पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) से एक्टिव एक आतंकवादी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की जांच के दायरे में है, जो पिछले हफ्ते हुए पहलगाम हमले की जांच कर रही है। इस नरसंहार ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था और वैश्विक स्तर पर इस कायराना हरकत की निंदा भी हुई। माना जाता है कि फारूक तेदवा ने पाकिस्तानी आतंकवादियों की भारत में घुसपैठ के लिए मदद की थी। फिर इन्होंने एक स्थानीय सहयोगी के साथ मिलकर बैसरन घाटी में 26 लोगों की हत्या कर दी थी, जिसमें एक नेपाली निवासी भी शामिल था।
कुपवाड़ा के कलारूस में उसका घर उन 10 इमारतों में से एक था, जिन्हें पिछले हफ्ते सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई के तहत गिरा दिया था।
खुफिया जानकारी के अनुसार, फारूक ने पाकिस्तानी गुट को जम्मू-कश्मीर में अपने नेटवर्क के साथ संपर्क में रखा। अधिकारी उन लोगों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं, जिन्होंने पाकिस्तानी हमलावरों की मदद की।
ऐसा शक है कि फारूक 1996 से ही पाकिस्तान में है। खुफिया जानकारी से पता चलता है कि वह कश्मीर में एक्टिव आतंकवादियों के संपर्क में रहा है, और उसने पिछले कुछ हमलों में भी पाकिस्तानी आतंकवादियों की मदद के लिए नेटवर्क को एक्टिव किया है।
सूत्रों के अनुसार 2,000 से ज्यादा ओवर-ग्राउंड वर्कर्स से पूछताछ की गई है, और उनमें से 15 से गहन पूछताछ चल रही है।
ऐसा माना जाता है कि पहलगाम हमले को दो पाकिस्तानी आतंकवादियों, हाई ट्रेंड हाशिम मूसा (उर्फ सुलेमानी) और तल्हा भाई ने अंजाम दिया था। साथ ही एक स्थानीय व्यक्ति आदिल थोकर भी शामिल था। अधिकारियों को शक है कि एक और पाकिस्तानी आतंकवादी भी इसमें शामिल है।
गुट ने अप्रैल के पहले हफ्ते में पहलगाम के होटलों की रेकी की। उन्होंने 22 अप्रैल को हमला किया, जिस दिन दो दिनों के खराब मौसम के बाद बड़ी संख्या में पर्यटक सुरम्य बैसरन घाटी में उमड़ पड़े थे।
उन्होंने साइट पर पर्यटकों का इंतजार किया, फिर उनसे कलमा पढ़ने को कहा और उनका धर्म जानने के लिए उनकी पेंट उतारने को कहा, और हिंदू पुरुषों को बिल्कुल नजदीक से गोली मार दी। एक स्थानीय टट्टू चलाने वाले आदिल, जिसने उन्हें रोकने की कोशिश की, उसे भी मार दिया गया।
अधिकारी घटनास्थल से सामने आए भयावह वीडियो की जांच कर रहे हैं, प्रत्यक्षदर्शियों से बात कर रहे हैं और सुरागों को जोड़ रहे हैं। इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान और आतंकवादियों की संपत्तियों पर कार्रवाई शुरू की गई है।
माना जाता है कि इस हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा का एक खूनी इतिहास वाला संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट या TRF है। हालांकि, कश्मीरियों सहित बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर इस समूह ने जिम्मेदारी लेने के बाद अपने कदम पीछे खींच लिए थे।
भारत ने हमलावरों और उनके समर्थकों को दंडित करने की कसम खाई है और पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक हमला शुरू कर दिया है। इनमें सबसे बड़े कदमों में से एक सिंधु जल संधि को निलंबित करना है।