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Pahalgam Attack: दक्षिण कश्मीर के घने जंगलों में छिपे हैं पहलगाम के हैवान, साथ में है खाने-पीने का सामान!

Pahalgam Terrorist Attack: NIA सूत्रों ने कहा कि आतंकवादी शायद अपने साथ खाने-पीने का सामान भी रहे हैं और इसलिए घने जंगलों में छिपे हैं, जिससे यह साफ हो सकता है कि अब तक वे क्यों पकड़ में नहीं आए। इससे ये भी मालूम चलता है कि इससे बाहरी सैन्य मदद की जरूरत भी खत्म हो जाएगा, जो शायद पाकिस्तान ही ओर से दे जाएगी, जिस पर नई दिल्ली ने पहलगाम हमले में शामिल होने का आरोप लगाया है

अपडेटेड May 01, 2025 पर 9:09 PM
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Pahalgam Attack: दक्षिण कश्मीर के घने जंगलों में छिपे हैं पहलगाम के हैवान, साथ में है खाने-पीने का सामान!

घातक पहलगाम हमले के आतंकवादियों की तलाश जारी है। जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनुसार, 22 अप्रैल को हुए नरसंहार में कम से कम दो पाकिस्तानी नागरिक और दक्षिण कश्मीर का एक निवासी शामिल थे, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी। भारतीय एजेंसियों का मानना ​​है कि एक चौथा आतंकवादी भी था, जो मदद के लिए आस-पास ही छिपा हुआ था। अब ऐसी खबरें हैं कि ये आतंकवादी अभी भी इलाके में हैं। NIA सूत्रों ने कहा कि आतंकवादी शायद अपने साथ खाने-पीने का सामान भी रहे हैं और इसलिए घने जंगलों में छिपे हैं, जिससे यह साफ हो सकता है कि अब तक वे क्यों पकड़ में नहीं आए।

इससे ये भी मालूम चलता है कि इससे बाहरी सैन्य मदद की जरूरत भी खत्म हो जाएगा, जो शायद पाकिस्तान ही ओर से दे जाएगी, जिस पर नई दिल्ली ने पहलगाम हमले में शामिल होने का आरोप लगाया है।

NIA ने हाल के सालों में भारत में हुए सबसे भीषण आतंकवादी हमले की जांच अपने हाथ में ले ली है। फरवरी 2019 के बाद से अब तक का ये शायद सबसे घातक हमला है, जब जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 40 जवान शहीद हो गए थे।


NIA की जांच के मुताबिक, पहलगाम के हमलावर 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले से कम से कम दो दिन पहले पहलगाम से लगभग पांच किलोमीटर दूर, सुंदर बैसरन घाटी में मौजूद थे।

नरसंहार के बाद ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGW) से पूछताछ से पता चला कि आतंकवादियों ने अरु घाटी, बेताब घाटी और एक एम्यूजमेंट पार्क सहित तीन और टूरिस्ट स्पॉट की रेकी की थी। हालांकि, हाई सिक्योरिटी के कारण उन्होंने इन जगहों को निशाना नहीं बनाया।

इसके बजाय, उन्होंने बैसरन घास के मैदान को चुना, जो केवल टट्टू की सवारी या पैदल ही पहुंचा जा सकता है। मीडिया सूत्रों के अनुसार, दो आतंकवादी मेन गेट से घास के मैदान में घुसे, एक बाहर निकलने के रास्ते पर था और चौथा माना जाता है कि बैकअप देने के लिए आसपास के देवदार के जंगल में छिपा हुआ था।

पहलगाम के आतंकवादियों की तलाश क्यों है मुश्किल

आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों की पहुंच से बाहर हैं। जंगल में युद्ध और इलाके के इलाकों में उनका संभावित अनुभव उनके लिए फायदेमंद है।

पिछले चार सालों से, जंगल वॉर फेयर में ट्रेंड और एडवांस राइफलों और कम्युनिकेशन डिवाइस से लैस पाकिस्तानी नागरिक जम्मू-कश्मीर में आतंक फैला रहे हैं।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "हम तीन दशकों से ज्यादा समय से आतंकवाद से लड़ रहे हैं। यह असली गुरिल्ला युद्ध है। हमने पिछले दो सालों में देखा है कि इन आतंकवादियों को सैन्य प्रशिक्षण मिला हुआ है, वे अमेरिका में बनी राइफलों से लैस हैं और उनके पास बुलेट-प्रूफ जैकेट और स्टील की गोलियां हैं।"

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