ईडी 800 करोड़ रुपये के ओक्टाएफएक्स फॉरेक्स ट्रेडिंग फ्रॉड में अब तक 131.45 करोड़ रुपये के एसेट्स जब्त कर चुका है। इसमें एक लग्जरी यॉट और दो महंगी रेजिडेंशियल प्रॉपर्टीज शामिल हैं। खास बात यह है कि जिस ओक्टाएफएक्स फॉरेक्स ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ने यह फ्रॉड किया है, उसने आईपीएल के दौरान एडवर्टाइजमेंट दिया था। कई सेलिब्रिटीज ने इसे एंडॉर्स किया था।
पुणे के पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई थी शिकायत
दरअसल, ED ने ओक्टाएफएक्स फॉरेक्स ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के खिलाफ मनी लाउंड्रिंग का केस दर्ज किया था। इस मामले में एफआईआर पुणे के शिवाजी नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई थी। कई लोगों ने ओक्टाएफएक्स प्लेटफॉर्म के खिलाफ शिकायत की थी। इनमें कहा गया था कि इस ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ने ज्यादा रिटर्न का वादा कर इनवेस्टर्स के साथ बड़ा फ्रॉड किया है। इस फ्रॉड में कई इनवेस्टर्स की गाढ़ी कमाई स्वाहा हो गई।
सेलिब्रिटीज ने भी इस प्लेटफॉर्म को एंडॉर्स किया था
जांच में ईडी ने यह पाया कि OctaFX एक अनअथॉराइज्ड फॉरेक्स ब्रोकर है, जिसे आईपीएल और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रमोट किया गया था। कई सेलिब्रिटीज ने भी इसका प्रचार किया था। इसने ज्यादा रिटर्न का लालच देकर लोगों से फॉरेक्स में इनवेस्ट करने को कहा। फिर इनवेस्टर्स के पैसे ऐसे दूसरे अकाउंट्स में ट्रांसफर कर दिए गए जो फर्जी ई-कॉमर्स फर्मों के नाम से ओपन किए गए थे। आईपीएल के दौरान इस फॉरेक्स ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के ऐड देखने के बाद इनवेस्टर्स को इस पर भरोसा हो गया।
9 महीनों में जुटाए 800 करोड़ रुपये
जांच में पता चला है कि ओक्टाएफएक्स अक्सर अपना लॉग-इन यूआरएल और वेब एड्रेसेज बदल देता था। ऐसा इसलिए किया जाता था कि उसके फ्रॉड को इनवेस्टर्स की नजरों से बचाया जा सके। बताया जाता है कि सिर्फ 9 महीनों में इस फॉरेक्स ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ने निवेशकों से कम सम कम 800 करोड़ रुपये जुटा लिए थे। बताया जाता है कि इस ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का संबंध पावेल प्रोजोरोव नाम के व्यक्ति से है। जांच में यह भी पता चला है कि निवेशकों के पैसे को कई दूसरे देशों में भेजा गया।
यह भी पढ़ें: समुद्र में चलताफिरता किला है आईएनएस Tamal, जानिए इस बेमिसाल युद्धपोत की खास बातें
फ्रॉड का शिकार बनने से बरतें ये सावधानियां
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इनवेस्टर्स को ऐसे किसी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म या वेबसाइट पर ट्रांजेक्शन करने से बचना चाहिए, जिसके बारे में उन्हें पूरी जानकारी नहीं है। खासकर किसी बड़े इवेंट के दौरान टीवी पर आने वाले ऐड पर आंख मूंदकर कभी भरोसा नहीं करें। इवेंट आयोजित करने वाली कंपनियां आम तौर पर ऐड देने वाली कंपनियों के बैकग्राउंड की जांच नहीं करती हैं। उन्हें सिर्फ ऐड के बदले में मिलने वाले पैसे से मतलब होता है।