मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे मनोज जरांगे पाटिल ने मंगलवार को अपना आंदोलन वापस ले लिया। उन्हें हैदराबाद गजेट लागू करने को लेकर सरकारी आदेश (GR) मिल गया, जिसके तहत मराठवाड़ा इलाके के मराठाओं को ‘कुनबी’ दर्जा दिया गया। इस घोषणा के साथ ही आंदोलन पांचवें दिन खत्म हो गया। सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने जरांगे पाटिल को सरकारी आदेश (GR) का ड्राफ्ट सौंपा।
प्रतिनिधिमंडल से मिलने के बाद पाटिल ने अपने समर्थकों से कहा, “हमारी मांगें पहले ही सरकार को लिखित रूप में दी जा चुकी थीं। हमारी पहली मांग हैदराबाद गजेट को तुरंत लागू करने की थी। अब सरकार ने इस पर फैसला कर लिया है। मंत्री विखे पाटिल ने भरोसा दिलाया है कि अगर प्रदर्शनकारी इस प्रस्ताव को मानते हैं, तो सरकार इस पर सरकारी आदेश (GR) जारी करेगी। उप-समिति ने हैदराबाद गजेट को लागू करने की प्रस्तावित मांग को मंजूरी देने का फैसला किया है।”
रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने कहा कि GR एक घंटे के अंदर जारी कर दिया जाएगा, जबकि बाकी तीन गजेट को लागू करने में कम से कम एक महीने का समय लगेगा। जरागे पाटिल की आठ मांगों में से छह को मान लिया गया है।
हैदराबाद गजेट 1918 में तत्कालीन हैदराबाद के निजाम सरकार की तरफ से जारी आदेश को कहते हैं। उस समय मराठा समुदाय हैदराबाद राज्य के बड़े हिस्से में बसा हुआ था। लेकिन ऐतिहासिक रिकॉर्ड से पता चलता है कि उन्हें सरकारी पदों और नौकरियों में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा था।
इसके समाधान के लिए निजाम सरकार ने मराठा समुदाय को, जिसे “हिंदू मराठा” कहा गया, शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने का आदेश जारी किया। यह आदेश आधिकारिक गजेट में दर्ज किया गया, जिसे बाद में हैदराबाद गजेट के नाम से जाना गया।
इस आदेश में हैदराबाद राज्य (अब महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र) की कुछ समुदायों को, जिनमें कई मराठा समुदाय के लोग शामिल थे- कुनबियों के रूप में, OBC (Other Backward Class) श्रेणी में मान्यता दी गई। इस गजेट में सरकारी दस्तावेज शामिल हैं, जिनमें यह दर्ज है कि मराठा समुदाय सामाजिक और शैक्षणिक रूप से ऐतिहासिक रूप से पिछड़ा हुआ रहा है।
पाटिल की प्रमुख मांग थी कि सभी मराठाओं को “कुनबी प्रमाणपत्र” जारी किए जाएं। इससे पूरी मराठा समुदाय OBC कैटेगरी में शामिल हो सकेगा और आरक्षण का लाभ उठा सकेगा। उनके अनुसार, ब्रिटिश समय के शैक्षणिक और राजस्व रिकॉर्ड में ज्यादातर मराठा कुनबियों के रूप में दर्ज थे।
कुनबी महाराष्ट्र का एक बड़ा किसान समुदाय है। पिछले साल, महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि जिन लोगों के रिकॉर्ड कुनबी के रूप में पाए जाएं, उनके “खून के रिश्ते” वाले लोगों को भी ऐसे सर्टिफिकेट दिए जाएंगे।
पाटिल के अनुसार, सरकार ने हैदराबाद गजेट को तुरंत लागू करने पर सहमति दे दी है। हालांकि, सतारा और पुणे-औंध गजेट को लागू करने में सरकार को एक महीने का समय चाहिए, क्योंकि इसमें कुछ कानूनी मुद्दे हैं।
प्रतिनिधिमंडल ने 2023 और 2024 में आंदोलन के दौरान मराठा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज सभी बाकी मामलों को वापस लेने पर भी सहमति जताई।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मराठा आरक्षण के लिए अपनी जान देने वाले युवाओं के परिवारों को न सिर्फ नकद मुआवजा दिया जाएगा, बल्कि राज्य परिवहन और महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (MIDC) में उनके परिवार के सदस्यों को सहानुभूतिपूर्ण नौकरी भी दी जाएगी।