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Project Cheetah: मोदी सरकार ने लिया ठान! भारत से विलुप्त हो चुके चीते अगले 10 सालों में बनेंगे 'भारत की शान'

Project Cheetah: 1950 से ही भारत मे विलुप्त हो चुकी ये चीते की प्रजाति को वापस भारत की धरती पर लाने की कमर पीएम नरेंद्र मोदी ने ही कसी। चीतों को किसी दुसरे देश और वातावरण से लाना और उन्हें यहां ठीक से रखने की जिम्मेदारी एक विभाग की नहीं हो सकती थी। यहां दो देश और वहां की सरकारें जुड़ी थीं। लेकिन मोदी सरकार ने अपनी राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाई

Amitabh Sinhaअपडेटेड Sep 24, 2025 पर 10:11 PM
Project Cheetah: मोदी सरकार ने लिया ठान! भारत से विलुप्त हो चुके चीते अगले 10 सालों में बनेंगे 'भारत की शान'
Project Cheetah: भारत लाए गए 20 चीतों की संख्या बढकर 27 हो चुकी है

Project Cheetah: प्रधानमंत्री मोदी ने 17 सितंबर 2022 में नामिबिया से लाए गए 8 चीतों की पहली खेप को कूनो नेशनल पार्क में छोडा था। फिर 18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रिका से लाए गए 12 चीते कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए। 1950 से ही भारत मे विलुप्त हो चुकी ये चीते की प्रजाति को वापस भारत की धरती पर लाने की कमर पीएम मोदी ने ही कसी। चीतों को किसी दुसरे देश और वातावरण से लाना और उन्हें यहां ठीक से रखने की जिम्मेदारी एक विभाग की नहीं हो सकती थी। यहां दो देश और वहां की सरकारें जुड़ी थीं। लेकिन मोदी सरकार ने अपनी राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाई।

आलम ये है कि अब लाए गए 20 चीतों की संख्या बढ कर 27 हो चुकी है। मुश्किल की घड़ी तब आई जब अफ्रीका से आए गए 20 चीतो में बदले वातावरण के चलते सिर्फ 11 ही बचे थे। लेकिन कूनो नेशनल पार्क का मौसम और माहौल इन चीतों को भा गया। अब उनकी संख्या बढ कर 27 तक जा पहुंची है।

पर्यावरण मंत्रालय का मानना है कि अब ये भारतीय मौसम और स्थान के मुताबिक खुद को ढाल चुके हैं। सरकार के लिए के चीते हीरे से भी ज्यादा कीमती हैं। इन पर रेडियो कॉलर लगाकर 24 घंटे निगरानी भी रखी जाती है। मध्य प्नदेश के कूनो नेशनल पार्क का इलाका काफी कुछ अफ्रीका के सवाना इलाके से मिलती है।

तभी तो कामिनी नाम की मादा चीता अपने 4 बच्चों के साथ ट्रैकिंग करते हुए दूर माधवगढ तक जा पहुंची थी। एक महीना बिताने के बाद ट्रेक कर के वापस भी आ गई थी। अचरज की बात ये थी कि वो जिस इलाके मे एक महीने अपने छोटे बच्चों के साथ रही वो एक टाईगर रिजर्व था।

भारत में प्रोजेक्ट टाइगर ने एक चमत्कार किया था। राजनीतिक से लेकर जंगल विभाग के साथ जंगलों के आस पास रहने वाला पूरा समाज मानो इस प्रोजेक्ट के लिए योगदान देने को तैयार था। साथ ही राजनीतिक इच्छाशक्ति ने भारत में शेरों को नया जीवनदान दे दिया। कुछ इसी तर्ज पर 'प्रोजेक्ट चीता' को मुकाम तक पहुंचाने की राजनीतिक इच्छा शक्ति नजर आ रही है।

भारत मे 21 फीसदी इलाका जंगल और जंगल के प्राणियों के लिए है। इसका 5 फीसदी इलाका जंगली जीवों के लिए चिह्नित किया गया है। तभी तो चीतों के लिए कूनों के साथ तीन और इलाकों को चुना गया है। इसमे मध्यप्रदेश का गांधीसागर और नौरादेही और गुजरात का बन्नी घासभूमि शामिल हैं। गांधी सागर में भी पहले दो चीतों को और फिर इस साल 17 सिंतबर को एक मादा चीते को छोड़ा गया था।

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