पाकिस्तान की सरकार और सेना क्यों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से खाती हैं खौफ?

पाकिस्तान इंडिया की सख्त पॉलिसी की वजह से प्रधानमंत्री मोदी को लेकर असहज महसूस करता है। मोदी सरकार ने बार-बार यह साफ किया है कि बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते। भारत ने सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ कड़े एक्शन लेकर अपने मंसूबे जाहिर किए हैं

अपडेटेड Sep 17, 2025 पर 10:03 PM
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प्रधानमंत्री मोदी ने सशस्त्र बलों को सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद को कुचलने के लिए पूरी छूट दे दी है।

2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से पाकिस्तान से इंडिया के संबधों में बड़ा बदलाव आया है। खास यूपीए के दिनों से तुलना करने पर यह बदलाव साफ दिखता है। बीते एक दशक में इंडिया ने परदे के पीछे चलने वाली कूटनीति की जगह पाकिस्तान से खुलकर अपनी बात कहने की पॉलिसी अपनाई है। प्रधानमंत्री की विदेश नीति पाकिस्तान में न तो सरकार को और न तो सरकार से ताकतवर माने जाने वाली सेना को पसंद आई है। पाकिस्तान इंडिया के साथ बातचीत करने को उत्सुक रहा है, जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने पाक प्रायोजित आतंकवाद के जवाब में जैसे को तैसा की पॉलिसी अपनाई है।

पीएम मोदी के कड़े एक्शन से डरा पाकिस्तान

पाकिस्तान इंडिया की सख्त पॉलिसी की वजह से प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Modi) को लेकर असहज महसूस करता है। मोदी सरकार ने बार-बार यह साफ किया है कि बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते। भारत ने सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ कड़े एक्शन लेकर अपने मंसूबे जाहिर किए हैं। इससे परदे के पीछे चलने वाली उस कूटनीति की गुंजाइश खत्म हो गई है, जिस पर पहले पाकिस्तान निर्भर था। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद इंडिया ने जो कदम उठाए, उससे साफ हो गया कि भारत पाकिस्तान को आर्थिक और मानवीय चोट पहुंचाना चाहता है।


सिंधु जल संधि रद्द करने से पाकिस्तान को बड़ी चोट

पहलगाम में आतंकी हमले के बाद मई में ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देने के बाद प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया कि अगर पाकिस्तान से कभी बात होगी तो सिर्फ आतंकवाद और पीओके को भारत को लौटाने के मसले पर होगी। इसके अलावा भारत के सिंधु जल संधि को रद्द करने के फैसले से भी पाकिस्तान को तगड़ी चोट लगी है। इन सभी वजहों से मोदी का प्रधानमंत्री बने रहना पाकिस्तान के लिए चिंता की बड़ी वजह है। भारत ने यह साफ कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकी नेटवर्क के खिलाफ कड़े कदम नहीं उठाता है, उसके साथ बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं है।

प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान को लेकर पॉलिसी बदली

प्रधानमंत्री मोदी से पहले की सरकारों ने पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक स्तर पर मामलों को सुलझाने की कोशिशें की थीं। लेकिन, मोदी ने उस पॉलिसी को बदलते हुए पाकिस्तान को लेकर आक्रामक रुख अपनाया। उड़ी हमले के जवाब में पहले 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक और फिर पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक इस बात के सबूत हैं। सर्जिकल स्ट्राइक को भारत की पॉलिसी में बड़े बदलाव का मोड़ माना जाता है। हाल में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इंडिया ने पाकिस्तान में आतंक के इंफ्रास्ट्रक्चर पर कड़ा प्रहार किया। भारत ने पाकिस्तान के कई ठिकानों के साथ ही पीओके में चल रहे आंतक के नेटवर्क को निशाना बनाया।

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सशस्त्र को पहली बार सीमा पार आंतकवाद को कुचलने की मिली छूट

प्रधानमंत्री मोदी ने सशस्त्र बलों को सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद को कुचलने के लिए पूरी छूट दे दी है। उन्होंने देश में लोगों को भरोसा दिलाया है कि भारत को गलत निगाह से देखने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। प्रधानमंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद राजस्थान में एक रैली में कहा, "जो सिंदूर मिटाने निकले थे, उन्हें मिट्टी में मिलाया है।" उन्होंने यह भी साफ किया है कि अब न्यूक्लियर ब्लैकमेल को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पीएम मोदी के इन बयानों से जहां देशवासियों का मनोबल बढ़ा है वही दुनियाभर में यह संदेश गया है कि भारत आतंकवाद को अब बर्दाश्त करने वाला नहीं है।

Rakesh Ranjan

Rakesh Ranjan

First Published: Sep 17, 2025 9:47 PM

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