भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) में पूनम गुप्ता को डिप्टी गवर्नर के पद के लिए चुना गया है। पूनम गुप्ता नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) की डायरेक्टर जनरल और प्रधानमंत्री की इकोनॉमिक एडवायजरी काउंसिल की पार्ट टाइम मेंबर हैं। वह वर्ल्ड बैंक में भारत के लिए लीड इकोनॉमिस्ट भी रह चुकी हैं। गुप्ता, डॉ. माइकल देवव्रत पात्रा की जगह RBI की डेप्युटी गवर्नर चुनी गई हैं। पात्रा केंद्रीय बैंक से 14 जनवरी, 2025 को रिटायर हो गए।
गुप्ता का कार्यकाल 3 साल का होगा। उन्होंने 2021 में NCAER को जॉइन किया था। RBI में 4 डिप्टी गवर्नर होते हैं। इनमें से 2 को उनकी रैंक से प्रमोट किया जाता है। एक कमर्शियल बैंकिंग बैकग्राउंट से होता है, वहीं एक अन्य इकोनॉमिस्ट होता है। वर्तमान में RBI के बाकी 3 डिप्टी गवर्नर- राजेश्वर राव, टी रबी शंकर और स्वामिनाथन जानकीरमन हैं।
मौद्रिक नीति के लिए जिम्मेदार डिप्टी गवर्नर महंगाई को नियंत्रित करने और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नीतियों को तैयार करने और लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
गुप्ता ने साल 2013 से 2021 तक वर्ल्ड बैंक में अलग-अलग पोजिशंस पर काम किया। इससे पहले उन्होंने NIPF (National Institute of Public Finance) में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया चेयर प्रोफेसर, ICRIER में मैक्रोइकोनॉमिक्स की प्रोफेसर, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर काम किया। वह इंटरनेशल मॉनेटरी फंड में इकोनॉमिस्ट भी रही हैं, जहां उन्होंने एशिया पैसिफिक डिपार्टमेंट, यूरोपियन डिपार्टमेंट और रिसर्च डिपार्टमेंट में काम किया।
इकोनॉमिक्स में पीएचडी हैं पूनम गुप्ता
गुप्ता के पास अमेरिका की मैरीलैंड यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में पीएचडी और मास्टर्स की डिग्री है। साथ ही वह दिल्ली यूनिवर्सिटी के दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से भी इकोनॉमिक्स में मास्टर्स डिग्री रखती हैं। उन्हें इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स पर डॉक्टरेट के काम के लिए 1998 में एक्जिम बैंक अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।
गुप्ता यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड, दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज और हिंदू कॉलेज में लेक्चरर भी रह चुकी हैं। वह नीति आयोग की डेवलपमेंट एडवायजरी कमेटी का भी हिस्सा हैं और FICCI की कार्यकारी समिति में भी काम करती हैं। गुप्ता ने भारत की जी-20 प्रेसीडेंसी के दौरान मैक्रोइकॉनॉमिक्स और ट्रेड पर टास्क फोर्स की अध्यक्षता की थी।