नीता अंबानी ने 'स्वदेश' में भारतीयों कारीगरों का किया समर्थन

रिलायंस फाउंडेशन की फाउंडर और चेयरपर्सन नीता अंबानी ने इरोज में फ्लैगशिप स्टोर स्वदेश में एक खास समारोह की मेजबानी की। इसका मकसद भारतीय शिल्पकारी को संरक्षित करना, बढ़ावा देना और ग्लोबल ऑडियंस तक पहुंचाना था। यह स्वदेश के बुनियादी मिशन का प्रतीक है

अपडेटेड Dec 05, 2025 पर 11:44 PM
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इस मौके पर अंबानी ऐसी साड़ी में नजर आईं जो पारंपरिक भारतीय वस्त्र कला को एक सम्मान था।

रिलायंस फाउंडेशन की फाउंडर और चेयरपर्सन नीता अंबानी ने इरोज में फ्लैगशिप स्टोर स्वदेश में एक खास समारोह की मेजबानी की। उन्होंने यह शाम भारत के कारीगरों की अद्भुत विरासत को समर्पित की। यह कार्यक्रम स्वदेशी शिल्प के जीवंत प्रदर्शन के लिए था। इसका मकसद भारतीय शिल्पकारी को संरक्षित करना, बढ़ावा देना और ग्लोबल ऑडियंस तक पहुंचाना था। यह स्वदेश के बुनियादी मिशन का प्रतीक है।

इस मौके पर अंबानी ऐसी साड़ी में नजर आईं जो पारंपरिक भारतीय वस्त्र कला को एक सम्मान था। उनकी यह मयूर नीली साड़ी सीधे स्वदेश के अपने कलेक्शन से मंगाई गई थी। यह मीना के नमूने के साथ अलग ही दिखती थी। इसे बहुत पुरानी बुनाई की कधुआ तकनीक से तैयार किया गया। बुनाई के इस तरीके में काफी श्रम लगता है। हर नमूने की बुनाई अलग की जाती है। इससे साड़ी बुनावट में भारी और खास नजर आती है।

उनके लिए खास ब्लाउज मनीष मल्होत्रा ने तैयार की थी। इससे बुनाई के पुराने तरीके की झलक मिलती थी। इसका पोलकी बॉर्डर, हाथ से रंगे बटन्स और लटकन अंबानी के व्यक्तिगत ज्वेलरी कलेक्शन से लिए गए थे। यह एतिहासिक तत्वों के साथ समसामयिक शैली का शानदार मेल था। विरासत पर फोकस उनके खूबसूरत एक्सेसरी को और आकर्षक बनाता था। प्राचीन कुंदन पोलकी झुमके जो करीब एक शताब्दी से ज्यादा पुराने थे, पारंपरिक भारतीय ज्वेलरी का महत्व बयां करते थे।


उनके हाथ हस्तशिल्प जदुआ बर्ड रिंग से सुशोभित थे, जो स्वदेसी कलेक्शन के हिस्सा थे। भारत के शिल्प से जुड़े ये रचनात्मक वनस्पति और जीव-जंतु के प्रतीक थे। इस कार्यक्रम में फोकस उन कारीगरों पर था, जो स्वदेश के अंबानी के विजन को व्यक्त करते हैं। स्वदेश एक रिटेल स्पेस नहीं है बल्कि भारतीय कारीगर समुदायों की जीविकोपार्जन को सपोर्ट करने वाला एक आंदोलन है।

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