PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को 12वीं बार संबोधित करेंगे। इस भाषण के साथ ही उनके स्वतंत्रता दिवस भाषणों में कुल शब्दों की संख्या 1 लाख का आंकड़ा पार कर जाएगी। मनीकंट्रोल के एक विश्लेषण के अनुसार, 2014 से अब तक उनके भाषणों में कुल 93,000 शब्द थे, यानी प्रति भाषण औसतन 8,500 से अधिक शब्द बोलें। इसकी तुलना में उनके पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के 10 भाषणों में यह औसत लगभग 3,600 शब्द था।
PM के भाषणों में बदलती प्राथमिकताएं
पीएम मोदी के भाषणों में किसान, गरीब, महिलाएं और अर्थव्यवस्था जैसे विषय लगातार बने रहे हैं, लेकिन समय के साथ उनके प्राथमिकताओं में बदलाव आया है। उनके भाषण अक्सर नई योजनाओं को लॉन्च करने का एक मंच रहे हैं, जैसे 2014 में 'प्रधानमंत्री जन धन योजना' और 2019 में 'जल जीवन मिशन'।
2015 का भाषण: 8,274 शब्दों के इस भाषण में किसानों और कृषि का 49 बार और भ्रष्टाचार का 18 बार जिक्र किया गया था।
2023 का भाषण: इस साल अर्थव्यवस्था और विकास 30 संदर्भों के साथ शीर्ष पर थे।
2024 का भाषण: यह 10,300 शब्दों के साथ 2016 के बाद उनका दूसरा सबसे लंबा भाषण था, जिसमें युवा और कौशल विकास का 30 बार, प्रौद्योगिकी का 27 बार, और 'विकसित भारत' का 13 बार जिक्र हुआ था।
इसके विपरीत मनमोहन सिंह के भाषणों में शासन, एकता और आर्थिक मुद्दों पर अधिक समान रूप से ध्यान केंद्रित किया गया था और विशिष्ट विषयों की पुनरावृत्ति कम थी।
PM के आगामी भाषण में क्या हो सकता है खास?
पीएम मोदी के 2024 के भाषण में गठबंधन-युग की राजनीति का महत्व साफ दिखा, जिसमें 2014 के बाद से सबसे अधिक बार राज्यों का उल्लेख किया गया था। इस साल बिहार में होने वाले चुनावों से पहले वहां पर विशेष ध्यान दिया जा सकता है, जैसा कि 2020 में भी देखने को मिला था। इसके अलावा PM के भाषण में साल 2016 के बाद पहली बार पाकिस्तान का सीधा जिक्र होने की भी संभावना है।