसार बदल जाएगी, जिससे भक्तों को नई सुविधा और अनुभव मिलेगा। लंबे समय से लागू विशेष व्यवस्थाओं और प्रतिबंधों के बीच ये निर्णय श्रद्धालुओं के लिए राहत की खबर है। राजसी सवारी के बाद मंदिर के पट खुलने और भस्म आरती के समय को परंपरागत स्वरूप में लाया जाएगा।
साथ ही आम भक्तों को मंदिर परिसर में प्रवेश की अनुमति भी दी जाएगी, जिससे वे पूरे परिसर में घूमकर दर्शन कर सकेंगे। ये बदलाव न केवल धार्मिक परंपराओं के सम्मान का प्रतीक है बल्कि लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था और सुविधा दोनों को मजबूत करने वाला कदम साबित होगा।
के चार बजे होंगे पट खुलने और भस्म आरती
श्रावण-भाद्रपद मास के दौरान डेढ़ माह से हर रविवार रात 2:30 बजे और बाकी दिनों में रात 3 बजे मंदिर के पट खुल रहे थे। अब मंगलवार से परंपरागत समयानुसार तड़के 4 बजे भगवान महाकाल के पट खुलेंगे और इसके तुरंत बाद भस्म आरती संपन्न होगी। ये बदलाव भक्तों को पहले जैसी नियमित व्यवस्था का अनुभव कराएगा।
आम दर्शनार्थियों के लिए फिर से खुलेगा परिसर
पिछले तीन महीनों से महाकाल मंदिर परिसर में स्थित 40 उप-मंदिरों में आम भक्तों का प्रवेश प्रतिबंधित था। मंदिर प्रशासन ने इसे निर्माण कार्य और श्रावण मास की भीड़ प्रबंधन का कारण बताया था। अब ये रोक हटने के बाद भक्त सामान्य दर्शन कर सकेंगे। इससे श्रद्धालुओं को पूरे परिसर में घूमने और पूजा-अर्चना करने का अवसर मिलेगा।
राजसी सवारी के साथ बदलेगा माहौल
सोमवार को होने वाली राजसी सवारी सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। श्रावण-भाद्रपद मास की समाप्ति के मौके पर भगवान महाकाल नगर भ्रमण पर निकलेंगे। इस सवारी को देखने के लिए देशभर से श्रद्धालु आते हैं।
मंदिर प्रशासन का कहना है कि भक्तों की सुविधा और सुरक्षा को देखते हुए श्रावण मास के दौरान दर्शन व्यवस्था बदली गई थी। अब मास के समापन के साथ पुरानी परंपरा बहाल की जा रही है। रोजाना की तरह सुबह 4 बजे पट खुलेंगे और नियमित समय पर भस्म आरती होगी।
भक्तों के लिए राहत और उत्साह
इस बदलाव से भक्तों में राहत और उत्साह दोनों है। लंबे समय से वे पूरे मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से घूमने की प्रतीक्षा कर रहे थे। इसके अलावा, भस्म आरती के लिए तय समय का पालन भक्तों को यात्रा की योजना बनाने में आसानी देगा।