Operation Sindoor: भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर के एक दिन बाद रविवार शाम भारतीय सेना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन (DGMO) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई, वाइस एडमिरल एएन प्रमोद और एयर मार्शल अवधेश कुमार भारती ने 'ऑपरेशन सिंदूर' की जानकारी दी। पाकिस्तान द्वारा भारतीय राफेल लड़ाकू विमानों को मार गिराने के दावों की भारतीय सेना ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी गई जानकारी में कहा गया कि भारतीय वायुसेना के सभी पायलट सुरक्षित रूप से घर लौट आए हैं।
डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन (DGMO) एयर मार्शल ए.के. भारती ने बताया कि, भारत ने पाकिस्तानी वायुसेना के हमले के प्रयासों को नाकाम कर दिया। राफेल लड़ाकू विमानों और भारत में हुए नुकसान के बारे में पूछा गए सवाल पर एयर मार्शल ने कहा, मैं केवल इतना कह सकता हूं कि हमने जो लक्ष्य निर्धारित किए थे, वे हासिल कर लिए हैं और हमारे सभी पायलट घर वापस आ गए हैं।
पाकिस्तान के पहुंच से दूर है राफेल जेट
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान पर हमला करने के लिए राफेल लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया। ये विमान सेमी-स्टील्थ डिजाइन के कारण रडार पर कम दिखाई देते हैं और उन्नत AESA रडार (RBE2-AA) से लैस हैं। राफेल जेट्स में SCALP (स्टॉर्म शैडो) क्रूज़ मिसाइलें और हैमर स्मार्ट बम लगे होते हैं, जो लंबी दूरी तक सटीक हमले करने में सक्षम हैं। इन विमानों का एवियोनिक्स सूट अपनी श्रेणी में दुनिया के बेहतरीन सिस्टमों में से एक है। इसके अलावा, इनमें मेटियोर बियॉन्ड-विजुअल-रेंज (BVR) मिसाइल, एडवांस इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, बेहतर रडार और संचार तकनीक भी शामिल है, जो इन्हें अत्याधुनिक लड़ाकू विमान बनाती हैं।
काफी एडवांस है राफेल का सिस्टम
राफेल लड़ाकू विमानों में लगे रडार और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम इतनी क्षमता रखते हैं कि ये 145 किलोमीटर की दूरी से 40 तक लक्ष्यों का पता लगा सकते हैं। ये सिस्टम दुश्मन के रडार को जाम (अवरोध) करने और उसकी फ्रीक्वेंसी की कॉपी करने में सक्षम हैं, जिससे पाकिस्तानी F-16 जैसे विमानों के लिए इन्हें ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा, राफेल में X-Guard फाइबर ऑप्टिक टो-डिकॉय सिस्टम भी लगा है, जो हवा से हवा और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को चालाकी से चकमा देने में मदद करता है।
राफेल में लगे मेटियोर मिसाइल का सबसे बड़ा फ़ायदा इसका 'नो-एस्केप ज़ोन' है, यानी एक ऐसा क्षेत्र जहां दुश्मन विमान के बचने की संभावना लगभग शून्य हो जाती है। मेटियोर की रेंज करीब 120 किलोमीटर है, जो कि अमेरिकी AMRAAM मिसाइल (100 किलोमीटर रेंज) से बेहतर मानी जाती है।